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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सब ताल मेल फिट बैठे लय जिंदगी की अपनी बना ली है रुठने मनाने से अहम उभर आते है एक दबाबों में रहता दूसरा मन ही मन घुट जाता है साथी का साथ निभता रहे उसे लुभाने की रोज नयी धुन बनाते रहिये सम्मान दोनो का बना रहे सफल जीवन बनाते रहिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Srk&Katrina रुठने मनाने से अहम उभर आते है #nojotohindi
prince raj Mali
रुठने मनाने का सिलसिला कुछ यू चला दिन रात हम दिल ओ जान से मनाते रहे उन्हें दिन रात और वो है की हमसे रूठे रहने की दुआ रब से करते रहे दिन रात writer by ©prince raj Mali रुठने मनाने का सिलसिला #nojotoshayari #nojotoquote #Nojoto #nojotopoetry #nojotoenglish #nojotohindi #SAD #Heart #Love #na
Rabindra Kumar Ram
" बात आई तो बताऊंगा मैं भी , इश्क की रुसवाईया समझ में आये तो सही , मशाला अभी ये हाल - फिलहाल का है , रुठने - मनाने का खेल अभी लगा रहेगा . " --- रबिन्द्र राम बात आई तो बताऊंगा मैं भी , इश्क की रुसवाईया समझ में आये तो सही , मशाल अभी ये हाल - फिलहाल का है , रुठने - मनाने का खेल अभी लगा रहेगा . "
अंदाज़ ए बयाँ...
आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार
अंदाज़ ए बयाँ...
आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार
अंदाज़ ए बयाँ...
आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार
अंदाज़ ए बयाँ...
आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार आधी गुज़री उसे पटाने में, आधी गुज़र जाएगी रुठने मनाने में, ये क्या गुज़री तेरी ज़िंदगी आशिक़, थोड़ी उसे समझने में, बाक़ी ख़ुदको समझाने में। रविकुमार
साक्षी
तो कहना....!!! ~बिहारन❤ (read in caption) यूँ तो वेस्टर्न ड्रेस से परहेज नहीं हमें पर दुपट्टा में भी उतनी हीं पसंद आऊँ तो कहना...! यूँ तो शिकायत लगाने कि आदत नहीं हमें पर तुम बिन
बे-फ़सील
क्युँ चले गये तुम छोटी सी बात दिल से लगा के, कहाँ चले गये तुम कुछ तो कहा होता हमसे, बिना कुछ कहे चले गये तुम ऐसे तन्हा छोङ के अकेले क्युँ चले गये तुम.... रुठने मनाने के मौसम आते पल पल साथ निभाते उन प्यार भरे मौसमोँ को छोङ क्युँ चले गये तुम.... क्या गुनाह किया, क्या खता हुई कुछ तो कहा होता, युँ तन्हाईयोँ मे कैद कर हमको क्युँ चले गये तुम.... जो हुआ उसे भुल जाओ अब लौट आओ बिना तुम्हारे अश्क बहते है हर पल हमारे छोङ हजारोँ गम के आँसु पलकोँ पे हमारी, युँ बिना कुछ कहे क्युँ चले गये तुम..... क्युँ चले गये तुम छोटी सी बात दिल से लगा के, कहाँ चले गये तुम कुछ तो कहा होता हमसे, बिना कुछ कहे चले गये तुम ऐसे तन्हा छोङ के अकेले क