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Sudha Mishra
ब्राम्हण विप्र महान है यह तो तुलसी दल समान है जिस जल में मिल जाए उसको अमृततुल्य कर जाएं हम ब्राह्मण ब्रह्म ज्ञान के दाता सदा सिखाएं ज्ञान वही जो जनहित में जाता मैं ब्राम्हण सदा जनहित में लगा गला हड्डियां वज्र बना, गो नारी निर्बल हेतु दुराचारी यों का काल बना हम पंडित हैं विद्वान हैं हम यज्ञ कर्मकांड हैं, हम बिन सारे यज्ञ अधूरे, अधूरे सारे व्रत-त्योहार हैं हमसे ही तो कलयुग हारा इस युग के हम ही तारणहार हैं🙏🕉️ ©Sudha Mishra ब्राह्मण विप्र, महान हैं #lotus
Anand Dadhich
*कौन है भगवान परशुराम?* जानें विप्र कुल गुरु को कविता वंदना से.. वो जमदाग्नि रेणुका कुमार राम है.., वो संयम संकल्प तेज के बलधाम है, बैशाख शुक्ल तृतीया को जो जन्में; वो विष्णु के छठवतारी परशुराम है। वो ब्राह्मण कुल गुरु गुणवान है.., रण कौशल में पारंगत बलवान है, जो दुष्ट क्षत्रियों को सबक सिखा दे; वो शिव 'परशु' धारी परशुराम है। वो तपस्वी महेंद्रगिरी की शान है वो वैदिक संस्कृति के ज्ञानी महान है धरा पर पुण्य प्रताप अक्षय रखनेवाले; वो मंगलकारी अक्षय परशुराम है। कवि आनंद दाधीच 'दधीचि' भारत। ©Anand Dadhich #parashuramjayanti #akshaytritiya #kaviananddadhich #विप्र #poetananddadhich #poetsofindia
SWATI
TARUN KUMAR VIMAL
प्रेम प्यार समता को खोया विप्र के गलत विचारो ने, भारत को बर्बाद किया इन धर्म के ठेकेदारो ने.... #tarun_kumar_vimal #प्रेम #प्यार #समता को #खोया #विप्र के #गलत #विचारो ने, #भारत को #बर्बाद किया इन #धर्म के #ठेकेदारो ने.... #tarun_kumar_vimal
Mukesh Dixit
#सिंधौलीब्लाक 12जनवरी ब्राह्मण महासम्मेलन पुवायां में अधिकाधिक संख्या में पहुंचने को गरवापुर,बाजपुर,गोरारायपुर,सुहेली,इन्दरखु,मियांपुर,र
Mukesh Dixit
#सिंधौलीब्लाक 12जनवरी ब्राह्मण महासम्मेलन पुवायां में अधिकाधिक संख्या में पहुंचने को गरवापुर,बाजपुर,गोरारायपुर,सुहेली,इन्दरखु,मियांपुर,र
Er.Deepak Trivedi
Prerit Modi सफ़र
फिक्र में हूं बेफिक्र नही, है सब्र मेरा बेसब्र नही अब्र बनकर टुटूंगा फिर जिक्र मेरा हर कहीं कहीं उलझ उलझ के सुलझा हूं, अब उलझनो का कोई बोझ नही अर्क में हूं अंध नहीं, है रौशनी अब हर कहीं कहीं विप्र हूं तीव्र हूं उम्र का अब कोई डर नही प्रेम में हूं अब क्रोध नही कृपा में हूं अब कृपाण नही चंद्र प्रकाश में लिपटा हूं सूर्य चक्र सुसोभित हूं प्रण प्रताप सा वृक्ष हूं प्रणाम मेरा अब हर कहीं कहीं फिक्र मैं हूं बेफिक्र नही, है सब्र मेरा बेसब्र नही मेरे अंतर्मन से उपजी एक कविता, इसे ज़रूर पढ़े। अच्छी लगे तो अपने विचार मुझे दें 🙏 【अब्र = बदल, अर्क = रौशनी, विप्र = धार्मिक】 फिक्र मैं हूं