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santosh bhatt sonu
पा लूँ गर उसे तो खुदा से आस क्या रखूंगा जो खो दिया उसे तो खुद के पास क्या रखूंगा पा लिया तो जन्नत जमीन पर, ना पा सका तो यादें रखूंगा, खोने का एहसास क्या रखूंगा जीते जी मौत सा है उसे खोना जिसे पाया नही है अरमान जब तक वो है, उसके बाद अरमानो की लाश क्या रखूंगा। पा लूँगा #santosh_bhatt_sonu #संतोषआनंद #संतोष_भट्ट_सोनू
DR. LAVKESH GANDHI
दिल की चाहत दिल की चाहत कभी पूरी नहीं होती देखे जो तुमने ख्वाब वह कभी पूरे नहीं होते दिल की हर मांँग पूरी हो जाए यह आसान नहीं होता है मिला है जो तुझको संतोष करना उसी में आसान नहीं होता संतोष #संतोषमपरंसूखम् # #yqsukh #yqaanand # #yqbaba #yqdidi #
Biikrmjet Sing
1. संत जना सुने सुभ बचन।।सर्बव्यापी राम संग रचन।। जिन जाता तिस की एह रहत सत बचन साधु सब कहत।। 2. मुख ते पड़ता टीका सहित।। हिरदे राम नहीं पूर्ण रहित।। 3. रहत अवर कछ अवर कमावत मन नहीं प्रीत मुखों गंड लावत।। 4. कंचन सेओ पॉइये नहीं तोल।।मन दे राम लिया है मोल।। 5. मन बेचै सतगुर के पास तिस सेवक के कारज रास।। सेवा करत होवै नेहकामी तिस को होत प्राप्त स्वामी।। 6. बटाउ सेओ जो लावै नेह।।तां को हाथ न आवै केह।। अर्थ- जब सन्तो ने अपने मुख कमल से परमात्मा के नाम दान के बचन निकाले तो मन सर्वव्यापी राम संग रच गया यानी एक हो गया।। जिन्होंने यह जाना कि साधुओं की शरण मे ही परमात्मा का नाम व हरि कथा व कथन है उनकी यह रहत बन गयी रोज़ हरि कथा सुननी मतलब जप करना व साधु के मुख से सत्य वचन सुना जो भी वाणी वह अपने मुख से उच्चारण कर रहे हैं।।2. मुख से इंसानो द्वारा बनाए टीके यानी ट्रांसलेशन पड़ता है मन पर हृदय रूपी मन मे राम रूपी प्रकाश नहीं हुआ जो कि एक मन के लिये पूर्ण रहत है।।3. प्रकाश को देखने की विधि ओर है जिसमें मन ने लगना है।।पर मन तो त्रय गुण माया में लगा है यानी मुख से किसी एक शब्द का रटन करके मुख से परमात्मा से जुड़ने का यत्न कर रहा है पर परमात्मा तो सहज में चौथे पद में बसा है जिसमें मन न जा कर प्रीत नहीं डालता प्रभु से मुख से ही जुड़ने का यत्न करता है।।4. हीरो के बदले तोल में परमात्मा नहीं मिलता वह मिलता है मन को सन्तो के बचनों में बेच कर फिर नाम ध्या कर राम मोल में मिलता है।।5. जो अपना मन सच्चे गुर यानी नाम ध्यान में प्रकाश पर बेच देता है उस सेवक के फिर कारज परमात्मा खुद सवारता है।। जो ऐसी साधु की सेवा यानी नाम ध्यान करने की सेवा करता है और निष्काम भावना से करता है उसे फिर परमात्मा स्वामी यानी प्रकाश के दर्शन हो जाते हैं।।6. जो परमात्मा को छोड़ कर किसी अन्य जीव की ओर मन लगाता है उसे अंत मे हाथ कुछ भी नहीं लगता यानी उसे जन्म गवा कर जाना पड़ता है।। ©Biikrmjet Sing #संतो_के_वचन
Bheem Bheemshankar
निर्धन कहे धनवान सुखी धनवान कहे सुख राजा को भारी राजा कहे चक्रवर्ती सुखी चक्रवर्ती कहे सुख इंद्र का भारी इंद्र कहे श्रीराम सुखी श्री राम कहे सुख संतो को भारी संत कहे संतोष सुखी बिना संतोष सब दुनिया दुखी ©Bheem Bheemshankar संतोश
Deepa Didi Prajapati
हमारी ग़लती पर हमें, त्यागकर भी , प्रीत की रीत निभाते हैं। संतजन क्रोध कहां दर्शाते हैं? अवगुण जानकर भी प्रेम लुटाते हैं। तभी तो दिल की, गहराईयों में उतर जाते हैं। ©Deepa Didi Prajapati #संतो_की_रीत_सच्ची_प्रीत