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Heer
मातृतृत्व (मातृप्रेम)— यशोदा मैया कान्हा तू काहे सताए मोहे...। भोर से निकाला अब सांझ भई तेरी यादों में मैय्या खोई, कबसे राह निहारे थक गए नैन अब मोरे, जाने कितना सताए गोपियां ये सोच सोच जी घबराए, कान्हा तू काहे सताए मोहे ...। न भेजूं अब गैया चराने न करने दू चौखट पार, गले लगाने को तड़प रही बाहें नैन दरस बिन पथराए, अपने हाथों पकवान बनाए जो लल्ला के मन को भाए, जल्दी जल्दी घर आजा लल्ला तू इतना काहे सताए मोहे....। नंद बाबा जल्दी जाओ मेरे लल्ला को ले आओ, मन को चैन तब तक न आवे जब तक लल्ला को दरस न पावे। ©Heer #मातृत्व प्रेम - मैया यशोदा
Writer1
अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया, नन्हे कृष्ण की लीला देखो, सख्त पहरे को खोल दिया, रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। लीला-२ कंस को जब खबर हुई उसने नन्हे कृष्ण को मारने राक्षसी पूतना भेजी, नन्हे बालक ने दुग्धपान कर राक्षसी पूतना का उद्धार किया। लीला-३ एक दिन कान्हा मिट्टी खा रहे थे, न जाने विचित्र बात हुई, मैया यशोदा ने कान्हा का मुंह जबरस्ती खोलने को कही। कृष्ण जी ने मुंह खोल मैया को पूरे ब्रह्मांड का दरस कराया, देख लल्ला के मुंह में ब्रह्मांड मैया का चित बहुत घबराया। लीला-४ (ऊखल बंधन लीला) वात्सल्य सुख के लिए जब मिलेगा लला को दूध पिलाने लगी, अतृप्त छोड़ कान्हा को जाने लगी, कान्हा कान्हा ने गुस्से में मटकी फोड़ दिया, टूटी मटकी देख जैसे ही मैया ने छड़ी उठाई, वात्सल्य-स्नेह उमड़ पड़ा, छोड़ छड़ी, मैया ने कान्हा को ऊखल से रस्सी से बाँध दिया। #czरस अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, दे
AB
.... तुम प्रेम मेरा कृष्णा आओ गोकुल पुनः तुम माधव मेरे मनमोहना ।। न सुन स्वर तुमरि बंसी के व्याकुल-व्यथित सब गोपियाँ न देख अठखेली तुमरि मलिन पड़ी
Anil Siwach
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। ” ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट “ “मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ-मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ? कहा करौं इहि के मारें खेलन हौं नहि जात-पुनि-पुनि कहत कौन है माता, को है तेरौ तात? गोरे नन्द जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात-चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत हँसत-सबै मुसकात। तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुँ न खीझै-मोहन मुख रिस की ये बातैं, जसुमति सुनि-सुनि रीझै। सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई, जनमत ही कौ धूत-सूर स्याम मौहिं गोधन की सौं, हौं माता तो पूत॥ “ इस दोहे में, श्रीकृष्ण ने अपनी माँ यशोदा से शिकायत की कि उनके बड़े भाई बलराम उन्हें बहुत चिढ़ाते हैं। वे अपनी मां से कहते हैं कि आपने मुझे पैसे देकर खरीदा है, मैंने जन्म नहीं दिया है। इसलिए मैं बलराम के साथ खेलने नहीं जाऊंगा। बलराम बार-बार श्री कृष्ण से पूछते हैं कि आपके असली माता-पिता कौन हैं? वह मुझे बताता है कि नंद बाबा और मैया यशोदा गोरे हैं लेकिन मैं काला कैसे हूं? वह बार-बार नाचता है। यह सुनकर सभी चरवाहे भी हंस पड़े। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। ” ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट “ “मैया मोहि दाऊ बहुत
Anil Siwach
Anil Siwach
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
जय गौ माता जय गोपाल ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust #प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी
Deepak Kanoujia
कृष्ण गमन... सभी प्रकार के विरह फीके मैया यशोदा के कृष्ण विरह के आगे... माता कहां सज्ज हो पाती है पुत्रों से कभी भी बिछोह सहने के, पर सज्ज करती है
Anil Siwach