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chandraveer singh rajput
मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु। नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥ मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन। चलत कहां मन बस प
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु। सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकज रेनु ।। भावार्थः- कलियुग में राम नाम मनचाहा फल देने वाले कल्प-वृक्ष के समान है , रामभक्ति मुँहमाँगी वस्तु देने वाली कामधेनु है और श्रीसद्गुरु के चरणकमल की रज संसार में सब प्रकार के मंगलों की जड़ है ।। ‼️🏵🙏जय जय प्रभु श्री राम जी🙏🏵‼️ ✍️Vibhor vashishtha vs— % & Meri Diary #Vs❤❤ राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु। सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकज रेनु ।। भावार्थः- कलियुग में राम नाम मनचाहा फल देने वा
Vikas Sharma Shivaaya'
शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।' “मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु-नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥ मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन-चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु॥ इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासिनि के ऐनु-सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्पबृच्छ सुरधेनु॥ “ सूरदास जी कहते हैं कि ब्रज की भूमि सौभाग्यशाली हो गई है क्योंकि नंद पुत्र श्री कृष्ण अपनी गायों को यहां लाकर चढ़ाई करते हैं। वे बांसुरी बजाते हैं। मनमोहन, श्री कृष्ण का ध्यान करने से मन को परम शांति मिलती है। वे अपने मन से ब्रज में रहने के लिए कहते हैं। सभी को यहां सुख और शांति मिले। यहां हर कोई अपनी धुन में रचा-बसा है। किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं है। वे कहते हैं कि ब्रज में रहकर उन्हें ब्रजवासियों के झूठे बर्तन से कुछ भोजन मिलता है, जिससे वे संतुष्ट रहते हैं। “ 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय
Vikas Sharma Shivaaya'
शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।' “मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु-नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु॥ मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन-चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु॥ इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासिनि के ऐनु-सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्पबृच्छ सुरधेनु॥ “ सूरदास जी कहते हैं कि ब्रज की भूमि सौभाग्यशाली हो गई है क्योंकि नंद पुत्र श्री कृष्ण अपनी गायों को यहां लाकर चढ़ाई करते हैं। वे बांसुरी बजाते हैं। मनमोहन, श्री कृष्ण का ध्यान करने से मन को परम शांति मिलती है। वे अपने मन से ब्रज में रहने के लिए कहते हैं। सभी को यहां सुख और शांति मिले। यहां हर कोई अपनी धुन में रचा-बसा है। किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं है। वे कहते हैं कि ब्रज में रहकर उन्हें ब्रजवासियों के झूठे बर्तन से कुछ भोजन मिलता है, जिससे वे संतुष्ट रहते हैं। “ 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। असाध्य रोगों के लिए मंत्र-ॐ नमो भगवते आंजनेयाय
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ नमो नीलकण्ठाय। “मुख दधि लेप किए सोभित कर नवनीत लिए-घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए। चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए-लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए। कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए-धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए। “ कृष्ण के बचपन के बारे में बताया गया है कि जब वह छोटे थे, तब वे अपने घुटनों के बल चल रहे थे। उसने हाथों में ताजा मक्खन लिया और उसका पूरा शरीर कीचड़ से ढक हुआ है। उनके चेहरे पर दही हैं। उसके उभरे हुए गाल बहुत प्यारे लगते हैं और उसकी आँखें चंचल हैं। कान्हा के माथे पर गोरोचन का तिलक है। उसके बाल घुंघराले और लंबे हैं जो चलते समय उसके गाल पर आ जाते हैं और ऐसा लग रहा है कि भावरा रस पीने के लिए इधर-उधर भटक रही है। कान्हा के गले में पड़ा हार और शेर का नाखून उनकी सुंदरता में इजाफा करता है। अगर किसी को कृष्ण के इस सुंदर रूप के दर्शन हो जाएं, तो उसका जीवन सफल हो जाता है। अन्यथा, सौ दोषियों के लिए भी जीवन व्यर्थ है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ नमो नीलकण्ठाय। “मुख दधि लेप किए सोभित कर नवनीत लिए-घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए। चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए-लट लट
atrisheartfeelings
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥ गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही॥ अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥ मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा। देखे जहँ तहँ अगनित जोधा॥ गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥ सयन किएँ देखा कपि तेही। मंदिर महुँ न दीखि बैदेही॥ भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥ #sundarkand #sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #devotional #goodmorning प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल
Anushka Verma
Vikas Sharma Shivaaya'
Atama namaste divine souls. Its a beautiful new sunrise of the 1 St day of New year. Set ur resolution for this year. May all be blessed with divine 🙏🏵️😇❤️💫🔥 सुन्दरकाण्ड दोहा – 4 थोड़े समय का सत्संग – स्वर्ग के सुख से बढ़कर है तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग। तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग ॥4॥ हे तात!, स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाए तो भी वे सब मिलकर(दूसरे पलड़े पर रखे हुए)उस सुख के बराबर नहीं हो सकते,जो क्षण मात्र के सत्संग से होता है ॥4॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम प्रभु श्रीराम को निरंतर स्मरण करने के फायदे प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥ अयोध्यापुरी के राजा रघुनाथ को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए॥उसके लिए, अर्थात, जिसके मन में श्री राम का स्मरण रहता है,विष अमृत हो जाता है,शत्रु मित्रता करने लगते हैं,समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है,अग्नि में शीतलता आ जाती है॥ हनुमानजी का लंका में प्रवेश हनुमानजी, छोटा सा रूप धरकर, लंका में प्रवेश करते है गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही॥ अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥2॥ और हे गरूड़जी! जिसे राम ने एक बार कृपा करके देख लिया,उसके लिए सुमेरु पर्वत रज के समान हो जाता है॥ तब हनुमानजी ने बहुत ही छोटा रूप धारण किया,और भगवान का स्मरण करके नगर में प्रवेश किया॥ हनुमानजी, रावण के महल तक पहुंचे मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा। देखे जहँ तहँ अगनित जोधा॥ गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥3॥ उन्होंने एक-एक (प्रत्येक) महल की खोज की।जहाँ-तहाँ असंख्य योद्धा देखे॥फिर वे रावण के महल में गए। वह अत्यंत विचित्र था, जिसका वर्णन नहीं हो सकता॥ हनुमानजी, सीताजी की खोज करते करते, विभीषण के महल तक पहुंचे सयन किएँ देखा कपि तेही। मंदिर महुँ न दीखि बैदेही॥ भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥4॥ हनुमानजी ने, महल में रावण को सोया हुआ देखा।वहां भी हनुमानजी ने सीताजी की खोज की,परन्तु सीताजी उस महल में कही भी दिखाई नहीं दीं॥ फिर उन्हें एक सुंदर महल दिखाई दिया।उस महल में भगवान का एक मंदिर बना हुआ था॥ शाबर शनि मंत्र:- llओम गुरूजी थावर वार.थावर आसन थरहरो. पॉंच तत्व की विद्या करो पॉंच तत्व का साधो करो विचार.तो गुरू पावूं थावर वार शनिवार कश्यप गोत्र कृष्ण वर्ण तेईस हजार जाप सोरठ देश पश्चिम स्थान धनुषाकार मंडल,तीन अंगुल़,मकर कुम्भ राशि के गुरू को नमस्कार.सत फिरे तो वाचा फिरे,पान फूल वासना सिंहासन धरे.तो इतरो काम थावर जी महाराज करे. ओम फट् स्वाहा ll विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज से नाम 177 अनिर्देश्यवपुः जिसे बताया न जा सके 178 श्रीमान् जिनमे श्री है 179 अमेयात्मा जिनकी आत्मा समस्त प्राणियों से अमेय(अनुमान न की जा सकने योग्य) है 180 महाद्रिधृक् मंदराचल और गोवर्धन पर्वतों को धारण करने वाले 181 महेष्वासः जिनका धनुष महान है 182 महीभर्ता प्रलयकालीन जल में डूबी हुई पृथ्वी को धारण करने वाले 183 श्रीनिवासः श्री के निवास स्थान 184 सतां गतिः संतजनों के पुरुषार्थसाधन हेतु 185 अनिरुद्धः प्रादुर्भाव के समय किसी से निरुद्ध न होने वाले 186 सुरानन्दः सुरों (देवताओं) को आनंदित करने वाले 187 गोविन्दः वाणी (गौ) को प्राप्त कराने वाले 👆बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' Atama namaste divine souls. Its a beautiful new sunrise of the 1 St day of New year. Set ur resolution for this year. May all be blessed wit
Monali Sharma
देखो आज़ तीसरा दिन भी आया (अनुशीर्षक) मुझे "Yq" का मंच मिला, जैसे अपना "लोकतंत्र" मिला। खबर नहीं थी कोरा कागज की अभी, तभी "आरिफ" जी का मंत्र मिला, सीखते रहिए, लिखते रहिए...।☺️ वै