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Ashish Singh

भूत पिशाच निकट नही आवे

भूत पिशाच निकट नही आवे #Quotes

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Techy Motivational Adda

भूत-पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे

©TECHY SHORTS ADDA
  भूत-पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे

भूत-पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे #Quotes

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fb,@,©WriterNilofar Farooqui Tauseef

भूत, पिशाच या शैतानों से कभी नही खौफ़ खाया है
वक़्त से हर पल डरा हूँ, हमेशा इसने ताण्डव मचाया है भूत, पिशाच या शैतानों से कभी नही खौफ़ खाया है
वक़्त से हर पल डरा हूँ, हमेशा इसने ताण्डव मचाया है
#nojoto #nilofarlove #waqt

भूत, पिशाच या शैतानों से कभी नही खौफ़ खाया है वक़्त से हर पल डरा हूँ, हमेशा इसने ताण्डव मचाया है nojoto #nilofarlove #Waqt #शायरी

6 Love

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Bhakti Kathayen

भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे🙏🙏🚩🚩🚩🚩..... 
#Hanuman #Bhakti #Bhaktikathayen #Nojoto #nojotohindi #viral #Trending #status #sto

भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे🙏🙏🚩🚩🚩🚩..... #Hanuman #Bhakti #bhaktikathayen #nojotohindi #viral #Trending #status sto #story #New #विचार

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Ramesh Singh Dahiya

 पागल वो नही है जिन भूत पिशाच दिखाई देता हैं 
पागल वो हैं जिन राहुल में देश का भविष्य दिखाई देता हैं

पागल वो नही है जिन भूत पिशाच दिखाई देता हैं पागल वो हैं जिन राहुल में देश का भविष्य दिखाई देता हैं

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DrUsha Kushwaha

भूत पिशाच्च निकट नहीं आवे,
महावीर जब नाम सुनावे,
नासे रोग हरे सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमंत बीरा…
हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये !






🙏🕉️🙏

©DrUsha Kushwaha
  भूत पिशाच्च निकट नहीं आवे,
महावीर जब नाम सुनावे,
नासे रोग हरे सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमंत बीरा…
हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये !

भूत पिशाच्च निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे, नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा… हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये ! #विचार

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Bhakti Kathayen

भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे🙏🙏🚩🚩🚩 #Bhaktikathayen #Trending #viral #nojato #nojotohindi #status #story #Stories #New #Mornin

भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे🙏🙏🚩🚩🚩 #bhaktikathayen #Trending #viral #nojato #nojotohindi #status #story #Stories #New Mornin #Morning #पौराणिककथा

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Pooran Bhatt

जब कंकर - कंकर है शंकर.. 
हर भूत पिशाच मे जयकारा.. 
तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. 
मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. 

शिव भक्ति का रोग लगा दो.. 
मुझको भी मतवाला कर दो.. 
समां जाओ मेरे मन मे शम्भू.. 
मेरे मन को शिवाला कर दो.. जब कंकर - कंकर है शंकर.. 
हर भूत पिशाच मे जयकारा.. 
तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. 
मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. 

शिव भक्ति का रोग लगा दो.. 
म

जब कंकर - कंकर है शंकर.. हर भूत पिशाच मे जयकारा.. तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. शिव भक्ति का रोग लगा दो.. म

8 Love

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Vipul Agrawal Bijnor

आदि देव शिव देव के,प्रचंड रूप सब भए।
तीनों लोक सब देव भी,मस्तक चरणों में धरे।

विशाल भुजा गंगा जटाये,
माथे तेरे चंदा सुहाय।
नंदी बैल तेरी सवारी,भूत पिशाच
संग तेरी यारी।

महाकाल आदि सब नामा,
तीनों लोक करते गुंडगाना।
ब्रह्मा विष्णु भी शीश झुकाए,आदि अनंत
तुम देव कहाये।

श्मशान घाट कैलाश निवासा,
पूरी करते सबकी आशा।
अनंत रूप साँपों के स्वामी,जो भी इच्छा
सब हैं जानी।
🙏🙏🙏🙏🙏

©Vipul Agrawal Bijnor #yogaday #shivji आदि देव शिव देव के,प्रचंड रूप सब भए।
तीनों लोक सब देव भी,मस्तक चरणों में धरे।
विशाल भुजा गंगा जटाये,
माथे तेरे चंदा सुहाय।

#yogaday #shivji आदि देव शिव देव के,प्रचंड रूप सब भए। तीनों लोक सब देव भी,मस्तक चरणों में धरे। विशाल भुजा गंगा जटाये, माथे तेरे चंदा सुहाय। #समाज

11 Love

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@thewriterVDS

अमावस की रात थी। मैं बिस्तर पर जा रहा था। तभी अचानक एक ऐसा वाकया हुआ की आपकी रूह कांप जाएगी। हुआ यूं, जब मैं बिस्तर पर गया तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। मैंने दरवाजा खोला, बाहर कोई नहीं था। थोड़ी देर में फिर दरवाजे पर किसी न दस्तक दी। मैंने दरवाजा खोला, वहां कोई नहीं था। मैं जैसे ही दरवाजा बंद करने को सोच ही रहा था कि मेरा ध्यान नीचे गया वहां एक बिल्ली थी जिसने दरवाजे को knock किया था। मैं थोड़ी देर के लिए डर गया था कि आज अमावस की रात है कोई भूत-पिशाच तो नहीं क्योंकि मैंने ऐसी बहुत सारी कहानियां सुनी हैं जिसमें ऐसा होता है।😀😀😀😁😁
 #अमावस की #रात थी। मैं #बिस्तर पर जा रहा था। तभी #अचानक एक ऐसा #वाकया हुआ की आपकी #रूह #कांप जाएगी। हुआ यूं, जब मैं बिस्तर पर गया तभी #दरवाज

#अमावस की #रात थी। मैं #बिस्तर पर जा रहा था। तभी #अचानक एक ऐसा #वाकया हुआ की आपकी #रूह #कांप जाएगी। हुआ यूं, जब मैं बिस्तर पर गया तभी दरवाज #बाहर #ध्यान #आज #देर #बिल्ली #yqbaba #बंद #yqdidi #डर #दस्तक #भूत #कहानियां #सारी #दरवाजे #Knock #खोला

0 Love

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Ditikraj.arvind

ए - जिंदगी तू मौत के समंदर में "ध्रुवतारा" दिखा 

मैं चल रहा हूं बीहड़ों में नौका लिए..!

तू "उत्तर"का किनारा दिखा,हमदर्द मिले हैं साथी राहों में,

कोई नया हमारे बराबर "अपना" पुराना दिखा,

ना मिले तो सर्दी आ रही है समझ लो, रात काली लंबी है,

पुरानी हैवानियत -ए- दहशत आने वाली है,जल्लाद भेड़िए,

पता नहीं क्या-क्या अपने साथ लाने वाली है..!

©Ditikraj"दुष्यंत"...! ए - जिंदगी तू मौत के समंदर में "ध्रुवतारा" दिखा 

मैं चल रहा हूं बीहड़ों में नौका लिए..!

तू "उत्तर"का किनारा दिखा,हमदर्द मिले हैं साथी राहो

ए - जिंदगी तू मौत के समंदर में "ध्रुवतारा" दिखा मैं चल रहा हूं बीहड़ों में नौका लिए..! तू "उत्तर"का किनारा दिखा,हमदर्द मिले हैं साथी राहो #Love #Hindi #poem #hindiwriters #कविता #urdu #kahani #potery #vichar #gaon #kahanikaar

23 Love

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Abhay Bhadouriya

महादेव की बारात 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) डमरू वाले बाबा चले ब्याह रचाने को
नन्दी की सवारी करके गौरा जी को लाने को

नारद जी को भेजा शिव ने  मधुर संदेश सुनाने को
बाबा की बारात में समस

डमरू वाले बाबा चले ब्याह रचाने को नन्दी की सवारी करके गौरा जी को लाने को नारद जी को भेजा शिव ने मधुर संदेश सुनाने को बाबा की बारात में समस #विवाह #mahadev #महादेव #yqhindi #पौराणिक #abhaybhadouriya #रामकथा #महादेव_की_बारात

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prakash Jha

🙏|| हर हर महादेव ||🙏

हे महादेव हे त्रिरपुरारी,
सुन लीजो अब विनय हमारी,
हम है दिन हे दयानिधान,
रख लीजो भोले मेरा मान,
डम डम डम डम डमरू बाजे,
माथे जटा में माँ गंगा बिराजे,
गांजा,भांग, बेलपत्र, धतूरा,
भूत पिशाच संग तुम्हरा डेरा।

©prakash Jha 🙏|| हर हर महादेव ||🙏

हे महादेव हे त्रिरपुरारी,
सुन लीजो अब विनय हमारी,
हम है दिन हे दयानिधान,
रख लीजो भोले मेरा मान,
डम डम डम डम डमरू बाजे,

🙏|| हर हर महादेव ||🙏 हे महादेव हे त्रिरपुरारी, सुन लीजो अब विनय हमारी, हम है दिन हे दयानिधान, रख लीजो भोले मेरा मान, डम डम डम डम डमरू बाजे, #Shayari #mahadev #prakashjha #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_prathna

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निखिल कुमार अंजान

वो ऊँ है 
निराकार है
हर ज्योत मे है समाहित
त्रिलोकी नाथ है
देवों का देव महादेव कहलात है
वह शिव शंकर भोले नाथ है
है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है
हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला
वो विश्व गुरु एंव परम पिता कहलात है
सच्चा योगी भूत पिशाचों का नाथ है
जटाओं मे माँ गंगा विराज है
यह वही निलकंठ बाबा है 
जिन्होंने समुद्र मंथन से निकले
विष को पीकर सृष्टि को बचात है
गले मे रहता इनके शेष नाग है
भस्म लगा देह पर अपनी 
गहरी साधना मे डूब जात है
एक हाथ माला कमंडल 
दूजे मे डमरु रहत है
तीसरा नेत्र जब इनका खुलत है
रुष्ट हो जब इनका डमरु बजत है
क्रोध से भरे बाबा करते जब तांडव
फिर पूरा ब्रह्मांड है इनसे कांपत
आदि शक्ति के है स्वामी
गणपति एंव कार्तिकेय दो पुत्र है ज्ञानी
नंदी इनके प्रमुख गण के रुप मे जाने जाते
कालों के काल माहकाल कहलाते
बाबा भोले जिस पर प्रसन्न हो जाते
वह जीवन की दुविधा से तर जाते
चलो बाबा को प्रसन्न है करते
भोले मेरे मन मे है बसते
महाशिवरात्रि बना बाबा की कृपा पाते
शिव शंकर के गुणगान है गाते.................
💟💟💟👏👏👏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
#जयभोलेकी..........
#अंजान...... वो ऊँ है 
निराकार है
हर ज्योत मे है समाहित
त्रिलोकी नाथ है
देवों का देव महादेव कहलात है
वह शिव शंकर भोले नाथ है
है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव

वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव #हिंदीकविता #अंजान #मेरीडायरी #जयभोलेकी

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Pratik Patil Patu

शोध भुताचा...👻👻
धम्माल विनोदी🤣 संवादात्मक😂
 लघु नाट्य  
©pratik pramod patil.
A/P ichalkaranji, tal:hatkanangle, dist:kolhapur.
Contact info:8208423930
पात्र 1 =  भूत👻
पात्र 2 = नरकेश्वर भूतन

©pratik pramod patil. A/P ichalkaranji, tal:hatkanangle, dist:kolhapur. Contact info:8208423930 पात्र 1 = भूत👻 पात्र 2 = नरकेश्वर भूतन #Ghost #Social #Play #yqtaai #paidstory

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Vikas Sharma Shivaaya'

खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, वो भी काशी के मणिकर्णिका (श्मशान) घाट पर-  रंग एकादशी के दूसरे दिन काशी में स्थित श्मशान पर भी चिताओं की भस्मी के साथ होली खेलने की भी एक अनूठी परंपरा भी है,पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत शंकरजी से ही मानी जाती है...,

मान्यताओं के अनुसार- जब भगवान शिव, पार्वती का गौना करने के लिए आये थे तो उनके साथ भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि नहीं थे, जिनके लिए श्मशान पर चिताओं की भस्मी से होली खेले जाने की परंपरा को बनाया गया...,

लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह गीत अड़बंगी भोले बाबा के विचित्र होली की तस्वीर पेश करता है-गाया है बनारस घराने के मशहूर ठुमरी गायक 'पद्म विभूषण' पंडित छन्नूलाल मिश्र ने...,

'श्मशान' जीनवयात्रा की थकान के बाद की अंतिम विश्रामस्थली है-अंतिम यात्रा के दौरान रंग-रोली तो शव को लगाया जाता है लेकिन नीलकंठ देव के चरित्र में इस समय रंग गुलाल नहीं है, जली हुई चिताओं की राख है, जिससे वो होली खेलते हैं...,

गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनऊ बाधा
ना साजन ना गोरी, ना साजन ना गोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
 
एक तरफ बृज में कृष्ण और राधा की होली है जो प्रेम का प्रतीक है, लेकिन भगवान शिव की होली उनसे अलग है, उनकी जगह श्मशान है-शंकर जी के होली को देखकर गोपिकाओं का मन भी प्रसन्न हो जाता है-अड़बंगी महराज के साथी भूत-प्रेत हैं, रंगों की जगह जली हुई चिताओं की राख है जिससे वो नाचते-गाते भूतों पर मल देते हैं, 

नाचत गावत डमरूधारी, छोड़ै सर्प-गरल पिचकारी
पीटैं प्रेत-थपोरी दिगंबर खेलैं मसाने में होरी
भूतनाथ की मंगल-होरी, देखि सिहाए बिरिज की गोरी
धन-धन नाथ अघोरी दिगंबर, खेलैं मसाने में होरी 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज993 से 1000 नाम  )
993 शंखभृत् जिन्होंने पांचजन्य नामक शंख धारण किया हुआ है
994 नन्दकी जिनके पास विद्यामय नामक खडग है
995 चक्री जिनकी आज्ञा से संसारचक्र चल रहा है
996 शार्ङ्गधन्वा जिन्होंने शारंग नामक धनुष धारण किया है
997 गदाधरः जिन्होंने कौमोदकी नामक गदा धारण किया हुआ है
998 रथांगपाणिः जिनके हाथ में रथांग अर्थात चक्र है
999 अक्षोभ्यः जिन्हे क्षोभित नहीं किया जा सकता
1000 सर्वप्रहरणायुधः प्रहार करने वाली सभी वस्तुएं जिनके आयुध हैं

हे भगवान् नारायण हमारी रक्षा कीजिये,वही विष्णु भगवान् जिन्होंने वनमाला पहनी है,जिन्होंने गदा, शंख, खडग और चक्र धारण किया हुआ है,वही विष्णु हैं और वही वासुदेव हैं...

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व

खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व #समाज

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N S Yadav GoldMine

पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। 

📜 पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं। बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है।

📜 वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथीसवार, घुड़सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे। हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था।

📜 सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे । वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा था। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले। 

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे।

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं। जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। 

📜 उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। 

📜 यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्रवधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं। 

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक-पृथक् दौड़ रही हैं। महाराज। कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है।

📜 पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत:

#roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए महाभारत !! 📔📔 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं।

📜 बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है। वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथी सवार, घुड़ सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे।

📜 हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा थ। सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे। वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा थ। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले।

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे। 

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं । जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। 

📜 उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्र वधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं।

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक- पृथक् दौड़ रही हैं । महाराज कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है। पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत

#boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत #पौराणिककथा

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Raone

नर पिशाच

इंसान को इंसानियत का मतलब पता नहीं,

और जात, धर्म की बात करता है ।

जिसे ख़ुद के बारे में नहीं पता,

आज वो मज़हब की बात करता है ।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी नर पिशाच

नर पिशाच #बात

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Shailesh "saral"

सब कहते हैं नर - रूपी पिशाच मुझे
क्या नहीं बची अब मुझ में दया और सहनशीलता
क्यों बन गया मैं ऐसा ,कौन है जिम्मेदार?
परिस्थितियों का रोना हर बार की तरह 
क्या रो कर मैं इस बार भी बच पाऊंगा 
या फिर हो जाऊंगा दूर 
अपने आपसे लगने वाले नर से दूर
संज्ञा- शून्य पिशाच की तरह
जिसकी लाल आंखें सिर्फ चलती हैं
सिर्फ स्वार्थ रूपी रोटियां तलती हैं
और हो जाती हैं मौन ,बेबस 
औरों की सहानुभूतियों के लिए संज्ञा- शून्य
 समझ से परे ,असहिष्णु ।।
                                                       
                                                   शैलेश सरल ' नर -रूपी पिशाच

नर -रूपी पिशाच

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'मनु' poetry -ek-khayaal

#Death
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Pooja Udeshi

भूत से क्यों डरते हो इंसान ज्यादा ख़तरनाक है !
ये हमारे दिमाग़ की उपज है और कुछ नहीं 
हमारे पास तो शरीर है आत्मा है !
इनके पास कुछ नहीं ये हवा का झोका है !
डर ही भूत को जन्म देता है !
इंसान से डरो वो ही भूत को मात देता है !
इंसान जैसा भूत कोई नहीं !
pooja udeshi✍️ भूत वूत  कोई नहीं 
#horror

भूत वूत कोई नहीं #horror

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Pooja Udeshi

(सुने कैसे सब के मन की बात, हाँ सुना सकते हैं हम
अपने मन की बात लिख कर और बोल कर तो पढ़ लो
ध्यान से!!!!)
"डर"
========
(भूत वूत कुछ नहीं होते और ना आत्मा का कोई अस्तित्व
होता हैं, इंसान मर जाता हैं आत्मा जो हवा हैं वो उड़ कर
बिखर जाती हैं पूरे वातावरण मे बिना किसी को नुक्सान
दिये, आत्मा ना बोल सकती हैं, ना देख सकती हैं ना feel
कर सकती हैं क्यों की उसके पास शरीर नहीं, मू नहीं जो बोले,
 कान नहीं जो सुने, आँख नहीं जो देखे, इंसान मृत्यु
पछचात इस धरती के पंच तत्वों मे मिल जाता हैं, हवा मे
आत्मा खो जाती हैं, शरीर जल कर राख हों उड़ जाता हैं हवा
मे powder समान, तो क्या बचा,,, बताऊ क्या????
सिर्फ स्मृतियां रह जाती हैं और आपके अच्छे कर्म, सब
की जुबा पर होगे, कितना अच्छा
इंसान था, दयालु था, कृपालु था,यहीं सच हैं बाक़ी झूठ
believe on me be practical यार!!!!
ये सब कमाने के धंधे हैं horror movie, ओझा लोग
तांत्रिक, इंसान डर कर भूत को जन्म देता हैं दिमाग का
फितूर हैं और कुछ नहीं और जो हैं नहीं उस ना दिखने वाली 
आत्मा को चोला पहना, भूत बना देते हैं, इसी को सब सच समझ
लेता हैं ये सब मिथ्या हैं दोस्तों!!कर्म पर विश्वास रखो कर्म
करते जाओ अच्छे वाले, बाक़ी उस ईश्वर पर छोड दो जिसने सभी
को बनाया हैं 🙏)

©POOJA UDESHI भूत वूत कुछ नहीं #Bhoot 

#Music

भूत वूत कुछ नहीं #Bhoot #Music

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Vicky Aryan

उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है। #Poetry

उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है। #Poetry

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3 Little Hearts

कच्चे धागे कभी मज़बूत नहीं होते,
कबूतरों से अच्छे दूत नहीं होते।

तू ने खुद ख़ौफ़ पैदा कर रखा है विष्णु,
ये आत्मा होती है, आदमी की, भूत नहीं होते।

©Vishnuuu X #soul #भूत #आत्मा #खौफ #कबूतर #दूत #रिश्ते
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Prabhakar Verma

गांव में भूत ही भूत

गांव में भूत ही भूत #ज़िन्दगी

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