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मोहित "बेख़बर"
कुंद पुष्प देह रंग, भसमी विभूति अंग, जटा में बिराजै गंग, चंद जाके भाल है । गौरा सोहे वाम भाग, कंठ पें है नील दाग, वासुकी गले में नाग,डरो अति विशाल है। करै रोग शोक नास,दास को बधावै आस, मेटैं भव जीव फांस, कठिन जो कराल है। रामे नित जोड़ें हाथ, चरणनि में नावै माथ, भोले भंडारी नाथ, काल हूं के काल है ।। ©Rohit Sharma ##काल के काल "महाकाल"##
Manoj kumar Varshney
अकाल मृत्यु वो मेरे जो काम करें चानडांल के काल उसका क्या करें जो भक्त हो महाकाल बाबा के
Nishith Sinha
अच्छा ये हो कि दीवारों से यूँ कभी, औरों की बातें ना किया करो , क्या पता इन दीवारों के - सच में कान होते हों ?? दीवारों के भी कान होते हैं ?
SHAYARI BOOKS
“काल के भी काल,वो मेरे महाकाल है” आज वो,अतीत वो,वही त्रिकाल है” वही मृत्यु, वही मोक्ष,वो काल के अकाल हैं” भस्म से सुशोभित,जिनका कपाल है” देख क्रोध जिनका,आता भूचाल है” वहीं "नभ",वही "भू",वो अनंत,वो विकराल है” वही तम ,वही प्रभावो महाज्वाल है” काल के भी काल,वो मेरे महाकाल है!” ©SHAYARI BOOKS “काल के भी काल,वो मेरे महाकाल है” आज वो,अतीत वो,वही त्रिकाल है” वही मृत्यु, वही मोक्ष,वो काल के अकाल हैं” भस्म से सुशोभित,जिनका कपाल है” देख
KHINYA RAM GORA
झुठे हैं वो जो कहते हैं कि हम सब मिट्टी के बने हैं " मैं कई अपनों से वाकिफ हूं जो पत्थर के बने हैं .. !! ©khinyaram gora झुठे हैं वो जो कहते हैं कि हम सब मिट्टी के बने हैं " मैं कई अपनों से वाकिफ हूं जो पत्थर के बने हैं .. !!18.1.21