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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
हा लक्षिमन तुम्हार नहिं दोसा, सो फलु पायऊँ किन्हेऊँ रोसा । बिबिध बिलाप करति बैदेही, भूरि कृपा प्रभु दूरि सनेही ।। ©Anushi Ka Pitara सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
दशमुख सकल कथा तेहि आगे, कही सहित अभिमान अभागे । होहु कपट मृग तुम्ह छलकारी, जेहि बिधि हरि आनौं नृपनारी ।। ©Anushi Ka Pitara मारीच रावन संवाद (रामायण) #NojotoRamleela
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
ऐहि ते अधिक धरमु नहिं दूजा सादर सासु - ससुर पद पूजा राम सीता संवाद ( रामायण) ©Anushi Ka Pitara राम सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
mksmahi
धर्म यह भी नहीं विभीषण कि बैरी आगे झुक जाऊँ। राज का मोह लिए घर का भेद खुल खुल के बतलाऊँ। कोटि कोटि धन्यवाद तुझे तुमने तात को धर्म समझाया। स्वयं अपमानित होकर भी राम भक्ति का महत्व बतलाया। पर निकाल दिया तात ने घर से तो इतना काम किया होता। वहीं देहरी पर बैठ कर अन्न जल प्राण त्याग दिया होता। तू तो था बड़ा धर्मात्मा रामभक्त, तुझको क्या डर था। हमारा अंत होना ही था, पर तेरी मुक्ति होना तो तय था। पर हे भाई कैसा अपना ये अहित तुमने कर डाला। अपने नाम को अपने हाथों ही कलंकित कर ड़ाला। तेरी रामभक्ति और धर्म को हर कोई भूल जायेगा। कलयुग में तू घरभेदी और कायर विभीषण कहलायेगा।। कुम्भकर्ण - विभीषण संवाद रामायण के प्रसंगो पर आधारित कुम्भकर्ण विभीषण संवाद मेरे शब्दों में। #ramayan #hindipoetry #kumbhkaran #vibhishan #र
Singer Radheshyam
जिंदगी के सफ़र में चलते चलते न जाने कितने मोड़ आते हैं!! लेकिन जब बात आती है अपनों को छोड़कर जाने की तो आंखो में आंसू आ जाते हैं ©Singer Radheshyam शायर राधेश्याम केवट
Sukhdev
केवट संग प्रसंग केवट! हो भैया मेरे ये, कैसे छेड़ रहे तुम तान? कहते हो श्रीराम प्रभु से, मिले हो तुम श्रीमान। ये बातें तुम्हरी तो हमरे, छील रहीं बस कान। मानों सूखे रेत में कोई, डाल रहा हो धान। कहाँ तुम्हारी नाव ही है, है कहाँ तुम्हारा ज्ञान? सदियों गांजे डाले हो, तुम पुण्यों के थान? मैंने भी तो कितने कल्पों, है किया प्रभु का ध्यान। लेकिन दर्शन देने को तो, तुम्हें बनाये शान। व्यर्थ हमारी आवाज़ें है, व्यर्थ सभी हैं आन। सुखी वही जिनसे मिलने, प्रभु ही खुद लें ठान। कह दोगे क्या प्रभु से कि हम खूब रहे हैं छान? और निरन्तर गाते उनके, स्वागत के सब गान। प्रभु ने हमको निज दर्शन का, नहीं दिया जो दान। शपथ हमारे कुल की है फिर, त्याग देंगे सब जान। ©Sukhdev केवट से complaint.
Vikas Sharma Shivaaya'
जाता है सो जाण दे-तेरी दसा न जाइ। खेवटिया की नांव ज्यूं-घने मिलेंगे आइ। जो जाता है उसे जाने दो-तुम अपनी स्थिति को, दशा को न जाने दो,यदि तुम अपने स्वरूप में बने रहे तो केवट की नाव की तरह अनेक व्यक्ति आकर तुमसे मिलेंगे ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' केवट की नाव