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मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
अभी-अभी संग खेल रहे थें, आ गयी रात जुदाई की। मेहंदी क्या लगी हाथ में उसके, आ गयी रुत विदाई की। #बेटी #बहन #विदाई #शादी
Shivraj Solanki
#Pehlealfaaz अश्क आंखों से निकल आते है समय थम सा गया लगता है जब विदाई के अंतिम क्षण आते है फिर व्यक्ति अच्छा हो या बुरा प्यार आ ही जाता है याद उसके साथ गुजारे पल आने लगते है अनुभव बुरे है तो भुला दिए जाते है अनुभव अच्छे हो तो याद किए जाते है शिव सुन्दर (शिवराज खटीक) #कविता विदाई
Malik
इक शाख़ ज़िन्दगी के शजर से जुदा हुई रोने का था मुक़ाम यहाँ हंस रहे हैं लोग | ✍️तौसीफ रज़ा तहसीनी ©Malik 2020 की विदाई पर #bye2020
Eshu
यह टीचर की विदाई का कविता खिलता हुआ गूलब थे आप हमरे अधरे जीवन ज्ञान के दीपक थे आप हम सब बच्चे थे नादान पढ़ने में नहीं था ज्ञान हमरे भूलो को माफ करिए दे कर विद्या का दान अपने अनमोल शिक्षा को खेल खेल में हमें सिखाया संस्कारों का पाठ हमें पढ़ाया सही गलत का ज्ञान कराया हमारे लिए विश्वास जगाया मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता दिखा दिया हमारे आंगन छोड़ कर जा रहे हैं आप जीवन में सदा सुख रहो आप ©Eshu यह कविता है टीचर की विदाई #Butterfly
Anwesh Dubey
छात्रों की भावभीनी विदाई में समर्पित कविता,,,,,,
Mumtaz Ahmed Khan
नूर आंखों का दिल के सहारे चले। वो गया चांद! देखो वो तारे चले! बागबा ने शफकत से पाला जिसे! मोसमों ने नज़ाकत से ढाला जिसे! उस हसीं रूप को, सुबह की धूप को! यह समय के कहां लेके धारे चले! नूर आंखों का दिल के सहारे चले! जिसके दम से था आबाद मेरा जहां जिस की रौनक से रोशन था यह आशियां अब हमें छोड़ कर। हम से मुंह मोड़ कर। करके सुना वह घर को हमारी चले। नूर आंखों का दिल के सहारे चले। खुशबुओं सी, वो चंचल सी अल्हड़ पवन! जिसके दम से था आबाद मेरा चमन! अब बहुत दूर वो! कितने मजबूर वो। ले नई जिंदगी के शरारे चले ! नूर आंखों का दिल के सहारे चले! ©Mumtaz Ahmed Khan अपनी बिटिया की विदाई पर #VantinesDay
Rahul
हुस्न का घमंड न कर, न नाज कर तू खुदाई पर, मेरे जनाजे पर माँ मेरी सागर छलका देगी, आंगन को दुःख होगा न तेरे रुकसत का न शहनाई रोयेगी विदाई पर। @रK विदाई पर
Sunita Shanoo
मिश्री सी मीठी, गुड़ की डली है बिटिया हमारी ससुराल चली है मां की सीख पिता का प्यार मामा मामी का लाड़ दुलार भाईयो के नाज़ औ नखरे और सखियों का वो संसार आज आंचल में समेट हुए सबकी दुआएं साथ चली हैं बिटिया हमारी ससुराल चली है खुशबू जैसी महकती रहना और नदियों सी शीतल बहना संस्कारों का पुल बनाकर दो परिवारों को जोड़े रहना घर में सभी का प्यार मिले बहू बेटी का मान मिले दुआओं की दौलत लुटाती हुई बिटिया हमारी ससुराल चली है बेटी की विदाई पर... YourQuote Baba YourQuote Didi