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Axar

महामहिम भीष्म पितामह। #Mythology Courtesy - Vedicboi

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Vivek Singh rajawat

भीष्म पितामह

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"भीष्म पितामह"
अपनी शक्ति की ध्वजा हाथों में लहराता हुआ,
वो बढ़ा अपनो में शस्त्रों को बरसाता हुआ।
कोई नही हैं आज जो रोक पाए वीर को,
दुश्मनों के मध्य भी जो न माने हार को।
जिनको खिलाया था कभी पालने में,
उनको लगा अभी मृत्युलोक पहुचाने में।
नेत्रों को अश्रुओं से भर प्रत्यंचा को चढ़ाया,
हृदय सम्भाल, युद्ध को सत्य धर्म बतलाया।
एक ओर अर्जुन लगे प्राणों से भी प्यारा,
दूसरी ओर कदाचित वचन न टूटे तुम्हारा।
तुमने कसम खाई श्रीकृष्ण को सुदर्शन सम्भालवाने की,
शिखंडी ने भी ठानी तुम्हें अर्जुन के द्वारा मरवाने की।
हैं आज देखो माँ बाण गंगा का प्यार बेटा,
बेबस मृत्यु को व्याकुल बाण शैया पर प्यासा लेटा।
जब प्यासे अधर बुलाते है, तब अर्जुन प्यास बुझाते हैं,
ये कैसे नाते-रिश्ते हैं, पहिये में काल के पिसते हैं।
विवेक सिंह राजावत।

 भीष्म पितामह

Sikendar Kumar

The family whose head is silent like Bhishma Pitamah||जिस परिवार का मुखिया भीष्म पितामह की तरह खामोश है

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पंडित सुधाकर शर्मा

"भीष्म पितामह "

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जिस देश भारत में पितामह
भीष्म से रणधीर थें,
जिनकी प्रतिज्ञा के वचन 
अति घोर थे गंभीर थे।
कुरु वंश संरक्षक बने
जो मीचु को झुठला गए,
पर स्नेहवश निज मृत्यु के
भी भेद को बतला गए।
 वह सोम वंशी शूर क्षत्रिय
धर्म प्राण महान थें,
सद्धर्म हेतु अधीर वह
मानव चरित्र प्रमाण थे। "भीष्म पितामह "

Ek villain

#भीष्म पितामह मन से पांडवों के साथ थे और शरीर से दुर्योधन के साथ #Society

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Kritsan Blaze

गुरु भगवान परशुराम जी के 3 महान शिष्य-: 1.) भीष्म पितामह 2.) द्रोणाचार्य 3.) दानवीर कर्ण #JulyCreators

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Vandana Rana

अपने पापों के फल से तो गंगा पुत्र भीष्म पितामह भी नहीं बच पाये थे और हम सोचते हैं कि गंगा स्नान करने से हमारे सभी पाप धूल जायेंगे! Gangar #Thoughts #Gangariver

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अपने पापों के फल से तो गंगा पुत्र भीष्म पितामह भी नहीं बच पाये थे और हम सोचते हैं कि गंगा स्नान करने से हमारे सभी पाप धूल जायेंगे!

©Vandana rana अपने पापों के फल से तो गंगा पुत्र भीष्म पितामह भी नहीं बच पाये थे और हम सोचते हैं कि गंगा स्नान करने से हमारे सभी पाप धूल जायेंगे! 

#Gangar

Vikas Sharma Shivaaya'

अंतिम *सांस* गिन रहे *जटायु* ने कहा कि मुझे पता था कि मैं *रावण* से नही *जीत* सकता लेकिन तो भी मैं *लड़ा* ..यदि मैं *नही* *लड़ता* तो आने वाली #समाज

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अंतिम *सांस* गिन रहे *जटायु* ने कहा कि मुझे पता था कि मैं *रावण* से नही *जीत* सकता लेकिन तो भी मैं *लड़ा* ..यदि मैं *नही* *लड़ता* तो आने वाली *पीढियां* मुझे *कायर* कहती

 🙏जब *रावण* ने *जटायु* के *दोनों* *पंख* काट डाले... तो *काल* आया और जैसे ही *काल* आया ... तो *गिद्धराज* *जटायु* ने *मौत* को *ललकार* कहा, -- 

" *खबरदार* ! ऐ *मृत्यु* ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना... मैं *मृत्यु* को *स्वीकार* तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं *छू* सकता... जब तक मैं *सीता* जी की *सुधि* प्रभु " *श्रीराम* " को नहीं सुना देता...!

 *मौत* उन्हें *छू* नहीं पा रही है... *काँप* रही है खड़ी हो कर...
 *मौत* तब तक खड़ी रही, *काँपती* रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान *जटायु* को मिला।

किन्तु *महाभारत* के *भीष्म* *पितामह* *छह* महीने तक बाणों की *शय्या* पर लेट करके *मौत* का *इंतजार* करते रहे... *आँखों* में *आँसू* हैं ... रो रहे हैं... *भगवान* मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...! 
कितना *अलौकिक* है यह दृश्य ... *रामायण* मे *जटायु* भगवान की *गोद* रूपी *शय्या* पर लेटे हैं... 
प्रभु " *श्रीराम* " *रो* रहे हैं और जटायु *हँस* रहे हैं... 
वहाँ *महाभारत* में *भीष्म* *पितामह* *रो* रहे हैं और *भगवान* " *श्रीकृष्ण* " हँस रहे हैं... *भिन्नता* *प्रतीत* हो रही है कि नहीं... *?* 

अंत समय में *जटायु* को प्रभु " *श्रीराम* " की गोद की *शय्या* मिली... लेकिन *भीष्म* *पितामह* को मरते समय *बाण* की *शय्या* मिली....!
 *जटायु* अपने *कर्म* के *बल* पर अंत समय में भगवान की *गोद* रूपी *शय्या* में प्राण *त्याग* रहा है.... 

प्रभु " *श्रीराम* " की *शरण* में..... और *बाणों* पर लेटे लेटे *भीष्म* *पितामह* *रो* रहे हैं.... 
ऐसा *अंतर* क्यों?...     

ऐसा *अंतर* इसलिए है कि भरे दरबार में *भीष्म* *पितामह* ने *द्रौपदी* की इज्जत को *लुटते* हुए देखा था... *विरोध* नहीं कर पाये थे ...! 
 *दुःशासन* को ललकार देते... *दुर्योधन* को ललकार देते... लेकिन *द्रौपदी* *रोती* रही... *बिलखती* रही... *चीखती* रही... *चिल्लाती* रही... लेकिन *भीष्म* *पितामह* सिर *झुकाये* बैठे रहे... *नारी* की *रक्षा* नहीं कर पाये...!

उसका *परिणाम* यह निकला कि *इच्छा* *मृत्यु* का *वरदान* पाने पर भी *बाणों* की *शय्या* मिली और .... 
 *जटायु* ने *नारी* का *सम्मान* किया... 
अपने *प्राणों* की *आहुति* दे दी... तो मरते समय भगवान " *श्रीराम* " की गोद की शय्या मिली...!

जो दूसरों के साथ *गलत* होते देखकर भी आंखें *मूंद* लेते हैं ... उनकी गति *भीष्म* जैसी होती है ... 
जो अपना *परिणाम* जानते हुए भी...औरों के लिए *संघर्ष* करते है, उसका माहात्म्य *जटायु* जैसा *कीर्तिवान* होता है।

🙏 सदैव *गलत* का *विरोध* जरूर करना चाहिए। " *सत्य* परेशान जरूर होता है, पर *पराजित* नहीं। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻*

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विष्णु सहस्रनाम एक हजार नाम (आज 860 से 871 नाम  )
860 दमयिता जो यम और राजा के रूप में प्रजा का दमन करते हैं
861 दमः दण्डकार्य और उसका फल दम
862 अपराजितः जो शत्रुओं से पराजित नहीं होते
863 सर्वसहः समस्त कर्मों में समर्थ हैं
864 अनियन्ता सबको अपने अपने कार्य में नियुक्त करते हैं
865 नियमः जिनके लिए कोई नियम नहीं है
866 अयमः जिनके लिए कोई यम अर्थात मृत्यु नहीं है
867 सत्त्ववान् जिनमे शूरता-पराक्रम आदि सत्व हैं
868 सात्त्विकः जिनमे सत्वगुण प्रधानता से स्थित है
869 सत्यः सभी चीनों में साधू हैं
870 सत्यधर्मपरायणः जो सत्य हैं और धर्मपरायण भी हैं
871 अभिप्रायः प्रलय के समय संसार जिनके सम्मुख जाता है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' अंतिम *सांस* गिन रहे *जटायु* ने कहा कि मुझे पता था कि मैं *रावण* से नही *जीत* सकता लेकिन तो भी मैं *लड़ा* ..यदि मैं *नही* *लड़ता* तो आने वाली

GRHC~TECH~TRICKS

#grhctechtricks #Ne #viral #treanding #Sachin SHAYAR ANHAR Advocate MD Aalmeen Khan Sujata jha vishwadeepak Anjali Maurya ***** चोथ

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AK__Alfaaz..

भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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आज दिल के घाट पर,
​प्रेम का मेला लगा था,
​मौनी अमावस्या का...संगम स्नान जो था,
​नैनों की नदियों का जल,
​छलक रहा था...भीगोने को तन प्रीत का,
​आज सभी इकठ्ठा थें,
​पर...सभी मौन थें,
​और.....
​एक दूसरे को देखकर...​
​अपने-अपने,
पश्चाताप के ​नैनों की नदी से,
​निकलने वाले पवित्र जल मे,
​मौन हो स्नान कर रहें थें...
​आज अहंकार का मैल...मन से छूटकर,
​आत्मा को साफ कर रहा था...
​क्योंकि...इस काली अमावस्या के बाद,
​खुशियों का सूरज... दुःख के दक्षिणायन से,
​सुख के उत्तरायण मे जो आने वाला था...।।
​ भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प
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