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HP
हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो! यह वास्तु जगत माया-निर्मित, काया में हमने क्या पाया! कुछ श्वास, चेतना, स्पन्दन, वैभव ने जिसको ललचाया!! क्षण भंगुर सिन्धु तरंगों सा, अस्थिर, उच्छ्रवास पुँज, जीवन! यह समय उधेड़ बुन करता कर्मों से नियति-सुदृढ़-जीवन!! कर्त्तव्य किया फल मिलने पर- पागल! फिर क्यों दुख हो, सुख हो? हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो! कलिका-संपुट में ओस-बिन्दु, कुछ क्षण भर का इतिहास लिए! जिसका मिट जाना ही परिचय- है स्निग्ध, मधुर मृदु ह्रास लिये!! पावस-रजनी, घनघोर घटा, झंझावातों का वेग प्रबल विद्युत अस्तित्व बता देती, पल में चमका कर छोर सबल!! स्मिति जैसी यह ज्योति लिए- मानव! जगती के सम्मुख हो! हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो!! काया में हमने क्या पाया
Shilpa Modi
उस काया की छाया को देखकर में विचलित होता रहा कहीं वो मेरी आंखो से ओझल न हो जाए मैं रात भर जागता रहा ©Shilpa Modi #काया की छाया
Neelam Modanwal
एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा : सच्चाई , कर्तव्य और बलिदान.जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो. ©Neelam Modanwal #JallianwalaBagh 1919. ई. में. 🙏
S M P
✍🏼........ *"ईश्वर ने दूसरों को क्या दिया है* *यह देखने में हम लोग इतने व्यस्त रहते हैं,* *..कि ईश्वर ने हमें क्या दिया है* *वो देखने का हमें वक्त ही नहीं* *होता..! ई
Ek villain
किसी ने मुझे पूछ लिया ई-मेल के दादाजी कौन है इसे ने कहा अरे इसका भी कोई डीएनए होता है क्या अब ईमेल के दादाजी के आधार कार्ड का पता नहीं ना ही दादाजी की अंगुलियों के डिजिटल फिंगरप्रिंट ना ही सिर का कोई बाल तो कैसे तलाशा जा सकता है मगर पूछने वाला भी कबूतर की गर्दन में बंद ही छुट्टी जैसा था बिना किसके वह मुझे लेटर बॉक्स तक ले गया बोला यह ईमेल के दादा जी मैंने बोला गजब की उड़ान है यह तुम्हारी यह बोला मैं ईमेल के द्वारा जी को कबूतर तक ले जा सकता था पर उनका परिणाम कैसे देता वरना ट्विटर की चिड़िया का ख्याल रहता था मेरे दिमाग घूम गया सोचा ही नहीं था कि हरी बत्ती वाला भारी-भरकम रेडियो मोबाइल मिट्टी में देश देशांतर होता का वीडियो बनाया जाएगा सोचा नहीं था कि महाभारत का महान पौधा पेन ड्राइव में निर्गुण अवतार बन जाएगा याद आ रहा है शायद उसके व्यंग पोस्ट ऑफिस का लाल डब्बा पोस्ट ऑफिस का हीरो बना गया था अब देखना है एक भी लैटर कैपिटल नहीं मगर इतना जितना हल्का उतना ही सुपर सोनिक दादा तो सड़क किनारे लाल प्रतिमा में खड़े खड़े रह गए वर्षों से चिट्ठी आई आई गीता सुनाकर बाबा घर में हो रहे हैं पुत्र ने पूछ लिया दादा जी किसकी छुट्टी आए क्या आया है मैंने कहा बेटा यह देश भक्तों का प्यार गीता ©Ek villain #ई-मेल के दादाजी लेटर बॉक्स #Love