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Jitu_jitendra
सर्दी में क्यों ठिठुर रहे हो नभ के चाँद छबीले, बीमार कहीं मत हो जाना- नन्हे पथिक हठीले। #NojotoPhoto
vishnu prabhakar singh
धूप एक दिन झिझक गया बादल के पीछे ठिठक गया मनभर कर गीला हुआ धूप बादल संग रंगीला हुआ धूप छटा बिखर गई आसमानी लजाय धूप रेनबो की रवानी लो आ गयी संवर कर छबीली धूप.. सुप्रभात 😄🙏🌻.. #धूपकासफ़र #सुनो #सूरजकापैग़ाम
Kiran Bala
झाँसी की रानी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली लैप्स की आड़ में, झाँसी थी ले ली दत्तक पुत्र को ले संग-साथ छबीली नाना ,ताँत्या, के संग बना के टोली बन रण-चण्डी, रक्त की खेली होली घबराए फिरंगी,फौज वापस थी ले ली थे धूर्त फिरंगी चाल फिर वापिस खेली घेरा रानी को तब जब वो थी अकेली कर वार पर वार बच निकली छबीली पर दुष्टों ने घोड़े की जान थी ले ली ले नया घोड़ा वो बढ़ चली अकेली था नाला सामने जिद घोड़े ने कर ली घिर चुकी थी अब वो मनु फुर्तीली हारी नहीं, अन्त तक लड़ी अलबेली घबराए ह्यूरोज ने कटार पीछे से फेंकी मरते हुए भी प्राण उसके वो ले गई है धन्य धरा आज भी तुमसे छबीली अमिट रहेगी,सदैव यश-गाथा तेरी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल
Yashpal singh gusain badal'
प्रिया मन की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यारे, अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे । क्योँ जाने सपनोँ मेँ मेरे, अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है । यौवन की मधुमास छबीली , तू महफिल की,शाम नशीली । तेरा सुन्दर रूप सलौना , मेरे मन को क्योँ भाता है । काले-काले केश घनेरे , चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे । ऐसी मोहक छटा अनूठी , मेरे मन को सरसाता है । ले0 यशपाल सिँह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' प्रिया मन की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यार
Ravendra
Ravendra
Kuldeep Singh Ruhela
#ताज़ा ग़ज़ल 🌷🌿 मोहब्बत में ऐसा दिवाना हुआ दिल कि मुझसे ही मेरा बेगाना हुआ दिल ये देखे है सपना सुहाना-सुहाना चलो अब मिरा भी सुहाना हुआ दिल मोहब्बत भरे गीत है गाता फिरता बहुत आजकल आशिक़ाना हुआ दिल मोहब्बत में करने लगा शायरी भी छबीला बड़ा शायराना हुआ दिल बड़ी क़ातिलाना निगाहें हैं उसकी है जिसकी नज़र से निशाना हुआ दिल जुदाई, तड़प, रतजगे, बेक़रारी इन्हीं का तो अब ये ठिकाना हुआ दिल गया था मुझे छोड़ के पास उनके तो फिर क्यों तिरा लौट आना हुआ दिल ख़्यालों में उनके तू बेसुध पड़ा है तू है ख़ैर से या रवाना हुआ दिल कब आती थी इसको मोहब्बत समझ में लगी चोट तब ये सयाना हुआ दिल !! #Chand_tuta_tara_pighla #ताज़ा ग़ज़ल 🌷🌿 मोहब्बत में ऐसा दिवाना हुआ दिल कि मुझसे ही मेरा बेगाना हुआ दिल ये देखे है सपना सुहाना-सुहाना चलो अ
यशवंत कुमार
तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है; मैं भीड़ में अकेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! मौज़ूदगी तेरे अक्स की हर ओर पाता हूँ, मैं पागल हवा संग बहता जाता हूँ, तु पल-पल, नए-नए स्वांग रचती है; मैं आशिक़ अलबेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! अनजानी राहों पर बढ़ता जाता हूँ, कितने ही सपने मैं गढ़ता जाता हूँ, तपिश तेरी जुदाई की इतनी ज़्यादा है; मैं अंग-अंग गीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! मेरी हर ख़्वाहिश का वज़ूद तु है, मेरी बढ़ती बेसब्री का राज़ तु है, चिंगारी भड़काई है तुमने शमा बनकर मुझमें; और अब मैं शोला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है;
Anita Saini
इश्क़ देश धर्म से ताल्लुक नहीं रखता लोग बाँट देते हैं धर्म जाति कबीलों में! जो करते हैं सबसे ज़्यादा मुख़ालफ़त वही लोग गिने जाते हैं सेठ नबीलों में! मोहब्बत अक्लमंदों का काम नहीं है बेकार फ़ालतू की चीज़ है अक़ीलों में! पाकीज़ा इश्क़ की दास्ताँ अब सिमटकर रह गई है काग़ज़ी तपसरा तफ़सीलो में! ख़ैर अब मोहब्बत जिस्मानी हो गई है बैर करा देती है अच्छे अच्छे ख़लिलों में! पाकीज़ा मोहब्बत का दम तो भरते हैं मगर कोई एक संजीदा होता है सैंकड़ों छबीलों में! जब हो जाता है किसी से इश्क़ रूहानी,वो कहाँ क़ैद होता है रिवायतों की फ़सीलों में! भरोसा हो तो हवाओं में चराग जल उठते हैं बूँद तेल में भी लौ जल उठती है कंदीलों में! उसका ख़ुद ख़ुदा रखवाला हो जाता है जिसकी ख़ैरियत की दुआएँ माँगी गई हो नफ़ीलों में! अक़ील-बुद्विमान, नबील-महान, उदार ख़लिल-सच्चा दोस्त,फ़सील-चारदीवारी नफ़ील-एक नमाज़ छबीला-नौजवान कंदील-लालटेन या दीया इश्क़ देश धर्म से ताल्लुक नह
अवधराम गुरु
जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की