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Shivkumar
शीश पर चंद्र विराजे, मां चंद्रघंटा कहलाती । तृतीय रुप में माता, जग में बड़ी सुहाती ।। अलौकिक, अविकारी, मां है कल्याणकारी । जब भी भक्त पुकारे, आ जाती मां हमारी ।। जब-जब संकट आया, देवों ने मां को बुलाया । एक पुकार पर मां ने, हर संकट दूर भगाया ।। दैत्यों के है संहारकारी , भक्तों के लिए है प्यारी l बड़ी ही करुणामयी है, जगजननी मां हमारी ।। ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #नवरात्रि शीश पर #चंद्र विराजे, मां #चंद्रघंटा कहलाती । तृतीय रुप में #माता , जग में बड़ी सुहा
RUPAL SINGH 'भारतीय नारी'
वो अजर अमर डमरू वाला जो पी गया था विष का प्याला मैं उस भोले की पुजारन हूँ जो पहनें सापों की माला जब बढ़ा प्रकोप दैत्यों का नेत्रों से ही भष्म कर डाला मैं उस भोले की पुजारन हूँ जो है काल को हरने वाला हैं शांत चित्त शिव हैं पवित्र महिमा महेश की है विचित्र जब कहर बढ़ा पापियों का महादेव ने ताण्डव कर डाला मैं उस भोले की पुजारन हूँ जो है भक्तों का रखवाला। वो अजर अमर डमरू वाला जो पी गया था विष का प्याला मैं उस भोले की पुजारन हूँ जो पहनें सापों की माला जब बढ़ा प्रकोप दैत्यों का नेत्रों से ही भष्
Vibha Katare
"दहेज : दान , भीख या डकैती यह है समाज की घ्रणित लेकिन प्रतिष्ठित कुरीति " इंद्र के दरबार में देवों दैत्यों की बैठक हुई, आने वाले युगों युगों की इस बैठक में चर्चा हुई, बैठक में जो विचार था, विधेयक कुछ इस प्रकार था, देवदल दैत्यदल कौन किस युग का कितना हिस्सेदार था, निर्णय कुछ इस प्रकार था, देवों का तीन युगों पर अधिकार था, दानव दल तो केवल कलयुग का हक़दार था... पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़े... इंद्र के दरबार में देवों दैत्यों की बैठक हुई, आने वाले युगों युगों की इस बैठक में चर्चा हुई, बैठक में जो विचार था, विधेयक कुछ इस प्रकार था,
Sunil itawadiya
हिरण्यकश्यप जैसा हो गया है, कोरोना वायरस 🙄🙄🙄🙄🤔🤔🤔 कैप्शन ध्यान से पढ़ें 🙄🙄 👇 हिरण्यकश्यप जैसा हो गया है कोरोना वायरस!! 👹👹 ना जल में मरू, ना थल में मरू ना आकाश में मरू, ना पाताल में मरू ना अंदर मरू, ना बाहर मरू ना म
AB
" कुष्मांडा " या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तेस्यै नमस्तेस्यै नमस्तेस्यै नमो नमः पौराणिक कथाओं के अनुसार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था,! धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नही
lalitha sai
''ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात् || धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि जब-जब धर्म का पतन हुआ है और असुरों का अत्याचार बढ़ा है। तब-तब भगवान पृथ्वी पर अवतरित होकर असुरों का संहार किय
Varsha Sharma
ए विधाता ! तू बता ज़रा आख़िर इंसानियत है कहां अरे अब तो इंसान कम और राक्षस ज्यादा हैं यहां काश तेरे इस लोक में इंसानियत सर्वोपरि होती तो जा