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sameer prabhakar
चेहरे पे गजब की नक्काशी है बनाया! बहुत फुरसत से है आपको सजाया!! भगवान भी होगा आपको देख शर्माया! जब आपके अंदर एक्स्ट्रा रूप होगा बसाया!! #आरंभ
prem
मंदिरांचे घुमट बांधण्यात , झोपडीच्या विटा संपुन गेल्या ............... देव मात्र त्यांचा झाला , ज्यांच्या पालख्या आणि मेन्या आल्या .......................... #आरंभ
मनोज कुमार
याद तो आप सदियों में अब तक सामिल हो सिलसिला यू ही रुक गई आप तो जिक्र मे अब भी आरंभ हो ©RUNBHUMI आरंभ
Kavita Gautam
जरूरी नहीं किसी कार्य का खास मौके से ही आरंभ हो आरंभ तो आरंभ है फिर चाहे जब प्रारंभ हो!! ©Kavita Gautam #आरंभ#विचार
sameer prabhakar
सीखना चाहते हैं,तो सिखाना शुरू कीजिए। जितना बेहतर सिखाना होगा, सीखना उतना बेहतर होता जाएगा। #आरंभ 2
writer abhay
इस कदर मुझे वो भुलाने लगा है, किसी और से दिल लगाने लगा है. कहता है चाँद ख़ुद को घमंड से, क्यों सूरज के जैसे जलाने लगा है दवा के जैसे कड़वा लगता है मुझे, नशा शराब के जैसा चढ़ाने लगा है इब्दिता होती हर दुआ मेरे नाम से, चुपके से उम्र अपनी बढ़ाने लगा है आहिस्ता से दुनिया समझ आयीं, जब आशिक ख़ुद को बताने लगा है और तुम ज़रा चुप ही रहो 'अभय' हर कोई तेरी कीमत गिराने लगा है इब्दिता - आरंभ
Maya Singh
मंजिल पाने की ख्वाहिश ऊंची रहे और नजर आसमा को छूती रहे कदमों में तूफान हो एक पल का भी ना विलंब हो बस अभी से शुभ आरंभ हो शुभ आरंभ हो शुभ आरंभ
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
कागज तो होता बस बेजान सा , जान तो उसमें शब्द डालते हैं , शब्दों के लिखते ही , बिखर जाती हैं एक खुशबू , यादों की , वादों की , अहसासों की , पढते ही शब्द सब कुछ चलचित्र सा चलने लगता हैं , आँखों के सामने एक अहसास सा , शब्दों से बनती जाती रचनाएं , हर एक के मन की उथल - पुथल की , वो बातें जो हम कहने मे होते हैं असर्मथ , पुर जाती हैं माला सी वो शब्दों के जरिए , भावों को वय्क्त करते शब्द , कोरे कागज पर रंग बिखरते शब्द । ©Ankur Raaz #शब्दो #की #शक्ति #शब्द