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Zakhmi shayar
ये मुझे क्या हो गया है याद करके अचानक उसे रोने लगते हैं आँखे बंद रहती है मगर उसकी तस्वीर देखने लगते हैं #रोने लगते हैं
Ombir Kajal
गांव से नाता टूट रहा, अब शहर अच्छे लगते हैं, अपनों में अपनों वाली बात नहीं,इसलिए गैर अच्छे लगते हैं। सच कहूं तो जरूरत के ही, मीत रह गए सारे, चलते रहे तब तक ही सबको, हाथ पैर अच्छे लगते हैं। वक्त वक्त की बात है भैया, गर्मी में जो नहीं सुहाते, सर्दी पड़ते ही सबको, ये दोपहर अच्छे लगते हैं। अपनों की तो मीठी बातें, भी लगती है कड़वी, चापलूस घोलते कानों में,बस जहर अच्छे लगते हैं। मालूम है सबको यहाँ से एक दिन,खाली हाथ ही जाना है, अहंकार में आकर फिर भी बांधने, बैर अच्छे लगते हैं। 'ओमबीर काजल' मैं भी हिस्सा, ऐसे ही परिवार का, खून वही, पर सोच नई, सब खैर अच्छे लगते हैं। ✍Ombir Kajal✍ ©Ombir Kajal अच्छे लगते हैं
Shashi Bhushan Mishra
Person's Hands Sun Love इंसाँ दिल के सच्चे अच्छे लगते हैं, प्रेम में सारे नखरे अच्छे लगते हैं, औलादों की उम्र कहाँ बढ़ती यारों, माँ-बाप के आगे बूढ़े बच्चे लगते हैं, जब कोई उम्मीद से रहती है प्यारी, उन्हें टिकोले कच्चे अच्छे लगते हैं, आसमान में होड़ लगी है उड़ने की, पंख परिंदे पर ही अच्छे लगते हैं, मामूली सी दौड़ लगाकर थक जाते, बाजों पर परवाज़ भी अच्छे लगते हैं, ख़ामोशी से बढ़ो लक्ष्य की ओर सदा, जश्न बुलंदी पर ही अच्छे लगते हैं, गदहे के सिर पर देखा है सिंग कभी, नंदी पर ही सिंग भी अच्छे लगते हैं, गरल रहित सांपों से गुंजन कौन डरे, क्षमाशीलता वीर पे अच्छे लगते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अच्छे लगते हैं#
Prashant Mishra
कहानी छोटी लगती है , कथानक छोटे लगते हैं ये उपमानों के सम्बोधन,भयानक छोटे लगते हैं कोई चंदा कहे तुमको, कोई मृगनयनी कहता पर तुम्हारे रूप के आगे, ये मानक छोटे लगते हैं --प्रशान्त मिश्रा छोटे लगते हैं
Nikhil Kumar
थोड़े से पागल और अक्ल के कच्चे लगते हैं। मगर जैसे भी हैं बड़े अच्छे लगते हैं। बड़े अच्छे लगते हैं#
Ashish Mishra
कुछ नज्म अधूरी ही अच्छी लगती हैं। कुछ रिश्ते पुराने ही अच्छे लगते हैं। माना कि समय के साथ बदलाव जरूरी है। मगर कुछ रिश्ते ताउम्र एक से ही अच्छे लगते हैं। #अधूरेख़्वाब #अच्छे लगते हैं
Prashant Mishra
सोशल मिडिया को अपना संसार समझने लगते हैं Whatsapp,Insta,Fb को घरबार समझने लगते हैं आज भी हैं मेरे जैसे मासूम बहुत से लड़के जो दो दिन की चैटिंग को सच्चा प्यार समझने लगते हैं --प्रशान्त मिश्रा प्यार समझने लगते हैं