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New हुँ मतलब Quotes, Status, Photo, Video

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Nagvendra Sharma( Raghu)

बहुत गहराई में गिर कर मैं फिर से खड़ा हो सकता हुँ, मतलब हिज्र में गिरा मैं, तो हिज्र से बड़ा हो सकता हुँ ।। -:नागवेन्द्र शर्मा (रघु) nagvendr #Lafz #iknow #Nowords #hijr #deepfeelings #nagvendrasharma #mewithmyself

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बहुत गहराई में गिर कर मैं फिर से खड़ा हो सकता हुँ,
मतलब हिज्र में गिरा मैं, तो हिज्र से बड़ा हो सकता हुँ ।। बहुत गहराई में गिर कर मैं फिर से खड़ा हो सकता हुँ,
मतलब हिज्र में गिरा मैं, तो हिज्र से बड़ा हो सकता हुँ ।।
-:नागवेन्द्र शर्मा (रघु)
#nagvendr

prakash

जो सीखता हुँ वही लिखता हुँ #शायरी

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ना मैं शायर अव्वल दर्जे का 
ना मैं महफिलों मे दीखता हुँ 
ज़िंदगी से जो सीखता हुँ 
बस वही लिखता हुँ.... जो सीखता हुँ वही लिखता हुँ

prashant singh

#उनको पाता हुँ फिर खो देता हुँ ! #शायरी

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जब कुछ बोल नहीं पाता हुँ तो रो देता हुँ, 
उसको 'पाता' हुँ और फिर खो देता हुँ |
मेरे कपड़े मेरे बिस्तर मेरा तकिया,  
सब भीग चूका है मेरे आँसुओं से |
थक जाता हुँ हर रोज !
फिर इनको धो देता हुँ ||
                   Stylo... #उनको पाता हुँ फिर खो देता हुँ !

सलीम खान

जिंदा हुँ।

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गेरो मे इश्क़ ढूंढते हो अपनो में जवाब !!
तुम हक़ीक़त में ऐसी हो या पहना है कोई नकाब??
-सलीम जिंदा हुँ।

रोहित पाण्डेय

#मैं_बाज़ार हुँ।

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mute video

disambar singh

परेशान हुँ। #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz तुझसे नराज नही जिन्दगी परेशान हुँ।

ajay panday

बर्बाद हुँ

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एक ही तो हवस रही है मुझे 
खुद को बर्बाद करने की 
आज मौका मिला है तो क्यों 
छोड़ा जाए बर्बाद हुँ

Rukhsar Khanam

#काजल लगा रही हुँ बिदिंया लगा रही हुँ #शायरी

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काजल लगा रही हुँ बिदिंया लगा रही हुँ 
तेरी राह तकते सनम मैं खुद को सजा रही हुँ
 ✍️मेरे अल्फाज़✍️

©Rukhasar Khanam #काजल लगा रही हुँ बिदिंया लगा रही हुँ

Zaheen Parveen Shah

अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ #Winters #कविता

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अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ                              जिंदगी के इस सफ़र पर खुदकी ही साथी हुँ               जो छुट गया उसके लिए एक याद पुरानी हुँ,                और जिसे आंखो में बसा लिया उसके लिए काजल  की तरह नूरानी हुँ                                                   बेशक अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ!!                 जो मुज़ाबानी याद हो जाये एक ऐसी ही कहानी हुँ       बारिश के मौसम में इंद्रधनुष की तरह सुहानी हुँ,       दिल और दिमाग के अक्सर ही फ़ाश जाती हुँ        और खुदके फेसले से कभी- कभी खुद ही रूठ जाती हुँ                                                                  बेशक अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ!!                जिनके दिल हुँ उनको दिल से लगा कर राखती हुँ, और जिने नहीं पसंद उनसे भी हँस कर हाथ मिलती हुँ , आंखों की नमी और चेहरे की उदासी को हसी में बदलना चाहती  हुँ, फ़ना होने भी अपनी कविता से लोगों के दिलों में धढकना चाहती हुँ!!

©Zaheen Parveen Shah अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ

#Winters

anshu writes

#हंस तो रही हुँ,,, ठीक तो हुँ मैं ......? #कला

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शोर और ख़ामोशी बेजुबान जानवरों से रिश्ता रखना पसंद है मुझे,,,

जुबान वाले लोगो से दूरी चाहती हूं मैं,,,

ज्यादा भीड़ से डरती हूँ मै,,,

3 दोस्तो से गहरी दोस्ती रहती हूँ मैं।। #हंस तो रही हुँ,,, ठीक तो हुँ मैं ......?
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