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RAHUL VERMA
देश आजाद हुए 70 साल हो गए। लेकिन इस्लाम में ‘हलाला’ पर अब तक हो-हल्ला हो रहा है। सालों से यह रस्म मुस्लिम औरतों का शोषण कर रही है। अजनबियों के साथ उन्हें एक रात के लिए हम बिस्तर होने को मजबूर करती है। उन्हे नापसंद होते हुए भी संभोग करना पड़ रहा है, सिर्फ इसलिए कि उनकी जिंदगियों में खोई खुशियां लौट आएं। लेकिन धर्म के ठेकेदारों ने मजहबी आड़ में नियम-कानून को धंधा बना लिया। वे एक रात का शौहर बन औरतों को तलाक देते हैं, ताकि वे पहले शौहर से दोबारा निकाह कर सकें। हलाला मे रिश्ते हलाला 💔👎💋👹 #अभीशाप #हलाला_करवाकर_पाक #रूहकीआवाज़ #संभोगसेसमाधि #जिस्म_की_हवस #rape_a_shame #sexualharassment #बहिष्का
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साहस
जबरदस्ती का प्यार, मन न भरे तो अश्लील विचार तलाक मर्द देता है, और हलाला औरत का होता है , अगर ये धर्म है, तो अधर्म क्या है ? #आर्यवर्त #अल्फ़ाज़ों_की_आवाज़ #निःशब्द_आर्यवर्त #सनातनी🤔 #Y
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
Diversity channel
अहसास वो गज़ब था, तू धर्म पर चोट देता रहा मैं अपना भाग्य समझ, तेरे ख्यालों को मजबूती देती रही.. Our Society.. Example- हलाला और देवदासी प्रथा जैसी प्रथाएं जो धर्म के नाम से प्रचलित है और इसमें लोगों का शोषण होता है और कुछ लोग धर्म पर इस