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JAWEED HUSSAIN

PDL of JK PDD

PDL of JK PDD #News

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Mantu Mantu Turi

BC pdf pdf

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satyarth vani

भूल बैठा सुध बुध सारी

 आंखों में तेरा नशा छाया रहा

©   satyarth vani सत्यार्थ वाणी

सत्यार्थ वाणी #Shayari

17 Love

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Prashant Mishra

मचल बिरोधियन में सानसनी
लड़िहें दुर्गेश भइया परधानी
इनके लहर उड़ता अबकी हउवा में
अबकी बिकास होइ गउआँ में
दुर्गेश भैया जितिहें चुनउआँ में...

पानी के हो जाई पूरा निकासी
पल्हनी के जनता से मिली शबाशी
मिटी बदहाली बनी,कुल हाली हाली बनी,
पानी निकारे खातिर साफ-सुथर नाली बनी
पानी के हो जाई...पूरा निकासी
पल्हनी के जनता से मीली शबाशी
फिर रहिएगा साफ-सुथर चमकउआ में

बिजली के नया-नया खम्भा तनाई
गली-गली में आरसीसी बिछाई
तनिको ना टेंशन मिली, बुढवन के पेंशन मिली
गाँवे के कोटवा पे समय-समय से राशन मिली
बिजली नया नया...
आइयेगा नहीं केहु के बहकउआ में

रामपुर से लेकर के कोमल कलोनी
लखनऊ जईसे चमकी आपन पल्हनी
पूरा हर आस होई, सबके बिकास होई
बूढ़-पुरनियन के बृद्धा पेंशन पास होइ
रखिहा भरोसा बस आपन बेटउआ में
अबकी विकास होइ गउआँ में
दुर्गेश भइया जितिहें चुनउआ में

--प्रशान्त मिश्रा दुर्गेश भैया प्रधान का प्रचार

दुर्गेश भैया प्रधान का प्रचार

0 Love

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Anamika

     कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन
      एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन
#tulikagarg
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popular10 updates

 PDF Submission SItes
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0 Love

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Unknown

जिसे हम तिरंगा कहते हैं
वो तो चौरंगा है वास्तव में
इतना बडा़ झूठ कहा किसने
हमको  यूं बरगलाया  किसने
७५ सालों से गलत पढाया किसने
इतिहास को विकृत बनाया जिसने
केसरिया सफेद हरा रंग है तिरंगे का
पर  बीच  में चक्र का रंग तो नीला है
कुल चार रंगों का राष्ट्र ध्वज है अपना
फिर तिरंगा कहना  तो ठीक नहीं है
या हम सब कलर ब्लाइंड हो गये हैं
राष्ट्र ध्वज  हमारी आन बान शान है
उसके सारे रंग हम सबकी पहचान हैं
फिर नीले रंग को हम क्यों भूल गये हैं
अशोक चक्र का रंग क्यों याद नहीं  है
वस्तृत: राष्ट्र ध्वज  के कुल  चार रंग हैं
जो  केसरिया  सफेद हरा संग नीला हैं
यही यथार्थ है और यही पूर्ण सत्यार्थ है
इन्ही चार रंगों में बसा भारत का भावार्थ है


 राष्ट्रध्वज  का सत्यार्थ

राष्ट्रध्वज का सत्यार्थ

0 Love

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share hindi tak

#Rajkapoor  #stockmarket #PDF #Sharehindi
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Gabar Singh Kumai

 #मेरु मुल्क शुभ प्रभात जी प्रणाम

#मेरु मुल्क शुभ प्रभात जी प्रणाम #nojotophoto

2 Love

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parveen barle

#प्रकाश
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S K Sachin उर्फ sachit

शुकून है बहुत तुम्हारे दीदार में
यूँ ही नहीं पागल हूँ तेरे प्यार में
तू मेरे दिल में  समाया हुआ था
और निकले थे हम ढूंढने बाजार में

©S K Sachin #प्रकाश
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Prakash Shukla

हाँथों मे मेँहदी सजी पड़ी है मै कैसे मान लूँ
नशेमन की बिजलियों को मैं कैसे थाम लूँ
फरमाइए दस्तूर दास्तानें मोहब्बत
बड़ी पाबन्दियाँ लगी हैं हुज़ूर मैं कैसे ज़ाम लूँ
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

9 Love

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Prakash Singh

आपसे बातों की वो सिलसिला।।
जब थमने का वो नाम ना ले।।
दिल से दिल का रिश्ता है।।
जब तक कि वो जान ना ले।।
जब तक कि वो पहचान ना ले।। प्रकाश##

प्रकाश##

5 Love

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Prakash Shukla

है प्यार की सीमाओं से परे,जो दर्द दिए ,वो हमने सहे
कोई बात रही न अब बाकी,तुम बिन अब हम ,हम न रहे
जैसे शीप पड़ा हो बिन मोती,उसका कोई अब मोल नहीं
धुन सात सुरों के संगम बिन,जो गीत बने अनमोल नहीं
मैं हूँ बस काया बिन जान,तुम बिन अब हम,कैसे रहें
है प्यार की सीमाओं.................
मैं एक नदी हूँ सूखी सी,जिसमें कोई रसधार नहीं
हूँ मिट्टी की मूरत जैसी,जिसमें झलकता प्यार नहीं
मैं हूँ बस साया तुम प्राण,दिल की बातें हम ,कैसे कहें
है प्यार की सीमाओं..................
मैं हूँ बिन पंक्षी आसमान, जिसमें प्यार के मीठे बोल नहीं
बसते प्यार मे दोनों जहान,जिसका प्यार मे कोई रोल नहीं
मै हूँ अजीब इंसान, बिन प्यार धार के कैसे बहे
है प्यार की सीमाओं...................


#प्रकाश #प्रकाश
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Prakash Singh

कोरे कागज पे तुम शब्द बन कर रहना।।
ताकि जब भी दिल करे।।
तुझे पढ़ लिया करू।। प्रकाश##

प्रकाश##

7 Love

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Prakash Singh

तुझसे इतना प्यार है।।
कि
बता नहीं सकता।।
इस दिल को तुझे पाने की।।
कितनी सिद्घत है।।
ये जता नहीं सकता।।
हो सके तो महसूस कर लो।
ना हों सके तो बाहों में भर लो।। प्रकाश##

प्रकाश##

7 Love

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Prakash Shukla

तेरी हस्ती को मोड़ दूँ तेरी बिसात क्या
तेरा गुरूर तोड़ दूँ मेरे जज्बात क्या
नजरेंं चुराना तेरा हौसला बढ़ाएगी
मै दुनिया को छोड़ दूँ तुम्हारी बात क्या

प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

5 Love

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Prakash Shukla

#OpenPoetry हो मानवता की नींव देश मे हो एक नीति विधान
सम्पूर्ण राज्य हों एक सूत्र हों छद्म स्वरूप निदान
हो रूढ़िवादिता अंत आज विस्तारित हो विज्ञान
संयोग भोग लालसा का रोग मिट जाए रूढ़ि अज्ञान
हो प्रस्ताव एक विश्वास नेक हो लोकतन्त्र संज्ञान
सम्भाव पूज्य हो लोकतन्त्र हित हेतु लोक कल्याण
हो एक देश और एक वेश हो एक भाषा परिधान
एक विशेष और एक शेष न हो ऐसा संविधान
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश #OpenPoetry

6 Love

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Prakash Shukla

माटी के पुतले हम हमें पहचान दिलाता देश
न होते प्रतिष्ठित हम हमें सम्मान दिलाता देश
आया स्वन्त्रता दिवस हमें खुलकर मनाना है
है आजादी का जश्न हमें खुशियाँ लुटाना है
सर्वोच्च शिखर पर राष्ट्र ध्वजा हमको फहराना है
सम्मान मे तिरंगे के हमको अपना सर नवाना है
जिस आजादी की खुली हवा मे हम स्वाँस ले रहे
हैं कैद से आजाद हम हमें एहसास दिलाता देश
माटी के पुतले हम हमें पहचान दिलाता देश............
न होते प्रतिष्ठित हम हमें सम्मान दिलाता देश............
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

4 Love

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Prakash Shukla

#OpenPoetry हूँ सामने खड़ा मैं तेरे आज बनके एक बुत
तुम आप से तलाश लो या तराश लोगे आज खुद
मै कुछ न बोलूँ चुप रहूँगा आज तेरे सामने
असबाब की तरह सजा लो या दिल मे बसा लो आज खुद
दिल मे जगह दो प्यार से या शातिर की तरह निकाल दो
मन मे बसा लो मुझको तुम या नाजिर की तरह सँभाल लो
तुम ही तो मेरा ख़्वाब हो और मै तुम्हारा ख़्वानक़ाह
चाहो जो तुम नज़्मे बनाओ या गाकर सुनाओ आज खुद
हूँ सामने खड़ा मैं तेरे आज बनके एक बुत...........


प्रकाश प्रकाश

प्रकाश #OpenPoetry

4 Love

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Prakash Shukla

ओ रक्षाबंधन ओ रक्षाबंधन
ओ रक्षाबंधन ओओओ
ओ रक्षाबंधन
भाई की मेरी उम्र बढ़े ,सौ साल को मेरा भाई जिए
लग जाए सारी उमर मेरी ,अपने दिल को रख निस्पन्दन
रक्षाबंधन
न भाई की कलाई सूनी हो ,तरक्की भाई की दूनी हो
माँगती रहती भाई के लिए ,करके ईश्वर का वन्दन
रक्षाबंधन
बहना को खुशियाँ हजार मिले ,बहना को अच्छा घरबार मिले
जाए जिस परिवार मे बहना  ,हो गृह क्लेष का खण्डन
रक्षाबंधन
जुग जुग जिए हजारों साल ,मिट जाए दुःखों का काल
हट जाए बहना के परिवार ,के विकास का मंदन
रक्षाबंधन
श्रावणी कोयल बोल रही ,मीठी बातें खोल रही
देख रही पावन रिश्ते को ,रिश्ते हों जैसे चन्दन
रक्षाबंधन
भाई बहन के रिश्तों मे ,प्यार बँटे न किस्तों मे
भाई बहन का प्यार ये, देखो जन्मों जन्मों का बन्धन
रक्षाबंधन
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

3 Love

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Prakash Shukla

2 Years of Nojoto ऐ हवाएँ बहा चल लेकर मुझे
करीब ले चल मुझे बादलों में कहीं
उनसे कहना समेटे मुझे साथ मे
बूँद बनकर बरसना उन्हीं पर कहीं
पलकों पर उनके मै जा गिरूँ
बह के आँखों मे जा आँसुओं से मिलूँ
पूँछ लूँ उनसे उनकी रजा बन्दगी
या सूरमे की तरह आँखों मे खिलूँ


प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

5 Love

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Prakash Shukla

जो स्वतः स्मृति रूपी तारों से गुजरकर 
घन रूपी बादलो विचारों मे सँवरकर
बूँद रूपी स्याही के शब्दों मे बिखरकर
धरती रूपी पृष्ठ सा पन्नों मे निखरकर
हरी भरी भूमि सा लेखन छटा बिखेर जाती है
जो किसी बन्धन मे नहीं किन्तु
स्वतन्त्र अवस्था मे निखरकर
बन्धन मुक्त अवस्था में सँवरकर
शब्द रूपी मोतियों सा बिखरकर
अनेकानेक बाधाओं से गुजरकर
कविता को सजाती है और चार चाँद लगाती है

प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

3 Love

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Akarsh Mishra

प्रकाश का महत्व जानना है ,,,तो एक बार अंधकार से पूछो,,,क्योंकि अंधकार से ज्यादा प्रकाश का महत्व कोई नही जानता 
               (आकर्ष मिश्रा) ## प्रकाश

## प्रकाश

7 Love

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Prakash Shukla

हास्य
एक कवि और कवयित्री मे जंग छिड़ गई
कवि को दुबला देखा तो जाके भिड़ गई
कवि को बोली
आया बड़ा कविता का पाठ सुनाने
आधे पैर कब्र मे और चले दीवाने
यदि मंडली न बैठी होती इधर तो
तुझको अब तक लगा देती ठिकाने
कवि बोला
ठिकाने लगाने वाली ठिकाना तो बता
हर शाम उस गली मे आना हो तो बता
तेरे हाथों मरने को तैयार हैं बैठे पर
दे दे औरत के भेष मे बैठी भैंस का पता
प्रकाश #प्रकाश
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RK SHUKLA

कवि, दीपक और अभिभावक
ये खुदको जितना जलाते हैं
उतना ही प्रकाश फैलाते हैं
PRK प्रकाश

प्रकाश #विचार

6 Love

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Prakash Shukla

बर्फ सी है जमी ,बेरुखी बेबसी,
इनका बेगानापन पिघलना चाहिए
या खु़दा कर रहम,जु़दा इनके करम,
इन दीवानो मे भी इश्क़ होना चाहिये
कुछ तो कर ,ऐ खु़दा
कुछ तो कर
ऐसा दामन भरे खुशियों से
दोनो एक दूजे संग रहें आगोश मे
है ये ज़ालिम डगर
है ये जालिम डगर
चल रही साथ में
इनको मिलना नहीं
किस्मतें लिख रहीं, हैं हाथ मे
मंज़िलों को तो एक दिन मिलना चाहिए
बर्फ सी है जमी........................।
प्यार में,ऐ ख़ुदा
प्यार मे,
दोनों मुरझाई सी कलियों की तरह
न है इसको ख़बर न वो होश मे
है उदासी म़गर
है उदासी म़गर
पल रही भाग्य मे
इनको खिलना नहीं
भौंरा दूर बैठे ,सुमन पराग से
एक फूल प्यार का खिलना चाहिए
बर्फ सी है जमी................................



#प्रकाश #प्रकाश
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Prakash Shukla

है स्तब्ध मन न शब्द हैं,आँख के आँसू हैं सूखे
अंगार मे डूबी हैं आँखे,आज मेरे शब्द रूठे
है हृदय मे घोर कम्पन,खून मे उबाल है
आँख की ज्वाला मे देख,इन्तजार मे काल है
इतना घिनौना कृत्य जालिम, घनघोर तेरा पाप है
हैं क्रुद्ध तेरे कृत्य से,ऐ कात़िल,देखेगा कितना ताप है
आहत हृदय है आँखें हैं नम,निर्लज्ज कहूँ या दरिंदा
तुझ जैसे दुष्टों की बस एक सज़ा, हो फाँसी का फंदा



#प्रकाश #प्रकाश
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