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SHUBHAM SAHU
जैसे प्रथ्वी गोल है, जैसे सूर्य चंद्रमा गोल है, जैसे घड़ी गोल है,, ऐसे ही जीवन का चक्र भी गोल है,, हम लोगो के साथ जैसा व्यवहार करते है,, वैसा ही वापस हमारे पास जरूर आएगा sandyyy,,, #दुनिया गोल है
Anuj thakur "बेख़बर"
बिन मतलब के इस जग में कोई न पूछे हाल! कोरोना के काल में नेताओं की नहीं गल रही दाल मिलना जुलना बैठक पार्टी कर दिए कोरोना बंद! बाकी बिल में घुस गए सक्रिय नेता चंद!! उल्टा पुल्टा हो गया राजनीति का दांव! राजनीति भी चल दी है देखो गांव गांव!! खाने को हैं दौड़ रहे अधिकारी आदमखोर! भ्रष्टाचार चरम पर बस कोरोना का है शोर!! बेवस नेताजी हुए अधिकारी खाते माल! कलयुग में कौवा भी चले हंस की चाल!! कोरोना के काल में जनता रोई खूब! पुलिस विदेशी हो गई खूब दिखाती रौब!! शासन और प्रशासन का दिख जाएगा रोल! "अनुज बेखबर" ने कहा भैया दुनिया है यह गोल!!! अनुज बेखबर दुनिया है गोल
Oshikaomrajput
प्रेम की अनुरूप भाषा है सच्चाई...... और अगर सच है तो है भरोसा..... अगर भरोसा है तो है उम्मीद.... और उम्मीद है तो है बेहतर.... और हम बेहतर है तो कायम है रिश्ता... और रिश्ता है तो प्रेम है 🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂 दुनिया गोल है
मैं अगर कहूँ
kisi ke sath galat krke apni baari ka intzar jrur krna ©मैं अगर कहूँ क्योंकि दुनिया गोल है।
Royal Arman
किसी के मीठे बोल है किसी की नियत में झोल है। यह दुनिया गोल है। यहा सब डबल रोल है। ©Royal Arman दुनिया गोल है जनाब #Dark
hãmräj jhâ
मेरे हाथों की लकीरों में तू नहीं पर मेरे दिल में तेरे सिवा कोई और नहीं ©hãmräj jhâ दुनिया है गोल 🙄 #HandsOn
Author Harsh Ranjan
एक अनपढ़ इंसान ने कहा एक सवाल के जवाब में बिल्कुल बिंदास होकर, बिना शर्म के, बिना उलझन के, 'नहीं किया जा सकता।' फिर मैंने एक भले इंसान के कहने पर एक नया दरवाजा ताड़ा, उस इंसान को बुलाया जो पढ़ा-लिखा था, जानकार था, सो ताक़तवर था। उसने थोड़ा सोचकर, बिना शर्म के, बिना उलझन के, कहा, 'नहीं किया जा सकता।' तब मेरी समझ में आया, मुझे लगा कि दुनिया गोल है, और कुछ इस तरह पेचीदा कि यहाँ अनपढ़ से पढ़े-लिखे तक, नाकाम से होनहार तक, किसी के पास समाधान नहीं है। फिर भी हमें विश्व-गुरु होने की आन है। गोल दुनिया
Author Harsh Ranjan
एक अनपढ़ इंसान ने कहा एक सवाल के जवाब में बिल्कुल बिंदास होकर, बिना शर्म के, बिना उलझन के, 'नहीं किया जा सकता।' फिर मैंने एक भले इंसान के कहने पर एक नया दरवाजा ताड़ा, उस इंसान को बुलाया जो पढ़ा-लिखा था, जानकार था, सो ताक़तवर था। उसने थोड़ा सोचकर, बिना शर्म के, बिना उलझन के, कहा, 'नहीं किया जा सकता।' तब मेरी समझ में आया, मुझे लगा कि दुनिया गोल है, और कुछ इस तरह पेचीदा कि यहाँ अनपढ़ से पढ़े-लिखे तक, नाकाम से होनहार तक, किसी के पास समाधान नहीं है। फिर भी हमें विश्व-गुरु होने की आन है। गोल दुनिया