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kaushlendrayadav

मैं किसान हूँ- रामशंकर यादव "विद्रोही"
#किसान 
#inspirational

मैं किसान हूँ- रामशंकर यादव "विद्रोही" #किसान #inspirational #कविता

207 Views

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vaibhav

विद्रोह

विद्रोह #poem #nojotovideo

155 Views

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V Singh KyS

मेरे पास अब सिर्फ कागज के तीर है और जब भी कोई तीर चलता है, तो वो पानी नहीं मेरा लहू मांगता है। विद्रोह

विद्रोह

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Dayanand Kanakdande

विद्रोह

विद्रोह #poem

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somnath gawade

 साहेबांची 'उपद्रवी'
कृती वाढली की, 
कर्मचारी 'विद्रोह'
 वृत्ती कडे वळू
  लागतात.
 #विद्रोह
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Author Harsh Ranjan

पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

विद्रोह

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Author Harsh Ranjan

पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

विद्रोह

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Lalchand Lalchand

किसान किसान

किसान किसान #प्रेरक

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Ravi Sharma

किसान किसानी करता है ।

यूनियन पॉलिटिक्स करती है।

chronology samajhiye

#farmersprotest

किसान किसानी करता है । यूनियन पॉलिटिक्स करती है। chronology samajhiye #farmersprotest #शायरी

1,406 Views

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अशोक द्विवेदी "दिव्य"

जो भी करो बेहद करो,
इश्क़ करो या विद्रोह करो,
क्योंकि अंजाम दोनो के एक है। #इश्क़ #विद्रोह
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Pritam Singh

💐 जय किसान💐

कोरोना की इस महामारी ने 
खोली पोल दुनिया की।
जड़ें खोखली हो चुकी इंसानो में ईमान की।

सरकारो ने दिया आदेश ,बन्द करो सब धंधो को।
तभी  बच पाओगे तुम सब फैले इन कोरोना के पंजों से।।

अमीर गरीब सब ने था माना , हुकुम जो निकला सरकार का।
काला बाजारी हुई शुरू, जब ईमान बिका साहूकार का।

10 रू का आटा 50 रु में बिकने को मंजूर हुआ।
इतना रेट बढ़ने से ही, गरीबों की थाली से वो दूर हुआ।।

क्यो बढा था भाव, जब भाव गेहूँ का बढ़ा नहीं।
किसी ने आवाज लगाई, इनके ह्रदय में ईमान नहीं।।

बस उस दिन से मेरा नमन उन किसानो को,
जिन्होंने बेचा कभी ईमान नहीं।।
(प्रीतम सिंह)



💐जय जवान जय किसान💐🙏 #किसान
#जय किसान

#किसान #जय किसान

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Navratan Mali

किसान 

#poetryunplugged #किसान

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Jay Shree Ram

किसान मन के तो हे अत्तेक पीरा,
तभो ले धरथे जी धीरज के धीरा।।
अऊ का बताबे , सहज नई हे,
अब्बड़ कठिन हे ये किसानी के बीड़ा।
अऊ नमन करव सम्मान करव,
येमन हर तो आए हमर देश के हीरा।।
 येमन तो आए हमर देश के हीरा।।
                             Gajpal ji✍️✍️

©Jay  Shree Ram #किसान #जयजवानजयकिसान 
#किसान 
#kisandivas
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Teja Jakhar

जमींदारी किसान #किसान #Life

जमींदारी किसान #किसान Life #समाज

156 Views

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vikash meena

किसान भाई ।।।

किसान भाई

किसान भाई ।।। किसान भाई

69 Views

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joker

# विद्रोह भरी आंखें #

# विद्रोह भरी आंखें #

186 Views

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Dhananjay(dhanuj) Sankpal

_#कवी'धनूज.
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा
समाजकंटक गोळा करोनी
चौका-चौकात जाळावा
भेदभाव जातीचा सांगणारा, करणारा
जातीवंत जरूर निघावा
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

अंधारात पाप, उजेडात पुण्य करणारा
एका बापाचा ना निघावा
विचार बलात्कारी, नजर बलात्कारी
आजूबाजूला यांचा विसावा
औलादी ओढ्या नाल्याच्या
ओढ्या किनारी पुराव्या
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

अंधश्रद्धा, जातीभेद माजवणारा
रस्त्याला तानावा
पाठीत दगड मारोनी
दगडानी ठेचावा
का भडकतोस मस्तकी? प्रश्न करोनी
शिरा गळ्याच्या चाकू फिरवूनी तोडाव्या
वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा

वाटे विद्रोह करावा
विद्रोह लिहावा.......................... .

©Dhananjay(dhanuj) Sankpal #विद्रोह
#धनूज
#शायरी
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Raj Saini

dream11 विद्रोह स्कूल

dream11 विद्रोह स्कूल #स्पोर्ट्स

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mahakal

हम किसान है हमे किसानी पसन्द है ना की तेरे शहरो की असाये

हम किसान है हमे किसानी पसन्द है ना की तेरे शहरो की असाये #जानकारी

48 Views

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siddharath dinkar kharat

मला विद्रोह करायंचा !!!

बेड्या बंधनाच्या तोडुन 
मला माणुस व्हायंच आहे
किती अन्याय साहु मी 
मला विद्रोह करायचा आहे !!! 

भगंतसिग तो विद्रोही 
अजुन माझ्या रक्तात आहे
संघर्षासाठी मला त्या 
फासावर चढायंच आहे !!! 

छाती मी मजबुत केली 
दाभोळकर ,पानसरे व्हायंच आहे
सत्याच्या शोधासाठी आता 
गोळ्या छातीत झेलायाच्या आहे !!!

नको चिगांरी ती छोटी 
क्रांन्तिची मशाल व्हायंच आहे
नको मागे सरणे हे आता 
मला विद्रोह करायचा आहे !!! 

सिध्दार्थ दिनकर खरात 
मातृतिर्थ - सिदंखेडराजा 
   7544949787 मला विद्रोह करायचाय

मला विद्रोह करायचाय

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Satyendra Meravi

जल रहा है देश हमारा
      उग्र पंथी आक्रोशों से 
        सर्वत्र फैल रही है विश पुराना
      जिहाद रंग है जनमानस में 
    क्या अभिव्यक्ति की आजादी का
          हो रहा है सर्व विनाश 
        फिर क्यों हाथ में मशालें 
    और चारों तरफ हो रहा विनाश ।।
    ये वक्त नहीं बारूद और तलवारों का
     संवैधानिक लोकतांत्रिक देश है हमारा
       आओ सामने न्याय मंच पर
         होगी समस्या का निदान
कलम कागज और संविधान की बातों पर ।। विरोध या विद्रोह......

विरोध या विद्रोह...... #poem

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किसान पुत्र सागर

भारतीय किसान यूनियन किसान

#lonely

भारतीय किसान यूनियन किसान #lonely

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Pritam Singh

खेत थे हरे भरे , और हरा भरा था खलिहान।
देख के ये सब, बोहत खुश था किसान।।

अरमानों के सजाये सपने , घर इस साल पक्के होंगे अपने।

तभी आसमान में कड़की बिजली, बादलों का अंबार था।

उस तेज बारिश में जो बहा, अरमानो का संसार था।

पक्का तो दूर,जो कच्चा था वो भी रहा नहीं।
जो सहता है किसान वो किसी ने सहा नहीं।।

(प्रीतम सिंह) #किसान #farmer 


किसान के अरमान

#किसान #farmer किसान के अरमान #कविता

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राम सून्दर

किसान

किसान #विचार

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Chagan Prajapat

 #किसान
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Sanjeev Kumar "Deenaant"

किसान जिसके हाथों पर न हो कोई स्पष्ट रेखा। जिसे खाली कभी किसी ने न हो देखा।
 
वही तो है धरा का भाग्य विधाता अन्न दाता।
 सबकी क्षुधा का चिंतक अर्थ की अचल   मेखा। किसान

किसान

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