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शुभ'म
आसरा जिसे है सिर्फ उसके नजराने का । कोई करे सितम जुल्मी या दे नशा मैखानें का ॥ बस उसके नाम का तो जाम पिया है मैने । बिन पैसे के उसे तो खरीद लिया है मैने ॥ बडी अनमोल चीज पाई है मैने बिना मोल के । जहर भी कुबूल करता हूँ अब तो दिल खोल के ॥ वह बसता है हर परवश में । मैं बसता हूँ अपने उसके सपनो में ॥ मरते दम तक मैं उसे चाहूँगा । है आस दिल को कभी-न-कभी तो उसे पाऊँगा ॥ -Sp"रूपचन्द्र" ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #ईश्वर #भगवान #भक्ति #निर्गुण #खुदा #God #अनमोल #MomentOfTime
अविरल अनुभूति
तुम्हे सिर्फ मीठा परमात्मा चाहिए, लेकिन वो मीठा और कड़वा दोनों है। निर्गुण, सगुण, परिपूर्ण⚜️🔱 ©अविरल अनुभूति निर्गुण
सुरेश चौधरी
तन बिगाड़ा मन बिगाड़ा रे डूब डूब कर द्वेष गरल में छोड़ अहंकार जी ले प्राणी प्रेम प्रीत सा सहज सरल में पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का तूने मैली की माया मोह से चदरिया आई क्यूं जिंदगानी पर काली बदरिया गुमान तू मत कर पांच तत्व के चोले पर तेरे तन की इक दिन ढह जायगी अटरिया धन दौलत के पीछे भागा पी हाला क्रोध काम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का माटी के पुतले माटी में मील जायंगे महल मालिया तेरे सब यहीं रह जायंगे सांस सांस बस काम क्रोध धरे रह जायंगे संभल जा प्यारे छोड़ सब प्रभु घर जायंगे कितनी कर ली कमाई इंदु अब पी हरी नाम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का ****** निर्गुण भजन
~आचार्य परम्~
क्यों ढूँढता है तू यूँ मुझे दर बदर आंखें बंद करो तो मैं आऊँ नज़र ।। जिसे खुली निगाहें देख नहीं सकती । यहीं कही छिपा है तेरे दिल के अंदर ।। ~*परम् भाग्यम्*~ निर्गुण..... आत्मा
Anurag Sanskar
बन्दे चल सोच समझ के क्यों ये जनम गवाय, बार बार ये नर्तन चोला तुझे न मिलने पाय ॥ बचपन बीता आई जवानी खूब चैन से सोया, गुजर गई अनमोल घडी तो देख बुढ़ापा रोया, इस योवन पे नाज तुझे वो मिटटी मैं मिल जाये, बन्दे चल सोच समझ के...... झूठ कपट से जोड़ा तुमने अपना माल खजाना, काम क्रोध मध् लोभ मैं फास कर प्रभु को न पहचाना, मुठ्ठी बांध के आया जग में हाथ पसारे जाए, बन्दे चल सोच समझ के..... ये दुनिया है सराय है मुशाफिर छोड़ इसे है जाना, कोई किसी का नहीं जगत मैं ये तन है बेगाना, उड़जाये पिंजरे का पंछी पिंजरा साथ न जाये, बन्दे चल सोच समझ के....... निर्गुण भजन