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Prachi dwivedi A real dice🎤🎤

द दरीबा डायरी #waterfall&Stars

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कुछ बातें लफ्जों से नहीं, 
बल्कि आंखों से कही जाती है!!

     
 प्राची द्विवेदी द दरीबा डायरी

#Waterfall&Stars

शिवा भाई शिवा भाई हीरो

रमेश बंजारा डोली कहां खो दरीबा #bye2020

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2021 की आपको ढेर सारी खुशियां मिले ढेर सारी खुशियां मिले

©शिवा भाई शिवा भाई हीरो रमेश बंजारा डोली कहां खो दरीबा
#bye2020

R.S. Meena

#rsmalwar #yqdidi कर्मभूमि है 'रेवत' जालोर, जन्मभूमि है 'खोह-दरीबा' अलवर, से पाँच सौ पन्द्रह किलोमीटर दूर। जिसके लिए है दोनो एक ही, वो कर

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कर्मभूमि है
                                               'रेवत ' जालोर, 

जन्मभूमि है
                                            'खोह-दरीबा ' अलवर, 

पाँच सौ पन्द्रह किलोमीटर दूर।

जिसके लिए है, दोनो एक ही, 

वो करते हैं अपने भाग्य पर गरुर।। #rsmalwar #yqdidi 
कर्मभूमि है 'रेवत' जालोर, 
जन्मभूमि है 'खोह-दरीबा' अलवर,
 से पाँच सौ पन्द्रह किलोमीटर दूर।
जिसके लिए है दोनो एक ही,
वो कर

दक्ष आर्यन

सारी खुबियों की एक पहचान दिल्ली में मेरा सरकारी मकान महफ़ूज़ था जिसमें मेरा सारा सामान दिल्ली में मेरा सरकारी मकान न बिजली की चिंता न पानी की #Delhi #कविता

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सारी खुबियों की एक पहचान
दिल्ली में मेरा सरकारी मकान
महफ़ूज़ था जिसमें मेरा सारा सामान
दिल्ली में मेरा सरकारी मकान

न बिजली की चिंता न पानी की फ़िक्र
सारे खानदान में होता मेरे घर का ज़िक्र
जहाँ रुकने को राज़ी थे मेरे सारे मेहमान
वो था दिल्ली में मेरा सरकारी मकान

बख़ूबी बहुत थी मेरे मकान की कहानी
एक तो सेन्ट्रल दिल्ली ऊपर से राजधानी
इंडिया गेट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा और लाल किला
यह सब बहुत नज़दीक था, यहाँ बहुत स्नेह मिला
दरीबा, दरिया गंज में थी राशन की दुकान
था दिल्ली में मेरा सरकारी मकान

बचपन के जितने खेल थे वो सब यही पे खेले थे
चार पाँच दोस्त थे न हम कभी अकेले थे
जेब मे चाँद भरने की आरज़ू तो तबसे है
नामुमकिन की ज़ुस्तज़ू ने घेरा मुझको जबसे है
आज जो कुछ लिख रहा हूँ यह मेरे दोस्तो के है अहसान
था दिल्ली में मेरा सरकारी मकान

©दक्ष आर्यन सारी खुबियों की एक पहचान
दिल्ली में मेरा सरकारी मकान
महफ़ूज़ था जिसमें मेरा सारा सामान
दिल्ली में मेरा सरकारी मकान

न बिजली की चिंता न पानी की
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