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शशि कुमार ''गोपाल''
*गृहिणी " सारा घर जिसका ऋणी वही है "गृहिणी"। ©शशि कुमार ''गोपाल'' #yaadein गृहणी का अर्थ
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
प्रभाकर अजय शिवा सेन
जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅 ©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची #Roses
brijesh mehta
................................... .. ©brijesh mehta प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, दुनिया में!
Deepak Sharma
गृहणी होना क्यों नहीं भाता गृहणी को कोई क्यों नहीं समझता जो घर मे रहकर गृहणी बनती हैँ वो घर कि अर्थव्यवस्था को संभालती हैँ!! बढ़ती महंगाई घटती कमाई का तालमेल बनाती हैँ फिर भी बुरे समय के लिए पैसे बचा लेती हैँ ना मिलती उसको छुट्टी हैँ बस लगी रहती सबकी सेवा मे वो ही तो गृहणी हैँ © Deepak Sharma #गृहणी
Amit Singhal "Aseemit"
गृहणी को ख़ुद को क्यों साबित करना पड़ता है? क्यों लड़नी पड़ती है अपने अस्तित्व की लड़ाई? जबकि उसे घरेलू समस्याओं से लड़ना पड़ता है, वह हल खोजती है जो परिवार पर विपत्ति आई। ©Amit Singhal "Aseemit" #गृहणी
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की विश्वास और घमंड में बहुत महीन फ़र्क़ है , मैं यह कर सकता हूँ मेरा विश्वास है और यह मैं ही कर सकता हूँ मेरा घमंड है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो भी कुछ आपको आसानी से हासिल हो जाता है अमूमन इंसान उसकी क़द्र नहीं करता चाहे वो किसी इंसान का ही मिलना हो -समय हो -सफलता हो या कुछ ओर ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर घर की गृहणी अपना तन जला कर हर हालात में रोटियां पकाती है और बच्चे तथा हम कभी सब्जी पर तो कभी अचार पर रूठ जाते हैं ,इनके लिए तो संडे भी नहीं आता और आता भी है तो डबल काम लेकर ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की शायद अब मैं धीरे धीरे समझने लगा हूँ की क्यों कोई भी इंसान अचानक पंखे से लटक जाता है ,आसान नहीं होता ,उस एक मौत को गले लगाने के लिए सैंकड़ों बार मरना पड़ता है ,...उम्मीद मत छोड़िये ..हर रात के बाद सुबह होनी ही है ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' गृहणी
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......