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Satish Chandra
I was walking alone, Thinking for a purpose A purpose that could change my life And then I Saw her standing still The curls in her hairs The mole on her cheeks The spark in her eyes All took me by surprise Before I could utter a word She started approaching me I was stunned as She was almost an inch away And then she held my hands Pointed towards my left and said "उधर तेरी गाड़ी Tow हो कर जा रही है इधर तेरी निगाहें मुझे ताड़ रही हैं" Yes, that moment really changed my life that day Fined - Rs 3000/- for parking in no parking. Was held in prison overnight with a strict warning. #FreakySattyFunny #YQbaba #ChangingLife 😝 लड़की जबराट थी बावा आते-आते दिल हिला गई और जाते-जाते दिमाग की बजा गई। 😂😂
Rakesh Kumar Dogra
Savyasachi 'savya '
खुद को निचोड़ , पूरे घर की प्यास बुझाता है एक शख्स ताउम्र , जीवन का गुर - खास सुझाता है माथे पर पसीना, हाथ में छाले पैर में बावाईयां लिए , वो पिता है .... जो पहली - पहल, दुनियां जीतने का, एहसास दिलाता है...... ©Pt Savya kabir खुद को निचोड़ , पूरे घर की प्यास बुझाता है एक शख्स ताउम्र , जीवन का गुर - खास सुझाता है माथे पर पसीना, हाथ में छाले पैर में बावाईयां लिए ,
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏श्री श्री 1008 सतगुरु श्री बावा लाल दयाल महाराज जी का 667वां जन्मोत्सव :-💐🎂🍨🍎🚩 विक्रमी सम्वत 1412 सन 1356 माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पिता भोला राम कुलीन क्षत्री और माता कृष्ण देवी जी के घर बावा लाल दयाल जी ने जन्म लिया। आठ वर्ष की आयु में ही धर्म ग्रंथ पढ़ डाले। पिता जी ने उन्हें अपनी गाय और भैंस चराने के लिए जंगल में भेजा। नदी किनारे एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे। इतने में साधुओं का एक झुंड उधर आ निकला और उनके प्रमुख संत ने देखा कि कड़कती धूप में भी वृक्ष की छाया में कोई अंतर नहीं पड़ा जबकि दूसरे वृक्षों की छाया अपने स्थान से दूर हो गई है। उनके और निकट आने पर उन्होंने देखा कि बालक के सिर पर शेष नाग ने छाया कर रखी है, इतने में बालक ने उठ कर बड़े महात्मा जी को प्रणाम किया जिनका नाम चैतन्य स्वामी था। उन्होंने बावा लाल को कहा कि बेटा “हरिओम तत सत ब्रह्म सच्चिदानंद कहो’ और भक्ति में हर समय मग्न रहो। इतने में एक शिष्य ने कहा कि सबको भूख सता रही है। इस पर स्वामी चैतन्य जी ने कुछ चावल ले कर मिट्टी के बर्तन में डाले और अपने पांवों का चूल्हा बना कर योग अग्नि से उन्हें पकाया। पल भर में चावल बन गए और सबने खाए। बाद में हांडी को फोड़ दिया और तीन दाने बावा लाल दयाल को भी दिए जिससे उनकी अंतदृष्टि खुल गई और घर आकर माता-पिता से स्वामी चैतन्य जी को अपना गुरु बनाने की अनुमति लेकर उनकी मंडली में शामिल हो गए। कुछ समय उन्हें अपने साथ रखने के बाद उन्होंने बावा लाल जी को स्वतंत्र रूप से भ्रमण की आज्ञा दे दी और उन्होंने धर्म प्रचार जोर-शोर से शुरू कर दिया जिससे दिल्ली, नेपाल, यू.पी.सी.पी. पंजाब में आपके प्रति लोगों का श्रद्धा भाव बढ़ा, इतना ही नहीं काबुल के बहुत से पठानों ने अपना गुरु माना है। सिंध में भी बहुत से मुसलमानों ने उन्हें अपना पीर माना है और उन्होंने उनकी कब्र भी बना रखी है। बावा लाल जी लाहौर से हरिद्वार पहुंचे। गंगा किनारे हिमालय में कई वर्षों तक रह कर तपस्या करने के पश्चात वह गांव सहारनपुर आ गए और उन्होंने गांव के उत्तर की ओर एक गुफा में तप करना प्रारंभ कर दिया। एक बार वह जंगल में घूम रहे थे कि उन्हें प्यास लगी मगर आसपास पानी न होने से एक गाय चराने वाले लड़के से एक बिना बछड़े वाली गाय से ही दूध निकाल कर अपनी प्यास बुझा ली तो इस चमत्कार की खबर सारे क्षेत्र में फैल गई। इनके आश्रम में हिन्दू और मुसलमान आ आकर जब अपनी मनोकामनाएं पूरी करने लगे तो उनके विरोधियों ने सूबेदार खिजर खां के कान भरे कि एक काफिर जादू टोने करके लोगों को गुमराह कर रहा है और भारी तादाद में मुसलमान भी उसके शिष्य बन गए हैं। उनमें एक प्रमुख मुसलमान फकीर हाजी कमल शाह का मकबरा आज भी आश्रम में है। भारत भर में तमाम वैष्णव पूज्य स्थानों में दरबार ध्यानपुर का विशेष पूज्य स्थान माना जाता है। न केवल हिन्दुओं अपितु अफगानिस्तान के मुसलमान पठानों में भी यह पूर्ण आदर भाव पाता रहा है। अंग्रेज शासकों की कूटनीति के कारण देश के बंटवारे के परिणामस्वरूप आज हिन्दू और मुसलमान आपस में उलझ रहे हैं। आज से 660 वर्ष पूर्व हालांकि वैष्णव हिन्दू संत बावा लाल दयाल जी महाराज तथा अन्य कई महापुरुषों ने लगातार एकता के लिए प्रयत्न जारी रखे जिनमें उस समय के मुस्लिम हुक्मरानों ने भी अपना योगदान दिया है। इसमें विशेष कर ताजमहल के निर्माता मुगल शहंशाह शाहजहां और उसके बड़े बेटे राजकुमार दारा शिकोह पेश रहे। दारा शिकोह ने अपनी पुस्तक हसनत-उल-आरिफिन में लिखा है कि बावा लाल जी एक महान योगी हैं। इनके समान प्रभावशाली और उच्च कोटि का कोई महात्मा हिन्दुओं में मैंने नहीं देखा है। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 514 से 525 नाम 514 विनयितासाक्षी प्रजा की विनयिता को साक्षात देखने वाले 515 मुकुन्दः मुक्ति देने वाले हैं 516 अमितविक्रमः जिनका विक्रम (शूरवीरता) अतुलित है 517 अम्भोनिधिः जिनमे अम्भ (देवता) रहते हैं 518 अनन्तात्मा जो देश, काल और वस्तु से अपरिच्छिन्न हैं 519 महोदधिशयः जो महोदधि (समुद्र) में शयन करते हैं 520 अन्तकः भूतों का अंत करने वाले 521 अजः अजन्मा 522 महार्हः मह (पूजा) के योग्य 523 स्वाभाव्यः नित्यसिद्ध होने के कारण स्वभाव से ही उत्पन्न नहीं होते 524 जितामित्रः जिन्होंने शत्रुओं को जीता है 525 प्रमोदनः जो अपने ध्यानमात्र से ध्यानियों को प्रमुदित करते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏श्री श्री 1008 सतगुरु श्री बावा लाल दयाल महाराज जी का 667वां जन्मोत्सव :-💐🎂🍨🍎🚩 विक्रमी सम्वत 1412 सन 1356 माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पि
अनिता कुमावत
नाम में झलकती पवित्रता है शब्दों में दावानल सा दहकता है विवेक से सुनती सबको फिर अपने ज्ञान और तर्क से सच का आईना दिखाती है "राखी " है वो मेरी प्यारी सखी है वो...!!! Dedicating a #testimonial to Rakhi Roy सुनो ना राखी, राखी आने वाली है 😍😍 पर ये राखी किसी को राखी नहीं बाँधती सामने चाहे अपना हो या प
voice x
आज वो अपने घर जा रहा है.. ख्वाहिशों और साजिशों की दस्तक लिए, आज वो अपने दर जा रहा है.. please read in caption 👇 आज वो अपने घर जा रहा है.. ख्वाहिशों और साजिशों की दस्तक लिए, आज वो अपने दर जा रहा है.. आज वो सपनों के शहर का बाशिंदा नहीं, आज वो किसी महजब क