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Choubey_Jii
परवाने के इंतिज़ार में जलती रही रात भर वो शमा शनैः शनैः पिघलती रही रात भर खिंचा आएगा आशिक मोहब्बत में उसकी सोच यही बिखर बिखर संभलती रही रात भर ख़ता न होने पर भी जलाती हूँ अपनी तपन से तासीर अपनी कोसकर बिलखती रही रात भर मोहब्बत है दरमियाँ पर मिलन नहीं है मुमकिन अंजाम ऐ मोहब्बत है विरह, सोच तड़पती रही रात भर #चौबेजी परवाने के इंतिज़ार में जलती रही रात भर वो शमा शनैः शनैः पिघलती रही रात भर #चौबेजी #नोजोटो #nojoto #नज़्म #shayari
Nanki Patre
किस्मत रात के आँगन में बैठा चाँद, यूँ मुस्कुराता धीमी आवाज में बोला। देख मेरा उदय अंधेरे से हुआ, क्या हुआ,था मैं अकेला। चाँदनी ने मुझे सजाया। दबे पाँव तारों ने जगाया, शनैः-शनैः पवन ने मुझ को, लहराते चाँवल में सुलाया। क्या हुआ,था मैं अकेला।। तारों ने दिया सहारा, कभी मैं न निशाचरों से घबराया। प्रकृति ने मुझे गोद में बिठाया क्या हुआ,था मैं अकेला।। आज भी मैं रात का दीपक हूँ, मेहनत से अपना चमकता हूँ, धूप छाँव चलते हैं मेरे संग संग क्या हुआ,था मैं अकेला।। रात के आँगन में बैठा चाँद, यूँ मुस्कुराता धीमी आवाज में बोला। देख मेरा उदय अंधेरे से हुआ, क्या हुआ था मैं अकेला। चाँदनी ने मुझे सजाया। दबे
vinay vishwasi
कोयल ने छेड़ी मीठी तान। शुरू हुआ भ्रमरों का गान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। आम्रमंजरी से आच्छादित। हुए मनुज सब आह्लादित। गेहूँ की बाली को लखकर, प्रफुल्लित हो गये किसान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। 24/03/2020 नव पल्लव संग मलयानिल। किरणों से करती झिलमिल। -विश्वासी वायुमंडल भी हुआ सुरभित, झूम रहा करके गुणगान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। शीत की शीतलता जाने को। शनैः - शनैः ग्रीष्म आने को। है पूरित सकल आयोजन, वृक्षों का परिवर्तित परिधान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। #वसन्त_आगमन #विश्वासी कोयल ने छेड़ी मीठी तान। शुरू हुआ भ्रमरों का गान। प्रकृति की अद्भुत छटा से, हुई है वसुधा शोभायमान। आम्रमंज
Anita Sudhir
बचपन और पहली साइकिल ** वो नादान बचपन ख़ूबसूरत रंगों का आकर्षण तीन पहिए का संतुलन वो साइकिल की सवारी घर के टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुज़रते हुए दो पहियों पर संतुलन सीखना बड़ों का सिखाना लड़खड़ाना ,डगमगाना शनैः शनैः साइकिल का संतुलन सिखा गया । डर के आगे जीत है ,ये भविष्य का पाठ पढ़ा गया, पूरी कविता कैप्शन में #cycle ** वो नादान बचपन ख़ूबसूरत रंगों का आकर्षण तीन पहिए का संतुलन वो साइकिल की सवारी घर के टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुज़रते हुए दो पहिय
Sonam kuril
मैं एक नन्हा सा बीज, तुम मुझे धरती की गोद में कही दबा देना, जब मुझपर धुप,हवा और बारिशे पड़ेगी, तो धरती के संरक्षण में,मैं बढूंगा, मुझसे शनैः शनैः नन्ही-नन्ही, कोमल-कोमल पत्तियां निकलेंगी, धीरे-धीरे कुछ बर्षों में, मैं अपना आकार बढ़ाऊंगा, फिर एक दिन मैं बीज से एक बड़ा वृक्ष बन जाऊंगा, मेरी छाँव में ना जाने कितने और नन्हे पौधे होंगे, बेल होंगी,लताएं होंगी,पुष्प होंगे, हर तरफ हरियाली ही हरियाली होगी, मैं ना जाने कितने पंछियों का आशियाना हूँगा, मेरी छांव में ना जाने कितनो को नींद मिलेगी,सुकून मिलेगा, मेरे फल बिना कोई स्वार्थ , ना जाने कितनों की भूख मिटायेंगे, मैं एक नन्हा सा बीज , मैं तुमसे कहता हूँ तुम प्रकृति को संरक्षण दो, प्रकृति तुम्हारा संरक्षण करेगी, सब हाथ उठाओं पर्यावरण को बढ़ाओ, स्मरण रखना ये प्रकृति सदैव से, इंसानों का भरणपोषण करती आयी है, यदि तुम प्रकृति से खिलवाड़ करोगे, तो प्रकति भी रहम नहीं करेगी, सदैवध्यान रहे , तुम प्रकृति से हो प्रकृति तुमसे नहीं | SONAMKURIL #WorldEnvironmentDay , मैं एक नन्हा सा बीज, तुम मुझे धरती की गोद में कही दबा देना, जब मुझपर धुप,हवा और बारिशे पड़ेगी, तो धरती के संरक्षण मे
रजनीश "स्वच्छंद"
ये युद्ध लड़ा फिर जाएगा।। समर अभी है शेष पड़ा, ये युद्ध लड़ा फिर जाएगा। हिंसा हिंसा का शोर बड़ा, एक बुद्ध गढ़ा फिर जाएगा।
Neena Jha
आस, आस्था, अस्तित्व, विश्वास और जाने अनजाने में हुई मुकम्मल दुआएँ जाने किस शहर का धुआं जाने किस गाँव की धुन्ध और न जाने किस समंदर की रेत में शनैः शनैः मिटते जा रहे हैं, सम्पूर्णता की आस में अधूरापन हाथ लगा, प्यार की महफ़िल में केवल एकाकीपन, दोस्ती कोई रिश्ता होता नहीं, फ़िर न जाने कैसे , एक फूल अपनेपन का एहसास लिए मेरे मन की बगिया में खिला न रंगत और न ही महक थी उसमें करीब से देखा तो लगा स्पर्श पाते ही टूट जाएगा, छूने से डरने लगी फिर भी हौले-हौले उससे जुड़ने लगी रोज़ पास आती थी उसके, उससे बात करती कभी महक का अंदाज़ा लगाती मानो एक तितली सिर्फ़ और सिर्फ़ उस एक फूल हेतु बनी मैं, मग़र या तो मेरी बातें पसंद नहीं थी या महज़ बातें ही लगती थी या शायद समझ ही नहीं पाया वो मुझे, वो वापिस खिलना ही नहीं चाहता शायद! रोज़ अपनापन जता कर अपना मान लेती हूँ, मग़र वो अकेलापन ढूँढ़ता रहता, रोज़ इत्र-सा उसमें घुलती हूँ, मग़र वो गाँव की धुन्ध में खो ही जाता, रोज़ फ़िज़ाओं में उसे अनुभव करती हूँ, मग़र वो धुआं बनकर आसमान में उड़ जाता, ज़ख्मी बना ज़मीं पर अकेला छोड़ जाता, किसी दिन और फूलों सा महकाता है मुझे, तो अगले ही दिन सहरा में पड़ी टूटी टहनी सा बना देता, कोई कर्ज़ नहीं चढ़ने देता मुझ पर, एक पल मुस्कान दूजे पल आँसू, सब सूत समेत चुकता करता, बस एक इसी फूल ने सारी आस्था विश्वास आस अस्तित्व पानी पानी कर दिया मेरा, रोज़ ज़िन्दा कर रोज़ बीमार करता, ये फूल बेहद उदास, निर्जीव. रंगहीन प्रतीत होता है, जिसने प्यार शब्द से नाउम्मीद कर दिया है। नीना झा संजोगिनी ©Neena Jha #kitaab #neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ शारदे 🙏 विषय... कर्ज़ भरा प्यार आस, आस्था, अस्तित्व, विश्वास औ
Amit Mishra
【■ आकर्षण और प्रेम ■】 आकर्षण एक नवजात शिशु की मानिंद होता है जो शुरू में तो बहुत निर्मल, निश्छल, प्यारा और मोहक लगता है क्योंकि वो अभी अभी हमारे जीवन में, हमारे प
यशवंत कुमार
प्रेम करने की सजा (गलती किसकी?) Read Full story in caption. यामिनी - रात्रि, रात #story #lovestory प्रेम करने की सजा मृत्यु के देवता यम को यामिनी से अतिशय से प्रेम हो गया था। यही कारण था कि वो उसके सानिध्य में बहुत रोमा