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i am Voiceofdehati
जिन किताबों में लिखा था- 'जीव हत्या पाप है', उन किताबों के नाम पर अनगिनत हत्याएं की गईं। और हत्याएं करने वालों ने उन किताबों को कभी पढ़ा भी नहीं। #माब_लिंचिंग #पाप_पुण्य #copied #pen #reality #dharmadharm जिन किताबों में लिखा था- 'जीव हत्या पाप है', उन किताबों के नाम पर अनगिनत हत्याएं
The Urban Rishi
हाँ मैने हत्या की है, एक कवि की, हम सबने की है हत्याएं, किसी लेखक, खिलाड़ी, अभिनेता की, अपने अंदर जाओ और पूछो, खुद से, क्या तुम वही हो जो बनना चाहते थे, या मार डाला तुमने, अपने सपनें को, इस दो रोटी की लड़ाई में। ©The Urban Rishi हाँ मैने हत्या की है, एक कवि की, हम सबने की है हत्याएं, किसी लेखक, खिलाड़ी, अभिनेता की, अपने अंदर जाओ और पूछो, खुद से, क्या तुम वही हो जो बनन
Harshit Nautiyal / हर्षित नौटियाल
परवाज़ हाज़िर ........
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है. पुरुष दिवस का फोकस पुरुषों और बच्चों के स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और आदर्श पुरुषों के बारे में दुनिया को बताना होता है. पुरुष दिवस 1960 के दशक से ही मनाया जा रहा है. ©G0V!ND DHAkAD #internationalmensday पुरुषों की भी अपनी ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे उन्हें जूझना पड़ता है. यकीन न हो तो कुछ आंकड़े आपका ध्यान इस ओर खींचने
AJAY NAYAK
हम ताल ठोक कर दावा करते हैं कि दुनिया के सबसे बुद्धिमान प्राणी है! इसलिए आज भी हमारी दुनिया मे एक लड़के के चाह के लिए भ्रूण हत्याएं पढ़े लिखे आदमी के हाथों से होती हैं! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #2023Recap #भ्रूणहत्या हम ताल ठोक कर दावा करते हैं कि दुनिया के सबसे बुद्धिमान प्राणी है! इसलिए आज भी हमारी दुनिया मे एक लड़के के चाह के
शब्दिता
आत्महत्या:-एक पाप आत्महत्या जब कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो वह न केवल स्वयं को मृत्यु प्रदान करता है अपितु 9 माह गर्भ में रखने वाली मां की भी हत्या कर देत
Hariom
Divyanshu Pathak
कितनी कीमत चुकाई थी इस देश ने आजादी के लिए। कितनी जानें न्यौछावर हुईं। उनके नाम पर आज कितने लोग बेशर्मी से,पेंशन ले रहे हैं। यह प्रमाण है कि 65 साल में हम “आजादी के मतवाले” देश को कहां से कहां ले आए। हर साल बेरोजगारी और भुखमरी का विकास हो रहा है। भ्रष्टाचार के परचम लहरा रहे हैं। नेता और अफसर स्वयं तो कानून से ऊपर जी रहे हैं। संविधान भारतीय लगता ही नहीं। इसमें इतने संशोधन हो चुके हैं विकास के नाम पर, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, तीनों पायों की सुरक्षा के नाम पर इसकी सूरत ही बिगड़ गई है। देश की एकता एवं अखण्डता का यह प्रतीक आज खण्डन-मण्डन (अल्पसंख्यक, आरक्षित वर्ग आदि) की मशाल हाथ में लिए खड़ा है। अखण्डता इतिहास में खो गई। Good morning ji 🍉🍉🍉🍨🍧💕💕💕☕☕☕☕☕आप सभी को सादर प्रणाम आज प्रातःबेला में स्वागत है। : : भारत ऋषि-मुनियों की, ध्यान-धारणा-समाधि, भक्ति, शौर्य की
यशवंत कुमार
हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! Continue.... Read Full poem in Caption. हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी
यशवंत कुमार
दोनों हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! माँ ने जब समझाया लाडली चिल्ला कर बोली ! इतना रोका-टोका मत कर खा लूंगी नींद की गोली!! Read in Caption... हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी