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HARRY

👉की नई दुनिया में वो खीसा पुराना याद रहता है👌 अपने बचपन गुजरा जमाना याद रहता है😘😘 भले कभी sir. . की कही बाते अभी सर में नही डाली पर उसका को

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 👉की नई दुनिया में वो खीसा पुराना याद रहता है👌 
अपने बचपन गुजरा जमाना याद रहता है😘😘
भले कभी sir. . की कही बाते अभी सर में नही डाली पर उसका को

vishnu prabhakar singh

तब महोदय,व्यवस्था इस वर्षा ने तो, आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी यह नक्षत्र ही संयोग है मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें कला संस्कृति #Inspiration #yqbaba #yqdidi #bjp #ndrf #विप्रणु #bihargovernment

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"भुगतान"
महाशय,व्यवस्था
अवगत करा दूँ!
मैं मूर्तिकार,नियति मेरी नीर तट
चिकनी मिट्टी पर अधिकार
मेरे संपूर्ण अवधि में बाधा
हथिया नक्षत्र
वर्षा प्रकोप बरसा रही है
मैं बावला होता जा रहा हूँ
वर्ष भर का पूजा
कल्पना आकार ले चुकी थी
मिट्टी भी ज्यादा ली
पिछली बार माँ का सरस्वती मस्तक बहुत चमका
इस बार मैं भी..........,
इसी भाव में ही जी रहा था,सच में
दुर्गा माता की मूर्ति बड़ी ही होनी चाहिए,
इसका अनुमान कर, कितना खुश था मैं
और ये हथिया नक्षत्र
भुगतान की व्यवस्था करें।।
(कृपया,शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) तब महोदय,व्यवस्था
इस वर्षा ने तो, 
आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी
यह नक्षत्र ही संयोग है
मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें
कला संस्कृति

Pranav Shandilya

चौपाई:- हे जिनपिंग! चीन के स्वामी। तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।। कोरोना के पालन कर्ता। मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।। कोई मुल्क नहीं है बाकी।

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COVID-19 Frustration

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।
तुम तो निकले बड़े हरामी।।
कोरोना के पालन कर्ता।
मिल जाओ तो बना दें भरता।।
Must read the Caption!

_Tiwari_ चौपाई:-

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।
तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।।
कोरोना के पालन कर्ता।
मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।।

कोई मुल्क नहीं है बाकी।

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2 #समाज

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🙏सुंदरकांड 🙏
दोहा – 20
रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है
कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥20॥
रावण हनुमानजी की और देख कर हँसा और कुछ दुर्वचन भी कहे,परंतु फिर उसे पुत्र का मरण याद आ जानेसे
उसके हृदय मे बड़ा संताप पैदा हुआ॥

हनुमानजी और रावण का संवाद
रावण हनुमानजी से उनके बारे में पूछता है?
कह लंकेस कवन तैं कीसा।
केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥
की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही।
देखउँ अति असंक सठ तोही॥

रावण ने हनुमानजी से कहा कि हे वानर!तू कौन है और कहां से आया है?और तूने किसके बल से मेरे वनका विध्वंस कर दिया है॥मैं तुझे अत्यंत निडर देख रहा हूँ।क्या तूने कभी मेरा नाम अपने कानों से नहीं सुना है?॥

हनुमानजी श्री राम के बारे में बताते है
मारे निसिचर केहिं अपराधा।
कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा॥
सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया।
पाइ जासु बल बिरचति माया॥
तुझको हम नहीं मारेंगे, परन्तु सच कह दे कि तूने हमारे राक्षसों को किस अपराध के लिए मारा है?रावण के ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रावण से कहा कि हे रावण! सुन,यह माया (प्रकृति) जिस परमात्माके बल (चैतन्य शक्ति) को पाकर अनेक ब्रम्हांड समूह रचती है॥

श्री राम का बल और सामर्थ्य
जाकें बल बिरंचि हरि ईसा।
पालत सृजत हरत दससीसा॥
जा बल सीस धरत सहसानन।
अंडकोस समेत गिरि कानन॥
जिसके बल से ब्रह्मा, विष्णु और महेश
ये तीनो देव जगत को रचते है,पालते है और संहार करते है॥और जिनकी सामर्थ्य से शेषजी अपने सिर पर
वन और पर्वतों सहित इस सारे ब्रम्हांड को धारण करते है॥

भगवान राम के अवतार का कारण
धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता।
तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता॥
हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा।
तेहि समेत नृप दल मद गंजा॥
और जो देवताओ के रक्षा के लिए और
तुम्हारे जैसे दुष्टो को दंड देने के लिए
अनेक शरीर (अवतार) धारण करते है॥जिसने महादेवजी के अति कठिन धनुष को तोड़ कर तेरे साथ तमाम राजसमूहो के मद को भंजन किया (गर्व चूर्ण कर दिया) है॥

खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली।
बधे सकल अतुलित बलसाली॥
और जिन्होने खर, दूषण, त्रिशिरा और
बालि ऐसे बड़े बलवाले योद्धओको मारा है॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम
आगे शनिवार को....,
श्री राम, जय राम, जय जय राम

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 789 से799 नाम 
789 कृतागमः जिन्होंने वेदरूप आगम बनाया है
790 उद्भवः जिनका जन्म नहीं होता
791 सुन्दरः विश्व से बढ़कर सौभाग्यशाली
792 सुन्दः शुभ उंदन (आर्द्रभाव) करते हैं
793 रत्ननाभः जिनकी नाभि रत्न के समान सुन्दर है
794 सुलोचनः जिनके लोचन सुन्दर हैं
795 अर्कः ब्रह्मा आदि पूजनीयों के भी पूजनीय हैं
796 वाजसनः याचकों को वाज(अन्न) देते हैं
797 शृंगी प्रलय समुद्र में सींगवाले मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले हैं
798 जयन्तः शत्रुओं को अतिशय से जीतने वाले हैं
799 सर्वविज्जयी जो सर्ववित हैं और जयी हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏
दोहा – 20
रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है
कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2
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