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Poonam Aggarwal'मीता'

मेरे प्यारे फ़ोन, तुझे डायल करते करते 
 रिसीवर पर बात करते करते 
कभी सोचा ना था 
तेरा वजूद यूँ गुम हो जाएगा 
एक सेलफोन तेरी जगह आएगा #फोन#प्यारे#डायल#रिसीवर
#सेलफोन#nojotoapp
#nojotohindi

Shrikant Agrahari

वो अध्यापक अब बूढ़े हो चले हैं, कुछ हैं कुछ चल बसे हैं!.......... जिन्होंने ज्ञान प्रकाश दिया...... सुना...है बाग में वो आम के पेड़ भी जर्जर ह #yqbaba #yqdidi #हिन्दीकविता #हिन्दी_काव्य_कोश #श्रीsnsa

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सुना है....वो मकान अब जर्जर हो गये हैं!!
जिनमे कभी हमने आँखें खोली थी!
वो गोद अब अकेली पड़ गयी है..!!
जिनमें हमने बचपन गुजारा था
सुना है...वो बरगद के पेड़ अब बूढ़े हो चले हैं।
जिनपर हम कभी "झूला" झूला करते थे,
वो नीम के पेड़ भी अब जर्जर हो गये हैं
जिनकी आड़ में हम छुपा करते थे।
सुना है...वो मकान अब जर्जर हो गये है
जिसमे हमने होश संभाला.........
जीवन का सुनहरा पल गुजारा। 
अब तो माँ पिताजी भी दूर ही रहते हैं!
जो कभी पल भर ओझल होते ही बेचैन होते थे।
सुना है...गांव की वो गलियाँ अब सुनी रहती हैं,
जहाँ पर्व का हर्षो उल्लास आवागमन रहता था। वो अध्यापक अब बूढ़े हो चले हैं,
कुछ हैं कुछ चल बसे हैं!..........
जिन्होंने ज्ञान प्रकाश दिया......
सुना...है बाग में वो आम के पेड़ भी जर्जर ह

Shrikant Agrahari

वो अध्यापक अब बूढ़े हो चले हैं, कुछ हैं कुछ चल बसे हैं!.......... जिन्होंने ज्ञान प्रकाश दिया...... सुना...है बाग में वो आम के पेड़ भी जर्जर #YourQuoteAndMine #tmkosh #hkkhindipoetry #हिन्दी_काव्य_कोश

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सुना है....वो मकान अब जर्जर हो गये हैं!!
जिनमे कभी हमने आँखें खोली थी!
वो गोद अब अकेली पड़ गयी है..!!
जिनमें हमने बचपन गुजारा था
सुना है...वो बरगद के पेड़ अब बूढ़े हो चले हैं।
जिनपर हम कभी "झूला" झूला करते थे,
वो नीम के पेड़ भी अब जर्जर हो गये हैं
जिनकी आड़ में हम छुपा करते थे।
सुना है...वो मकान अब जर्जर हो गये है
जिसमे हमने होश संभाला.........
जीवन का सुनहरा पल गुजारा। 
अब तो माँ पिताजी भी दूर ही रहते हैं!
जो कभी पल भर ओझल होते ही बेचैन होते थे।
सुना है...गांव की वो गलियाँ अब सुनी रहती हैं,
जहाँ पर्व का हर्षो उल्लास आवागमन रहता था।  वो अध्यापक अब बूढ़े हो चले हैं,
कुछ हैं कुछ चल बसे हैं!..........
जिन्होंने ज्ञान प्रकाश दिया......
सुना...है बाग में वो आम के पेड़ भी जर्जर

Naresh Chandra

भूमिका.... पात्र.... सुगन्धा, रितेश, सिमरन। "ट्रिन-ट्रिन " "हैलो, कौन ? " सुगन्धा ने लैंडलाइन का रिसीवर उठाकर पूछा। "हैलो, मैं कौन हूँ , इस #कहानी

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प्यार विश्वास और समर्पण
कृपया अनुशीर्षक मे अवश्य पढें
🙏🙏

©Naresh Chandra भूमिका....
पात्र.... सुगन्धा, रितेश, सिमरन।

"ट्रिन-ट्रिन "
"हैलो, कौन ? " सुगन्धा ने लैंडलाइन का रिसीवर उठाकर पूछा।
"हैलो, मैं कौन हूँ , इस

Prakashvaani پرکاشوانی

शीर्षक- छोटे शहर से हूँ हां, तो मैं छोटे शहर से हूँ, वहाँ अभी भी ढंग का कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है लैंडलाइन है, जो आज भी बजता है तो भाइयों म #RDV18

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शीर्षक- छोटे शहर से हूँ
हां, तो मैं छोटे शहर से हूँ,
वहाँ अभी भी ढंग का कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है
लैंडलाइन है, जो आज भी बजता है तो
भाइयों म
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