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Sunita Chhattani
ठंडी का असर शरीर पर अक्कड़ दिखाने से ज्यादा तो घुटनों में ज्यादा जकड़ कर लेता ©Sunita Chhattani अक्कड़ जक्कड़ 😲
Kamal.meena0098
फिर तमन्ना हुई ख़ुशियाँ तबाह करने की,,,, *ए-परी* फिर तेरे दर की तरफ़ रुख़ किया मैंने.... कमल जी #antichildlabourday बेस्ट आर्ट्स ऑफ नेहा ककड़
NEHA SHARMA
ज़िन्दगी के "एर फेर में "!! चारो तरफ सवालों का शोर है हवाओं में सन्नाटा है 😥 कमबख्त ये muhoobt नासूर बन गई ना जीने देती ना मरने देती !!!!❌😌 नेहा
Neha Shrivastava
निभाती आई हूं उन रिश्तो को जो मेरे अपनों के अजीज थे कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं जो मेरे सबसे करीब थे ©Neha Shrivastava नेहा
NEHA SHARMA
तुमको मुझे पाना उतना ही मुश्किल होगा ,,,,,😔😔 जितना कि किसी टूटे कांच को जोड़ना !! नेहा
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
प्रेम क्या हैं। प्रेम शाश्वत हैं, क्षणिक नहीं। प्रेम सौम्य हैं,उग्र नहीं। प्रेम श्लील हैं, अश्लील नहीं। प्रेम में हास हैं, घृणा नहीं। प्रेम स्तुति हैं निंदा नहीं। प्रेम सुमति हैं कुमति नहीं। प्रेम संकल्प से होता हैं, विकल्प में नहीं। प्रेम विस्तीर्ण मन हैं, संकीर्ण नहीं। प्रेम मृदुल हृदय हैं, कठोर नहीं। प्रेम में विश्वास हैं, अविश्वास नहीं। प्रेम चेतन हैं, जड़ नहीं। प्रेम स्वच्छंदतावादी हैं, परतंत्रतावादी नहीं। जिस प्रेम में परार्थ हैं वो प्रेम सार्थक हैं। और जिस प्रेम में स्वार्थ हैं वो प्रेम निरर्थक हैं। ।।फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी।। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। मुग्ध-हुलास को में मैं तिरोहित हो मन में बांट अगोरती, अस्तगमित महिमा समाज की, दुर्मद अवार चढ़ाये हुए हैं सब यहाँ, और कोपाकुल हो हमें ही है बस निहारती, कराल है व्यथा हमारी, मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। परिपाटी अजीब है इस कुदेश की, नारियों पर ही केवल क्यों हैं लांक्षन लगती, बलि-कृति-कला कि स्वरुप नारी, फिर अनल के कोढ़ में ही क्यों हैं समाती, मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
राहें पथिक तू देखता किसकी, संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही। श्यामतन सा बंधा यौवन तेरा, धर हाथों में आलोक का हथौड़ा, कर तिमिर राहों की अगवानी। आएंगी राहों में आपदाएं लाख चाहें, कातर हो पथिक राह तूम तज ना देना, बन प्रतिरूप तितिक्षा का आततायीयों से जा भिड़ना, बसुधा को शमन प्रदान कर ही आना। राहें पथिक तू देखता किसकी, संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही। (श्यामतन-साँवला रंग, कृष्ण रुपी।बंधा- संयमपूर्ण। आलोक-प्रकाश। तिमिर- अंधकार। कातर-भयभीत। तज-छोड़ना। तितिक्षा-सहनशीलता। आततायीयों -उपद्रवकारी। बसुधा-पृथ्वी,धरती। शमन-शांति) ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
माँ ममता का मानसरोवर, माँ का स्नैह अनंत गगन से भी अपार हैं, माँ के लिए श्रद्धा जिसके हृदय में, समझो वो दुनिया के सब विघ्नो से दूर, समस्त पाप पुण्यो से पार हैं। सभी माताओं को मातृत्व दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं सह प्रणाम 🙏🙏🙏🙏 ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़