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Mamta kumari

बेचेंन भवरें ।

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आप कोमल फूल सी हो 
मैं बेचेंन भंवरे सा हूँ 
आपके दीदार को 
भटकते रहता हूँ 
नैन भरी प्रेममाधुरी ही
मिल जाये तो भी मैं खुश हूँ । बेचेंन भवरें ।

Mamta kumari

दिल बेचेंन है ।

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ये दिल तुझे देख क्यों जोर- जोर से धड़कता है 
ये मेरी आँखें तेरी एक झलक पाने को क्यों तड़पता है 
ये दिल और आँखे मेरा हो के भी मेरा नही रहा ,
क्योंकि दिन-रात तेरे दर्शन को ही बेचेंन रहता है ।

©Mamta Kumari दिल बेचेंन है ।

Shekhar

हमारे मुल्क़ में जिसनें कराया मौत का तांडव, वही अब ज़िंदा रहने का हमे सामान बेचेंगे।(6) जो बेईमान है उन को मि #Politics #ghazal #gazal #ग़ज़ल #राजनीति #bestyqhindiquotes #yqgazal #ग़ज़ल_ए_अक्स

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अभी  तो    फर्म   बेचा    है,    हम  अब  इंसान   बेचेंगे,
अगर  कुर्सी  पे  आँच  आई,  तो  हिन्दोस्तान  बेचेंगे।(1)

सियासत  ने   हमे   कबका   इशारा  कर  दिया  था   ये,
यहाँ   अब   डिग्री  वाले  भी  समोसे,  नान   बेचेंगे।(2)

उन्हें  मुंसिफ़  सज़ा  जब तक सुना पाएगा तब तक,  वो,
न जाने कितनी महिलाओ के जिस्म-ओ-जान बेचेंगे।(3)

वो  जिसने  बेड़ियों  को  तोड़ना  हमको   सिखाया   था,
वही   अब  भूख  की   ख़ातिर  हमें   ज़िंदान  बेचेंगे।(4)

जिसे  चाहा  था  हमने  अपने जिस्म-ओ-जान से ज्यादा,
हमे  लगता  है  हम  उसको  भी  इस  दौरान  बेचेंगे।(5) हमारे   मुल्क़   में   जिसनें   कराया   मौत   का   तांडव,
वही   अब   ज़िंदा   रहने  का   हमे   सामान  बेचेंगे।(6)

जो   बेईमान  है  उन  को  मि

Farhan Raza Khan

इस क़दर बेचें हैं हमने आंखों के खाब के अब रोशनी भी नही रुक सकी इनमें।। IS KADAR BECHE HAIN HUMNE AANKHO KE KHAAB KE AB ROSHANI BHI NAHI RUK #Shayar #farhanrazakhan #banaamshayar

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इस क़दर बेचें हैं हमने आंखों के खाब
के अब रोशनी भी नही रुक सकी इनमें।।

IS KADAR BECHE HAIN HUMNE AANKHO KE KHAAB
KE AB ROSHANI BHI NAHI RUK SAKI INME... इस क़दर बेचें हैं हमने आंखों के खाब
के अब रोशनी भी नही रुक सकी इनमें।।

IS KADAR BECHE HAIN HUMNE AANKHO KE KHAAB
KE AB ROSHANI BHI NAHI RUK

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है । तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।। हम भी देख रहें हैं तुमको .... टिकट नही म #कविता

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गीत :-
हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है ।
तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।।
हम भी देख रहें हैं तुमको ....

टिकट नही मिलते वेटिंग के , हम ऐसे ही चढ़ जाते है ।
टीटी आकर पैसे लेते , फिर हमको चढ़ने देते हैं ।।
ऐसे में बतलाते हो तुम , की दो सौ मौतें होते है ।
पूछ रहा हूँ मैं अब उनसे , कितने में ईमा बेचें है ।।
हम भी देख रहें है तुमको ....

डिब्बे-डिब्बे बिखर गये है , धड़ किसके अब आज पड़े है ।
नहीं कहीं पहचान यहाँ अब , अपने किसके पास खड़े है ।।
आज मीडिया राजनीति में , लाशो कें भंडार लिए है ।
ले जायेगा लाशो को वह , बोली में होगें ऊँचे है ।।
हम भी देख रहें है तुमको .....

हम भी देख रहें हैं तुमको , कितने कफ़न खरीदें है ।
तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।।

०३/०६/२०२३      -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है ।
तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।।
हम भी देख रहें हैं तुमको ....

टिकट नही म

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*कल के हादसे पर ताजा गीत ,हकीकत बयां करती हुई* *हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है ।* *तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बे #कविता

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गीत :-
हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है ।
तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।।
*हम भी देख रहें हैं तुमको ....

टिकट नही मिलते वेटिंग के , हम ऐसे ही चढ़ जाते है ।
टीटी आकर पैसे लेते , फिर हमको चढ़ने देते हैं ।।
ऐसे में बतलाते हो तुम , की दो सौ मातें होते है ।
पूछ रहा हूँ मैं अब उनसे , कितने में ईमा बेचें है ।।
हम भी देख रहें है तुमको ....

डिब्बे-डिब्बे बिखर गये है , धड़ किसके अब आज पड़े है ।
नहीं कहीं पहचान यहाँ अब , अपने किसके पास खड़े है ।।
आज मीडिया राजनीति में , लाशो कें भंडार लिए है ।
ले जायेगा लाशो को वह , बोली में होगें ऊँचे है ।।
हम भी देख रहें है तुमको .....

हम भी देख रहें हैं तुमको , कितने कफ़न खरीदें है ।
तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बेचें है ।।

०३/०६/२०२३      -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *कल के हादसे पर ताजा गीत ,हकीकत बयां करती हुई*

*हम भी देख रहें हैं तुमको ,कितने कफ़न खरीदें है ।*
*तुमने तो पैसो की खातिर , अपने भी बच्चे बे
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