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HintsOfHeart.

#Curse_of_Casteism 1.हजारी प्रसाद द्विवेदी

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Sidhar AJay

शिरीष # हजारी प्रसाद द्विवेदी # शिरीष के फूल # Sidhar AJay

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वो शिरीष, नव रगों में साहस भर रहा 
जो खुद थकने का नाम नहीं ले रहा, 
वो शिरीष, ज्येष्ठ की आग-सी धरा में खङा 
जो चिलचिलाती धूप में भी छाया दे रहा, 

आकाश से अपना सार निचोङता हुआ 
पुष्पों से मन में उमंग अर्जित करता हुआ 
जो विकटता में भी अजेयता का प्रचार कर रहा, 

वो शिरीष, हर मनुज के हौंसले को चेता रहा 
हर विपदा में भी उसे निडरता सिखा रहा, 

वो शिरीष, सरस है, कोमल है और फ़क्कङ भी 
जो हर मुश्किलों को चुनौती दे रहा, 
वो शिरीष, नव रगों में साहस भर रहा 
जो खुद थकने का नाम नहीं ले रहा। शिरीष
# हजारी प्रसाद द्विवेदी 
# शिरीष के फूल 
# Sidhar AJay

Amit Kumar Singh

रजनी दिन नित्य चला ही किया ....आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

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Dr. Govind dhar Dwivedi

सत्यता। लेखक- जी डी द्विवेदी

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वह नाराज है मुझसे तो नाराज ही रहने दो। यूं ही उनको मुझसे एतराज ही रहने दो।।किस कदर बेगुनाही की उन्हे सबूत दें।ऊपर मुझसे उन्ही के आवाज रहने दो।। वह मुझको समझते हैं इंसान गलत है । बात गलत है मगर यह राज ही रहने दो।।सत्य सदा परेशान होता पर हारता नही।खुदा के सामने झूठ का अलफाज ही रहने दो। मुद्दतों मांगेंगे रब से उनके लिए खुशियां। जो आता है इल्जाम हम पर तो इल्जाम ही रहने दो।। उनकी शर्ते हैं मैं बदनाम रहूं। अगर खुशी मिले उनको तो मुझे बदनाम ही रहने दो।।

©Govind dhar Dwivedi सत्यता। लेखक- जी डी द्विवेदी

Dr. Govind dhar Dwivedi

लेखक-जी डी द्विवेदी #WorldBicycleDay2021

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My Bicycle       पांचवी तक चपरासी लेकर आता जाता था। छठवीं से आठवीं तक मैं अपना कदम बढ़ाता था।। एक दिन बोला हे मैया चलते चलते हम थक जाते हैं। सात किलोमीटर्स आना जाना दर्द बहुत दे जाते हैं।। इकलौता होने के कारण मैया मुझ पर स्नेह करती थीं करती हैं। मेरा तिल भर दुख दर्द पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं।। बनिया को बुलवाकर मैया गेहूं को बेच दिया। 24 सौ का नई साइकिल मुझे खरीद एक दिया।। मां की ली हुई साइकिल नहीं वह मेरी जान थी। अंतरात्मा में खुश थे सभी बच्चों में बन गई पहचान थी।। कुछ दिन बीते ही थे तभी घर में मेरे चोरी हो गई। सभी वस्तुओं के साथ प्राणों से प्यारी साइकिल खो गई।। इंटर तक कॉलेज व कोचिंग पैदल आते जाते थे। अपने पहली साइकिल के बारे में सोच कर बहुत उदास हो जाते थे।। नोजोटो पर मैंने पहली साइकिल के बारे में लिखा सत्य कहानी है। मानव जीवन होता है संघर्ष मय शायद हर जीव की अपनी अपनी अलग कहानी है।।

©Govind dhar Dwivedi लेखक-जी डी द्विवेदी

#WorldBicycleDay2021

Dr. Govind dhar Dwivedi

एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी

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कुछ दर्द हमारे भी हैं, कुछ दर्द आप के भी हैं। मेरा कोई हमदर्द नहीं, अनेकों हमदर्द आप के हैं।। कुछ भूल हमारी है, कुछ भूल आप के हैं। गुनाहगार हमें बना दिए, यह सलूक आप के हैं।। मानव प्रेम धर्म है मेरा, यही इंसानियत आपके हैं। आप हमें गलत समझ बैठे, यही खासियत आप के हैं।। पवित्रता मुझ में भी समाहित है, बहुत अच्छे संस्कार आप के हैं। सरेआम बदनाम कर दिये, यह परोपकार आप के हैं।।

©Govind dhar Dwivedi एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी
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