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Ajay Keshari
जीवन के अंतिम पड़ाव पर, अपनों की जहां ज़रुरत हो, अपने ही अपनों को छोड़ देते है, वृद्धाश्रम में.!! जहां हर चेहरा मायूस है दीखता, सूनापन है आँखों में, अपनों से बिछड़े बुजुर्गों के, दर्द दीखता है चेहरे पर.! डरे सहमे भावहीन सभी चेहरे, दर्द छुपाएं आँखों में, इंतज़ार उसे मौत का रहता, जीवन से मुक्ति पाने को.! एक एक कर संघी है बिछड़ते, नए-नए रोज आते है, दर्द देखकर दूसरों का, अपना कम हो जाता है.! जीवन के इस चक्रव्यूह में, फंसे सभी है माया में, नही किए जीवन का मंथन, बंचित रह गए अमृत से.!! #अजय57 वृद्धाश्रम..
Jaydeep Vegda
" माँ " वृद्धाश्रम के चार दीवाल के बीच में बैठी है , जीवन की किताब का हर एक पन्ना खोल रही है, एक पन्ने पे अपने बेटे की सुनहरी सुबह आयी है, उसी सुबह की वजह से जीवन में काली घटा छाई है, जब मौत आकर गले लगाती है, उसकी एक ख्वाइश पूछी जाती है, कहती है चार दीवारों में बेचैनी है, पंखा भी नहीं है और क्या ये ज़िन्दगी है, होसके तो एक पंखा लगा देना, मेरे बेटे के साथ ऎसा ना होने देना । -kabeer #वृद्धाश्रम
नंदन.
वृद्ध, वृक्ष,वर्ण और वर्ग के चिंतन से विनिर्मुक्त लोगों के ही पग वृद्धाश्रम की ओर हैं। ये वही लोग है जिन्होंने अपनी संतान और सम्पत्ति को छोड़ अन्यत्र चिंतन ही नहीं किया। ©M.N.Sahitya Sangh,Katihar Mn75 #वृद्धाश्रम
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दुनिया में जिस तेजी से जनसँख्या का विस्तार हो रहा है उससे कहीं दुगनी तेजी से इंसान और चौगुनी रफ़्तार से इंसानियत लुप्त /गायब हो रही है ,निस्वार्थ श्रद्धा -भाव -समर्पण -विश्वास -सबूरी इनका धीरे धीरे अकाल पड़ता जा रहा है..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दहेज़ लेना मान सम्मान है ,रिश्वत लेना कामयाबी तरक्की की निशानी है ,झुठ बोलना आर्ट है ,यहीं अगर हम दहेज़ को नामर्दगी की निशानी मानते हुए ना दहेज़ लूँगा ना ही दूंगा का संकल्प लें ,चाहे काम देरी से हो पर पर रिश्वत के खिलाफ खड़े हो जाएं और सत्यमेव जयते की राह पर चलें ,पहला बदलाव अपने अंदर -घर परिवार के अंदर ,यकीन मानिये समाज अपने आप बदल जायेगा ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक बेटी का ये मानना की अगर समाज की विचारधाराओं के तहत अगर उन्हें माँ बाप को बुढ़ापे में सम्हालने का नैतिक अधिकार दे दिया जाये तो संपूर्ण राष्ट्र में किसी भी वृद्धाश्रम की जरुरत नहीं पड़ेगी ...वहीँ एक बेटे की ये दलील की अगर समस्त बहुएं अपने सास ससुर को ही अपने जन्मदाता माँ बाप जैसा ही दर्जा दें -ख्याल रखें -प्रेम -अपनत्व दें तो डिक्शनरी से ही वृद्धाश्रम का नाम मिट जायेगा...यहाँ मेरे ख्याल से एक बात जुड़ती है की सास ससुर को केवल ऊपरी तौर पर ही नहीं मानसिक -हार्दिक तौर पर भी बहु को बेटी समझना और मानना होगा ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की जिंदगी में एक ऐसा मुकाम भी आता है जब आपके अपने -नातेदार -रिश्तेदार -अड़ोस पड़ोस शारीरिक रूप से सब सामने दिखते हैं पर मानसिक रूप से -विचारों से -शब्दों से -हाव भाव से -दिल से समझ से दूर बहुत दूर होते हैं जहाँ से फिर दिलों का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है ,रिश्ते औपचारिकता और समझौतों में तब्दील हो जाते हैं ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' वृद्धाश्रम
Ajay Keshari
मिथ अब टूट रहा है, टूट रहा रिवाज है.! हम कटे समाज से, कट गए हम आप से.! अब ना कोई डर रहा, ना रहा लिहाज है.! टूट गई है बेड़ियां, घर और समाज से.! बन्धनों से मुक्त हम, उनमुक्त जीना चाहते.! ना कोई बन्दिश हो, ना कोई दबाव हो.! दूर हो बुजुर्गों से हम, बस यही चाह है.! इसीलिए पनप रहा, वृद्धाश्रम आज है.! #अजय57 #वृद्धाश्रम
Ajay Keshari
#बृद्धाश्रम_की_व्यथा कथा, होती बड़ी अज़ीब है, जहां हर चेहरा सपाट दीखता, आंखे बिलकुल उदास है, दर्द न दीखता अपनापन का, जीवन की नही चाहत दिखती, आँखों में सूनापन दीखता, मृत्यु की बस चाहत दिखती, हर आँखों में सवाल दीखता, अपने इतने निष्ठुर क्यों है, बेटा समझ के जिसको पाला, वो ही हमको दूर किया है, उम्मीदों का टूटना, हर चेहरे पर दीखता है, भाव नही किसी चेहरे पर, भाव विहीन दीखता है.! #अजय57 वृद्धाश्रम..
देवेंद्र धर
आपको इसके लिए समय कब मिला मुझे लगता है कि जो माँ-बाप बेटे की चाह में कोख़ में ही अपने बेटी का हत्या कर देते है उनके वही बेटे उनको वृद्धाश्रम में जाकर छोड़ आते है ।क्योंकी वही बेटी बहु का रूप लेकर आती है और बदला लेती है । देवेंद्र धर ( देवा ) वृद्धाश्रम
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
आजकल वृद्धाश्रम हो गये हजार संयुक्त परिवार रह गये अब दो चार कितना आज नैतिक पतन हो गया, हमारा लहूं ही आज पराया हो गया, लहूं से बह रही,परायेपन की बयार आजकल वृद्धाआश्रम हो गये हजार अब कहां है,वो दादी की कहानियां अब कहाँ है,वो दादा की जुबानियाँ वृद्धाआश्रम ने लील लिया सब प्यार आज की पीढ़ियों ने कर दिया लाचार दादा-दादी की न रही घर मे बहार आजकल वृद्धाश्रम हो गये हज़ार सुधार नही किया तुम्हे भी मिलेगा, आसपास के सब लोगों को मिलेगा, माता-पिता का मिलेगा ये उपहार आप होंगे वृद्धाआश्रम के चमत्कार जैसी करनी वैसी ही भरनी होगी, कर्मों की चुन-चुनकर गिनती होगी, बुरे कर्मो पे मिलेगा शूलों का उपहार बेटों से मिलेगा वृद्धाआश्रम का प्यार अपनी बेटी को दो सदा अच्छे संस्कार खत्म होंगे फिर तो वृद्धाआश्रम हज़ार सास-ससुर को माने माता-पिता समान फिर आपका सदा सुखी होगा घर-संसार दिल से विजय वृद्धाश्रम