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Shyam Rai
याद नहीं क्या क्या देखा था सारे मंजर भूल गए उसकी गलियों से जब गुजरे अपना भी घर भूल गए अपना भी घर भूल गए #शायरी #ग़ज़ल #shyari
Neil Sharma
एक ही तो ख्वाहिश थी मेरी,तेरे सांथ-सांथ चलने की ! लोग डोली तेरी उठा ,मेरा जनाजा उठाना ही भूल गए l छोटे शायर भूल गए .......
Shashi Bhushan Mishra
उम्र का भी ख़याल भूल गए, ज़रा सी पी नशे में झूल गए, घेरा आकर बीमारियों ने जब, जानकार हाथ-पांव फूल गए, अकड़ते थे कभी बुलंदी पर, बंद मटके में बनके धूल गए, बात आदर्श की करने वाले, ख़ुद ही कैसे भुला उसूल गए, त्याग की बात सिखाने वाले, दान और दक्षिणा वसूल गए, धर्म के नाम पर धंधा खोला, ब्याज के साथ डूब मूल गए, साक्ष्य मौजूद हृदय में गुंजन, जिसने देखा वही कबूल गए, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #भूल गए#
Ramesh Kumar
कागज की कश्ती , तूने भी बनाई होगी। बारिश के पानी मे खूब दौड़ाई होगी। खूब मजा आया होगा। जिस दिन ये दोडी थी। कभी तूने किसी गोपी की। मटकी फोड़ी थी। बड़े प्यार से लोग तुझे गोद मे उठाते थे। तुझे देख देख कर घण्टो मुस्कराते थे। वो मेले की जिद तूने भी करी होगी। पहली बार मम्मी भी थोड़ी डरी होगी। पापा के कंधों ने उस दिन सारा मेला दिखाया होगा। महंगे खिलौनों से तुझे उस समय खिलाया होगा। याद है एक दिन तू बीमार हुआ था। पापा उस दिन बडा परेशान हुआ था। मम्मी भूखी प्यासी मंदिर में जाती थी। तू जल्दी ठीक होगा यही दिलासा पाती थी। आज हम अपने जीवन मे मशगूल हो गए है पापा के चश्मे लाना भी भूल गए है। भूल गए हम उनकी आंखों के पानी को। भूल गए हम उनकी अमर कहानी को। भूल गए............. रमेश कुमार रमेश कुमार भूल गए
Ramesh Kumar
कागज की कश्ती , तूने भी बनाई होगी। बारिश के पानी मे खूब दौड़ाई होगी। खूब मजा आया होगा। जिस दिन ये दोडी थी। कभी तूने किसी गोपी की। मटकी फोड़ी थी। बड़े प्यार से लोग तुझे गोद मे उठाते थे। तुझे देख देख कर घण्टो मुस्कराते थे। वो मेले की जिद तूने भी करी होगी। पहली बार मम्मी भी थोड़ी डरी होगी। पापा के कंधों ने उस दिन सारा मेला दिखाया होगा। महंगे खिलौनों से तुझे उस समय खिलाया होगा। याद है एक दिन तू बीमार हुआ था। पापा उस दिन बडा परेशान हुआ था। मम्मी भूखी प्यासी मंदिर में जाती थी। तू जल्दी ठीक होगा यही दिलासा पाती थी। आज हम अपने जीवन मे मशगूल हो गए है पापा के चश्मे लाना भी भूल गए है। भूल गए हम उनकी आंखों के पानी को। भूल गए हम उनकी अमर कहानी को। भूल गए............. रमेश कुमार भूल गए
Abhishek Tiwary
किया तो था वादा उसने, बस निभाना वो भूल गए। करके इश्क़ वो हमसे , जताना हीं भूल गए , पहले रूशवा हुए वो हमसे, फिर मनना हींंं भूल गए। जब लगी आग चाहतों की वो बुझाना हीं भूल गए। 🖋 अभिषेक तिवारी भूल गए