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Ek villain
केंद्र पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी सत्र भी भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के मुताबिक देश में 1 और पेड़ आधारित भूभाग का दायरा पिछले 2 वर्ष में वर्ष 2161 1 किलोमीटर की वृद्धि के साथ कम किलोमीटर तक विस्तृत हो गया इससे पहले 2017 की तुलना में 2019 में जंगल और व्यक्तियों के आवरण में 5188 कल में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी आर्थिक विकास के साथ हरियाली कम बढ़ता ग्राफ जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने तथा सतत विकास की अवधारणा को अपनाने की दिशा में भारत सरकार के प्रति दिन को प्रदर्शित करता है हालांकि राष्ट्रीय वन नीति के हिसाब से देश में वनों का ना होना अभी भी चिंता का विषय राष्ट्रीय वन नीति 1988 में देश के 33% भूभाग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है रिपोर्ट के अनुसार अब तक देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में का पौधों की स्थिति का जायजा लेने वाली यह रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी और में जानकारी दी गई रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश कर्नाटक राज्य हैं जिन्हें पिछले दो दशक में अपने प्रदेश में हरियाली बढ़ाने में देश में सबसे आगे रहे हैं वहीं क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है जबकि प्रतिशत में हिसाब से सबसे ज्यादा आगे है ऐसे ही संयुक्त राष्ट्रे रिपोर्ट के अनुसार तीन दशक से दुनिया भर में मैं पिछले तीन दशकों से लगे दुनिया भर में एक अरब एकड़ से ज्यादा जंगल नष्ट हो गए हैं तब भारत में वन क्षेत्र बढ़ने की खबर उत्साहित करती है गौरतलब है कि वनों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया जाए ©Ek villain # वन क्षेत्र में संतोषजनक वृद्धि #jail
Radhika
भारत में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ताजा गणना के अनुसार अब भारत में 3,167 बाघ हैं, जो दुनिया के कुल बाघों का 75 फीसदी से ज्यादा है. कई अन्य देशों में बाघ लगातार घट रहे हैं. ©Radhika भारत में बाघ की संख्या में वृद्धि#nojota #tigershroff #smog
Siddh Hansraj Manda
हम अगर इसी तरह चलते रहे तो बहुत जल्दी चाइना को पीछे छोड़ देंगे ©Siddh Hansraj Manda #जनसंख्या #वृद्धि
Shradha Rajput
जनसंख्या वृद्धि तुम कहते हो महंगाई है तुम कहते रोजगार नहीं जनसंख्या से बड़ा दिया है बार पृथ्वी का शायद पृथ्वी पर इससे बड़ा कोई अत्याचार नहीं कर लिया है कब्जा बनो पर देखें कहीं दिखता अब मैदान नहीं भूखमरी बढ़ रही है देखो खाने को फसल 4 नहीं जनसंख्या का विस्फोट हो रहा शायद पृथ्वी पर अब बचा कुछ खास नहीं वह दिन अब दो नहीं जब इंसान इंसान को खाएगा जनसंख्या ऐसे बढ़ने से एक दिन महा प्रलय आ जाएगा ना होंगे संसाधन कुछ कैसे जीवन यापन हो पाएगा जनसंख्या अगर रुकी नहीं तो धरती का विनाश हो जाएगा अगर रुकी नहीं जनसंख्या वृद्धि तो एक दिन सचमुच खत्म हो जाएगी पूरी सृष्टि।। शारदा राजपूत जनसंख्या वृद्धि# #BoneFire
Ek villain
रूस यूक्रेन युद्ध के बीच अभी अमेरिका के समक्ष आर्थिक वृद्धि और महंगाई नियंत्रण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है अमेरिका में सामान्य महंगाई दर 2% रही है लेकिन फरवरी में यह बढ़कर 7 पॉइंट 9% हो गई है जो पिछले 40 वर्ष में सबसे अधिक है अमेरिका में महंगाई का कारण जनता द्वारा खर्च में वृद्धि की मांग डिमांड में अप्रत्याशित वृद्धि है इससे स्पष्ट है कि अमेरिका अर्थव्यवस्था महामारी के दौर से निकल चुकी है यही कारण है कि यूएस फंड में मौजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए धीमी आर्थिक वृद्धि के जोखिम को स्वीकार किया और महंगाई नियंत्रण को मुख्य लक्ष्य बनाया अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अमेरिका के वर्ष 2022 के अनुमान को 4% से घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया गया इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तरफ से नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि कोविड-19 लगभग सुनने के स्तर पर बनी हुई थी ताकि अर्थव्यवस्था की गति दी जा सके इसके पहले युवक ने दिसंबर 2018 में नीतिगत दरों में वृद्धि की थी परंतु जुलाई 2019 में से वापस कर लिया था भारतीय व्यवस्था करो ना काल से पूर्व ही चुनौतियों का सामना कर रहा है वर्ष 2017 में आर्थिक विकास दर 3% तक पहुंच इस तरह पहले से ही संवेदनशील हालत में पहुंची अर्थव्यवस्था को कोविड-19 का सामना करना पड़ा इस स्थिति में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को कम रखा जिससे सस्ते लोन की उपलब्धि बनी रहे अब भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है और लोगों को वास्तव में सस्ते ऋण की जरूरत है ©Ek villain #अमेरिका ब्याज दरों में वृद्धि का भारत पर प्रभाव #waiting
Anjali Jain
जहाँ जाओ, भीड़ ही भीड़, सड़कों पर, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, स्कूल, मंदिर, पर्यटन स्थल....कहाँ नहीं है भीड़?... और देख - देख कर दांतो तले उंगली दब ही जाती है कि कितनी जनसंख्या है देश की! गली - मोहल्ले में जाओ तो भीड़! जनसंख्या का भयंकर विस्फोट है! जो बुद्धिमान और विवेकवान है वे तो परिवार को सीमित रखते हैं और दो बच्चे... दो क्या वे तो एक बच्चे तक ही परिवार को रखने लगे हैं लेकिन उनका क्या जो कीड़े - मकोड़े की तरह रेंगते हुए जीना चाहते हैं वे ही देश में भीड़ बढ़ा रहे हैं, उनके घरों में जाओ तो वहां भी भीड़! देखा जाए तो जिनके घरों में भीड़ है उनकी ही आर्थिक हालत भी दयनीय है! जो सीमित परिवार रखते हैं वे खुशहाल जीवन जीते हैं इसलिए व्यक्तिशः तो व्यक्ति स्वयं सोचे कि वह स्वयं को और बच्चों को कैसा जीवन देना चाहता है - स्वर्ग से सुंदर या नारकीय कीड़ों सा जीवन! सरकारी स्तर पर जरूर अब कड़ा कानून बनना चाहिए P. T. O. #जनसंख्या वृद्धि #12. 07.20 #StreetNight