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Chandan Kumar
Religion धर्म व्यक्ति के खुद का चुनाव है । जिस तरह से कुम्भकरण ने अपने भाई के गलती को जानकर भी भाई के लिए लड़ना खुद के लिए धर्म समझा , क्योंकि ये उसका चुनाव था , रावण ने अपनी बहन के अ
Rustam Ali Anjum
आओ तुम्हे सुनाता हुँ मै रामायण कलयुग की ! देखो कितनी बदल गई है , आज रामायण सतयुग की ! न राम जैसा बेटा है ,न दशरथ जैसा पिता ! बदल गई है आज की नारी ,नहीं है कल की सीता ! बिवीक्षण जैसा भेदी यहां ,हर घर मे मिल जाएगा ! लक्ष्मण जैसा भाई यहां ,ढूंडने पर भी नहीं मिल पाएगा ! कैकई से कड़वे बोल आज ,हर घर मे बोले जाते है ! कुटुंब मे एक दूसरे खिलाफ ,जहर घोले जाते है ! हनुमान जैसा भक्त और अब सुग्रीव सा मित्र कहा से लाउ ! जो समझा दे तुम्हे धर्म की परिभाषा ,वो चित्र कहा से लाउ ! सदभावना आस्था मे तनमन भोगना पड़ता है ! धर्म के लिए राज छोड़ कर वन भोगना पड़ता है ! शायर रुस्तम अली अंजुम (Rmk) #Ram_Navmi आओ तुम्हे सुनाता हुँ मै रामायण कलयुग की ! देखो कितनी बदल गई है , आज रामायण सतयुग की !
saurabh
हम तो खुद से टूटे ही हैं तुमको नया सहारा होगा गर कोई रस्मों में बंधेगा तो हमसे प्यारा होगा वो लहरों की मार सहेगा जिसकी खुद पतवारें होगी हम नदिया के भंवर रहेंगे , कोई और किनारा होगा कहती है यह सहज कठिनता जीवन कितना प्यारा होगा जिस पथ तुम ही तारें होगे हर पथ पर अंथियारा होगा कुछ मन में होंगी सौगातें जो हम को ना दे पाओगै
Vikas Kumar Chourasia
हे ईश्वर तेरे नाम पे, क्या ढोंग रचाया जाता है। तरह-तरह के प्रपंच बेच,"हर धर्म में" पुण्य कमाया जाता है ।। कुछ उदाहरण- 1. कौए को, पितरों का प्रतीक बताकर भोजन कराते हैं, खुद को कौआ जो बोल दे कोई तो आग बबूला हो जाते हैं। 2. प्रभु ही जीवन दाता है, मस्जिद चर्च में गला फाड़ फाड़ के चिल्लाया जाता है। फिर ईद बकरीद क्रिसमस को क्यों बेजुबां के खून से रंगा जाता है? 3. नवरात्र के नौ दिन ना बाल बनवायंगे, ना मदिरा माँस खायेंगे, ना जाने इन नौ दिनों के बाद कौन सा ईश्वर बेजुबां की हत्या की इजाजत दे जाता है? 4. ये सिर्फ ढोंग है हर धर्म का, देखोगे तो इसमें छुपी खुद की भूक, अय्याशी है। फिर भी हर धर्म के पंडित कहते हैं, हमारे धर्म में आज़ादी है। 5. नहीं मानता ऐसे प्रभु को जो पाप करवा के खुश होते हैं, मैं तो मानू ऐसे प्रभु को जो सिर्फ आराधना से खुश होते हैं। 6. हकीकत में मनुष्य सिर्फ दिमागी बुखार में उलझा है,और खुद को कहता पढ़ा लिखा दिमागदार सुलझा है। 7. अगर कोई तुम पे वार करे तो निश्चित तुम प्रहार करो, पर महज अपने पेट और अय्याशी के खातिर, बेजुबां पे ना अत्याचार करो। 8. हर धर्म के ढोंगी पंडितों के द्वारा सबको दिमागी रूप से डराया जाता है, तुम ये नहीं करोगे तो ये होगा, वो नहीं करोगे तो वो होगा। अगर उसपे सच में यकीन है, तो यकीन मानों कुछ ना होगा। धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।। 🍁विकास कुमार🍁 धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।।
Srashti Gauri Agrawal
"कभी आशा की 'खुशी' कभी निराशा का 'गम' कभी कुछ खोकर कभी, कुछ पाने की आशा शायद यही है जिंदगी की परिभाषा।" ©Srashti Gauri Agrawal जिंदगी की परिभाषा।
Asmita Rana
हिंदी दिवस प्यार की कोई भाषा नहीं होती ना ही कोई जात ,धरम होता है। कहने को तो सिर्फ ढाई अक्षर होते है प्रेम में, मगर इसका अर्थ अनमोल होता है। प्रेम के अनेक स्वरूप दिखते है इस दुनिया में, एहसास और विश्वाश ये दोनों जिसकी निब है। एहसास जो कोसो दूर रहकर भी उस इंसान और उसके दर्द को महसूस कर ले। विश्वाश वो है जो पत्थर को भी अपने प्रेम से मूर्ति करदे। बस मेरे लिए यही प्यार है।। #Asmita #प्यार की परिभाषा
Pragya Amrit
गुरु की परिभाषा, बस ज्ञान की अभिलाषा। खोजोगे जब तुम गुरु, सीखना कब हो शुरू। जो नया कुछ भी सीखा दे, जो थोड़ा अग्रसर बना दे। सिख लों उस पल सदा, कर अहम को विदा। ज्ञान पूरा हो कभी ना, ये तो सिंधु से भी गहरा, जितना डूबोगे भंवर में। खिचेगा ये और उतना।। बाल्य,तिनका,चींटी सीखा दे, चीज छोटी हो कोई ना। हर ओर प्रभु की जैसे माया, पत्थर में भी हैं गुरु समाया।। #गुरु की परिभाषा.......