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ViRaj
खेजड़ी की छांव में बैठी हुई तुम जब कॉल करती थी... आवाज के साथ.. वो झूले का एहसास होता था. ... तुम मेरे बालों को सहला रही होती थी.. और मैं ना होते हुए भी. तेरे पास होता था... ViRaj ©ViRaj # खेजड़ी तले प्यार
Pooja Sharma
बीरबल की खिचड़ी ~ Birbal Ki Khichdi Story In Hindi दोस्तों आप सब ने हिंदी में एक कहावत सुनी होगी "बीरबल की खिचड़ी पकाना ", क्या आप जानते हैं कि इस कहावत के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। ये कहानी अकबर और उनके नवरत्न बीरबल से जुडी है। इसी कहानी के आधार पर प्रसिद्द कहावत "बीरबल की खिचड़ी पकाना" का उपयोग शुरू होता आया है। कहानी इस प्रकार है: एक दिन बादशाह अकबर ने घोषणा की, कि जो आदमी सर्दी के इस मौसम में नदी के ठण्डे पानी में रात-भर खड़ा रहेगा, उसे शाही खजाने से पुरस्कृत किया जायेगा। इस घोषणा को सुनकर एक गरीब धोबी ने सारी रात नदी में खड़े-खड़े बिता दी और अगले दिन बादशाह के दरबार में आकर इनाम मांगने लगा। बादशाह ने उस धोबी से सवाल किया, क्या तुम बता सकते हो किस शक्ति के सहारे तुम रात नदी में खड़े रहे ? धोबी ने अदब के साथ जवाब दिया, आलमपनाह, मैं कल सारी रात महल की छत पर जलते हुए चिराग को देखते रहा। उसी की शक्ति से मैं सारी रात नदी में खड़ा रह सका। बादशाह ने उसका जवाब सुनकर कहा, इसका मतलब तो यह हुआ की महल की रोशनी की आंच की गरमी के कारण तुम सारी रात पानी में खड़े रह सके, इसलिए तुम इनाम के सच्चे हकदार नहीं हो सकते। धोबी उदास हो गया और बीरबल के पास जाकर निराशा भरे स्वर में बोला, दरबार में बादशाह ने इनाम देने से इंकार कर दिया है। धोबी ने इसका कारण भी बीरबल को बता दिया। बीरबल ने गरीब धोबी को सांत्वना देकर घर भेज दिया। बादशाह ने अगले दिन बीरबल को दरबार में न पाकर एक खादिम को उन्हें बुलाने के लिए भेजा। खादिम ने उन्हें आकर सूचना दी, बीरबल ने कहा है कि जब उनकी खिचड़ी पूरी पक जाएगी तभी वह दरबार में आ सकेंगे। बादशाह को यह सुनकर बड़ा अचरज हुआ। वह अपने दरबारियों के साथ बीरबल के घर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि दो लम्बे बांसों के ऊपर एक हंडिया में चावल रखकर उसे लटकाया गया है और नीचे जमीन पर आग जल रही है। बादशाह ने तत्काल पूछा, बीरबल, यह क्या तमाशा है ? क्या इतनी दूरी पर रखी हंडिया में खिचड़ी पक जाएगी ? हुजूर जरूर पक जाएगी। बीरबल ने उत्तर दिया। कैसे ? बादशाह ने कौतूहलवश पूछा ? जहाँपनाह बिल्कुल वैसे ही जैसे महल के ऊपर जल रहे दिये की गर्मी के कारण धोबी सारी रात नदी के पानी में खड़ा रहा। बीरबल ने कहा। बादशाह अकबर बीरबल का यह तर्कसंगत उत्तर सुनकर लज्जित हुए। उन्होंने तुरन्त धोबी को ढूंढ लाने और पुरस्कृत करने का आदेश जारी कर दिया। जब लोगों को ये बात पता चली तभी से "बीरबल की खिचड़ी " एक कहावत के रूप में प्रचलित हो गयी। जिसका सीधा-सा-अर्थ यह है कि किसी आसान काम को बहुत मुश्किल बताना या फिर किसी छोटे से काम को करने में बहुत अधिक समय लगा देना| ©Sandeep Sharma बीरबल की खेचड़ी
Dilip Kumar
"पूस का महीना हर तरफ ओस की बौंछार। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों की भरमार। तिलकुट की मिठास और अपनों का प्यार। मुबारक़ हो सबको खिचड़ी का ये त्यौहार।" @दिलीप 'फ़रेन्दवी'✍ #खिछड़ी
RATHORE VAIBHAV
खिचड़ी अगर बर्तन में पके तो ठीक कर देती है पर अगर दिमाग में पके तो इंसान को बीमार कर देती हैं । #खिचड़ी
Mohan Sardarshahari
खिचड़ी के चार यार पापड़,घी,दही, अचार जाड़ों का दिन, सर्दी अपार मिल गये पांचों एक थाली में अब काहे का इंतजार।। ©Mohan Sardarshahari खिचड़ी
Babli BhatiBaisla
दूसरों की कद्र करने से ही कद्र होती है जमाने में हजारों घूमते हैं सेकेंड नहीं लगेंगे हेकड़ी उतारने में बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla हेकड़ी
RAVINANDAN Tiwari
खिचड़ी परोसता मैं कभी कभार तहरी साधारण शब्दों में सरल बातें नहीं गहरी शब्दों की माला बनाता बहुरंग सतलहरी कसता न कायदे छंद चाह न पाऊँ दस्तुरी डोरी तान गाता बेताल मृदंग संग कजरी मिले अनंत उमंग संग बैठे जो एक लहरी लय मिले संग संगत बैठे जो बिछा दरी ! #खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
दिल की आवाज़ ऐ सुनो ! मेरी नहीं अपनें दिल की आवाज़ और कौन यही तो असली हमराज़ पाओगे राह में तुम सारे कारसाज़ प्रफुल्लित हो मन बन जाओ दिलसाज़ बावरा मन बेलगाम जड़ सारे खाज भलमानष को बना देता दगाबाज़ रंगा जो रंग रोगन से मन बने रंगबाज़ सुनो दिल की सजेंगे सुनहरे साज़ ऐ सुनो मेरी नहीं अपनें दिल की आवाज़ #खिचड़ी