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Narendra Sonkar

"यूं मौज मारे पार्टियां" #Dream #शायरी

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वोट लेने के सिवा ख्यालों-खबर लेती नहीं

देश जाये भाड़ में यूं मौज मारे पार्टियां

©Narendra Sonkar "यूं मौज मारे पार्टियां"

#Dream

HP

पर्चियां

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आँखें मूंदूँ तो तेरा चेहरा याद आता है, बन्द आँखों में तेरी तस्वीर सजाए बैठी हुँ
खुली आँखों में तदवीर छुपाए बैठी हुँ
लॉक डाउन खुला तो पर्चियां थमा  दूगी..! पर्चियां

Shivraj Solanki

देखो - देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

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लोकतंत्र से लोकतंत्र बिगाड़ने चली
संविधान को मिटा, संविधान बचाने चली
बोलने की आजादी का फायदा उठाने चली
देखो -देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

जो विशेष राज्य का दर्जा मांगा करती थी
आज उसकी ममता देश को बचाने चली है
अरे कहीं तो इन्हे सरकार की बेबाकी खली है
देखो - देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

आज इनके दिल से दिल की बात निकली है
इसी लिए इनके हाथों में फ्री कश्मीर की तख्ती है
इसका साथ दे रही पार्टियां भी, शायद इसमें मिली है
देखो - देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

एक बात बताओ, देश की सेना से सबूत मांगने वालों 
मांगे नागरिकता का सबूत ये बात क्यों नहीं पचती है
देखो - देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

  शिवराज खटीक देखो - देखो पार्टियां संविधान बचाने चली है

Pawan

लड़कियों के लिए खतरनाक नववर्ष की पार्टियां #कविता

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Ghanshyam meena

पापा की पारियां #शायरी #nojotophoto

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 पापा की पारियां

SK Poetic

#Books क्या सच में अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक पार्टियां आतंकवाद फैला रहे हैं? #विचार

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बहुत खुशी होती है यह कहते हुए कि हम सभी आजादी की सांसे ले रहे हैं।लोकतंत्र का शासन चल रहा है।पर यह कैसा लोकतंत्र है जहां एक तरफ तो जनता को उसके अधिकारों का एहसास कराया जाता है वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां जनता को अपने पैरों तले कुचल रही है।इसे लोकतंत्र कहे या स्वार्थ तंत्र।
क्या सही है क्या गलत, ये विचार करना छोड़ दिया
कुर्सी के लिए हमने तो,अपराध से नाता जोड़ लिया
एक तरफ सैनिकों को देश का पहरेदार बनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके ही कारनामा पर सवाल उठाते हैं। ये कैसी राजनीति है जहां कुर्सी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता। देश आजाद है या गुलाम ये सभी समझ नहीं आता।महाराष्ट्र के मुंबई में पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएं घटी उससे ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक पार्टियां अपना सिक्का जमाने के लिए मासूम लोगों की जान से खिलवाड़ कर सकती है।यह विचारधारा हमारे देश को आंतरिक रुप से कमजोर करती जा रही है।आज देश की जो हालत है उसमें जरूरत है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर आतंकवाद का सामना करना कि स्वार्थ की राजनीति पर अपनी रोटियां सेके।

©S Talks with Shubham Kumar #Books क्या सच में अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक पार्टियां आतंकवाद फैला रहे हैं?
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