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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी हँसते हुये चेहरों पर, गमो की कालिख पोत दी है चैन चुराकर , नये जख्मो की तारीख लिख दी है गुनाही इतनी सी, हम सबने की है उनको अपनी सरकार चुन ली है कोना कोना थर्रा रहा है पूरा देश जुल्मो से कराह रहा है लोकतंत्र के नाम पर गुण्डो का तंत्र लूट मचा रहा है कानून बनाकर फिरौती से जनता की जेबो पर डकैती डाल रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #mukhota जनता की जेबो पर,डकैती डाल रहा है #mukhota
Divuu.writes
हर बार मुझसे मेरी खुशियां छीन ने आ जाता है ऐ वक्त तू डकेती करना छोड़ता क्यों नही ©Divuu.writes #chaand डकैती
Manisha Sharma
थी हृदय विदारक घटना वो, कैसे बताऊं कैसे उसको सहती, तिनका तिनका जोड़ा था मैंने, अब गुमसुम सी खड़ी हूँ रहती । था जीवन भर का खून पसीना, जाने किस नीच की नज़र में आया, थी अनमोल सुनहरी यादें वो, जाने किस भेदी ने घर मेरा ढाया। गये थे दाना अपना लाने, ध्यान से कुंडे ताले लगाके, भरी दुपहरी कोई पापी आया, साथ में सारे हथियार वो लाया। ताला तोड़ वो घर घुस आया, जाने किसने मेरे घर का हर राज़ बताया, लगा जैसे देखा जैसे उसने घर मेरा, सीधे तोड़ा लक्ष्मी का वो कोना। ज़ेवर पड़े थे उसमें मेरे, हीरे मोती आभूषण भतेरे, मुफ्त में मिली लाखों की कमाई, मुस्काया होगा वो भी मेरा भाई। घर खुला छोड़ कर मेरा भागा, जाने क्यूँ किसी ने कुछ न देखा, अडोस पड़ोस सब सो रहे थे जाने, जिसका घर लुटा पीड़ वही जाने। खबर ना कोई मेरे पास ही आई, चोरी हुई, आकर देख लो भाई, शाम को वपास आकर देखा, निकला दम देख दरवाज़ा। क्या करूँ कुछ समझ ना आया, पहले police को फ़ोन मिलाया, ख़ुशी ख़ुशी वो दौड़ी आयी, हुई थी शायद उनकी भी मोटी कमाई। मेरे जीवन का वो दिन था बेहद अभागा, घर में क्यूँ था, सिर्फ एक यही सवाल बचा था, किस किस को क्या क्या समझती, बस चुप सी अपने आंसू बहाती। साल पूरा होने को आया, ना कोई लौटा ना कुछ पाया, आम नागरिक कब तक भागे, Police के चक्कर हो गये आधे। भरोसा जिस पर करे नर नारी, कहते वो ज़िम्मेदारी नही हमारी, अब चुप चाप से बैठी हूँ रहती, कलंक है मुझपे, मैं ही हूँ सहती। #hearts #चोरी #डकैती
DR. LAVKESH GANDHI
समय समय बड़ा मूल्यवान होता है तकदीर बदलने के लिए कब किसकी तकदीर बदल जाए यब वक्त के हाथों में होता है कर्म करके भी तकदीर बदल लेते हैं वही कर्मवीर कहलाते हैं ©DR. LAVKESH GANDHI #samay # # समय है वक्त की धारा #