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रतनेश पाठक_ Protest Writer
जिस आँचल से खेल रहा तू, मेरे तन का कफन है बाबू और ये तेरा खेल आखिरी, सांसें मेरी दफन है बाबू अब तुझको ये गोद ना मिलनी, ना मिलनी तुझको आँचल ये लल्ला तुझको छोड़ के मइया, इस दुनियाँ से विदा हुई दुनियाँ जो कि निष्ठुर है, सीने में जिसके हृदय नहीं जहाँ वास नही है इंसानों का, हैवानों से कायर सब पापी सारे अत्याचारी, मैं अकेली अबला नारी सब कहते हैं भूख ने मारा पर लल्ला जब तू काबिल होना, प्रश्न ये जोर से दोहराना क्या भूख ने मुझको मारा था, या हत्यारा न्यायाधीश था बैठा या समाज के सेवक सारे, ज्ञानी खुद को कहते जो और महलों में हैं रहते जो किसने मुझको मारा था , क्या भूख ने मुझको मारा था चुन चुन के हिसाब तू लेना ,हर दिन का इंसाफ तू लेना, पूछना सत्ताधीशों से क्या भूख ने मुझको मार था कैसी तेरी परवरिश हो , कैसे तेरे दिन बीतेंगे किसकी गोद मे सिर रख के तू, लल्ला मेरा सोएगा मृतशय्या पर पड़ी हुई हूँ, दिल पर तेरे पास है लल्ला रोती हूँ मैं बिलख बिलख कर, जब भी छूता कफन तू लल्ला काश कफन में जान भी होती, तुझको गले लगा मैं लेती और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसें फिर मैं लेती और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसे फिर मैं लेती ।। 👆 मेरी कलम कुछ कहती है 👆 😢 रतनेश पाठक 😢 #nojoto #nojotoHindi #poem #protest #heartless #निरंकुशता
Niklesh express Singh Yadav
भारतीय नेताओं की निरंकुशता #NojotoPhoto
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
divya...
इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ... होगे एक - आध भी उनके जैसे अगर... तो उनको चैन का जीवन नहीं... लोगो को प्रेम का हर दस्तूर झुटा लगता है... क्योंकि उन्होंने कभी किसी से .... सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...
Kumar Gunjan
"सफलता" कभी भी अर्थ शिक्षा, पद या गरिमा द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकती सफलता एक संतुष्टि हैं, जिसे आप निर्धारित करते है। सफलता का अर्थ
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।