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AK__Alfaaz..
" बेवा,, भारत माँ के लाल की " मुन्तज़िर रही मै.., उनके लौट आने के.., बस इसी कयास मे.., सारी उम्र दहलीज़ पर.., खड़ी रही मै.., बस इसी इन्तजार मे.., वो जो आयें.., तो कर लूँ मै.., उनका दीदार बड़े आराम से.., चाहा था मैने,, सिमट जाऊँ.., मै बाँहों में उनकी बड़े प्यार से.., पर वो तो न आयें.., उनकी ''मिट्टी'' आयी.., "तिरंगे" में लिपट के बड़े शान से.., अश्कों से भीगी मै.., उनकी "मिट्टी" से लिपटी मै.., चेहरा जो देखा मैंने.., "तिरंगा" हटा के.., मानों कह रहें हों.., कर्ज चुकाया मैंने.., अपनी "भारत माँ" के एहसान के.., देख के चेहरा.., अश्कों को पोंछा मैंने.., गुरूर से बोली,, मै भी बन गयी.., "बेवा",,एक "भारत माँ" के लाल की.., #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi #yq#My_own_words_with_my_pen मुन्तज़िर- प्रतिक्षित कयास-अनुमान
AK__Alfaaz..
कौन है दिल-ए-मुंतज़िर अब..हमारे लिए बैठा वहाँ.., जो अश्क़ बहाये रखें..या दामन में छिपाये ले जायें वहाँ.., #जरा_सा_इश्क़_में क्यों करें इन्तज़ार किसी का जब कोई नहीं अश्क़ पोछने वाला.. **मुंतज़िर--प्रतिक्षित.. #yqdidi #yqsahitya #yqtales #yqbaba #yqhi
AK__Alfaaz..
सफ़्हा-ए-हस्ती बड़ी रंगीन थी हमारी.., रंग-ए-निकहत जो हमने अपनी साँसों से भर रखा था.., कोई तो आयेगा रोज़-ए-अजल से पहले हमारी.., सर-ए-राह बनकर मुंतज़िर दर्द-ओ-गम अपना..हमने संभाल रखा था.., #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी ..एक इंतजार बहुत लम्बा.. *रोज़-ए-अजल--day of death *निकहत--महक,खुश्बू *सर-ए-राह--on the road *मुंतज़िर--प्रतिक्षित *स
Shree
तुम-मैं और ये शाम... ढ़ल कर ना ढ़ले ये अहसास, प्रतिक्षित कि सज्ज् सितारों से चमकेगा आकाश। उर मंडप स्थापित तुम्हारी सुवासित छवि-साज, घटित-अघटित पल, अविस्मरणीय एक-एक संवाद। शाम *** तुम-मैं और ये शाम... ढ़ल कर ना ढ़ले ये अहसास, प्रतिक्षित कि सज्ज् सितारों से चमकेगा आकाश। उर मंडप स्थापित तुम्हारी सुवासित छवि-सा
Shree
आज कहेंगे सुबह के सुरज से, या दोपहर की धूप से, या संध्या से अनुरोध... नहीं माने तो बादल से, वो बरस गए तो बारिश से, बूंदे जो सूख गई तो हवाओं से, गुजर गई तो दिशाओं से, सागर की लहरों से, उसकी गहराई से, धरती के कंपन से, मेरे रोम-रोम स्पंदन से, अश्रु और क्रंदन से, गुण, दोष और मुस्कानों से, तारों की कतारों से, निद्रा से, मेरे सपनों से, अनुनय करुॅं मैं तिल-तिल, आपको बस देख आए... हाल मुझे तनिक बतलाये, मुझे क्षणिक शांति मिल जाए, कुछ और दिनों रुक जाएंगे, प्रतिक्षित कब तक जी पाएंगे, कब तक चुप रह पाएंगे !! हम रोज़ इरादा करते हैं, ख़ुद से इक वादा करते हैं... आज कहेंगे सुबह के सुरज से, या दोपहर की धूप से, या संध्या से अनुरोध... नहीं माने तो बादल
Shree
मीलों दूर जब हम बैठे अपने गांव से अधीर प्रतिक्षित क्षण प्रेम के दांव के, ... घड़ी के कांटो को काश हम तभी रोक देते, हसरतें अपनी-अपनी एक बार तो कह देते। /अनुशीर्षक/ मीलों दूर जब हम बैठे अपने गांव से अधीर प्रतिक्षित क्षण प्रेम के दांव के, उस रोज नदी तट पर सांझ रोकने को उद्विग्न आकुल व्याकुल से भाव लिए, कु
Aprasil mishra
" अदीप्ति " **************** मैं अकेला हूॅं भंवर में, उर्मियों में झूमता हूॅं। मृत्यु से परिचित नहीं हूॅं, मृत्यु को पर चूमता हूॅं।।१ मिट गये उत्साह स
Divyanshu Pathak
इन हवाओं में बहती मोहब्बत एहसासों के बादल तो ले आई अब तेरी बारी आई है यारा आ आओ बन जाओ मेरी परछाई ! इन फिज़ाओ में चहकती चाहतें अरमानों की आंधी तो ले आई अब तेरी बारी आई है जाना आ आओ बन जाओ मेरी पुरवाई ! इन दुआओं में खनकती ख़्वाहिशें मुझे इश्क़ के दर पे ले तो आई अब तेरी बारी आई है राधा आ आओ बन जाओ मेरी तन्हाई ! 💕🐱😀😀🌹🌹🌹good night ji🌹💕💕😀💕💞💞🙂💕🐱😀 : कश्मीर के लिए कहा जाता रहा है- ‘अगर फिरदौस बर-रुए ज़मी अस्त। हमीनस्तो, हमीनस्तो, हमीनस्त ॥’ शीघ्र ही देशव