Find the Latest Status about भगवान इन्द्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भगवान इन्द्र.
Bhupender Singh Dhiman
🔻#क्यों_डरते_हैं_लोग_तंत्र_के_नाम_से.....🔻 समाज में तांत्रिक या तंत्र का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक डरावना, वीभत्स विचार उठता है उनके मन में एक दाढ़ी-मूछें बढाए, काले अथवा लाल कपडे पहने, डरावने क्रिया कलाप करता, लाल लाल आंखे, नशे आदि में लिप्त, झूमता, बड़बडाता, उद्दंड, क्रोधी व्यक्ति की आकृति अघोरी रूप में उभरती है... कभी उनके मन में खोपड़ी रखने, हड्डियों का प्रयोग करने, श्मशान पूजने वाले, गंदे क्रिया कर्म करने वाले, अहित करने वाले, गाली गलौच करने वाले व्यक्ति का काल्पनिक चित्र उभरता है जो डरावना है... तंत्र का नाम सुनकर भय उत्पन्न होता है की यह मात्र अहित या नुक्सान करने का जरिया है और इसको जानने वाले बुरे होते हैं.... #पर_क्या_यह_सच_है...... ? क्या वास्तव में तंत्र ऐसा ही है....? क्या तंत्र को जानने वाला जिसे तांत्रिक कहा जाता है ऐसा ही होता है..... ? क्रमशः ©Bhupender Singh Dhiman यन्त्र तन्त्र
Bhupender Singh Dhiman
क्या वास्तव में तंत्र ऐसा ही है....? क्या तंत्र को जानने वाला जिसे तांत्रिक कहा जाता है ऐसा ही होता है..... ? #नहीं यह सच नहीं है यद्यपि लोगों की उपरोक्त कल्पना भी गलत नहीं है, क्योंकि उनके सामने कुछ ऐसे उदाहरण और अनुभव पूर्व में रहे हैं जो उन्होंने लोगों से सुने हैं किस्से कहानियों में भी काल्पनिक भय दिखाया गया है और अतिशयोक्ति से भी उन्हें भरा गया है किस्से कहानियों में जादू , टोने, तंत्र -मंत्र, तांत्रिक -मान्त्रिक को विशेष पहनावे वाला, विशेष क्रिया करने वाला, समाज से अलग, चमत्कारी शक्तियों का स्वामी और अक्सर डरावने काम करने वाला, भूतों -प्रेतों से जुड़ा रहने वाला दिखाया गया होता है, समाज में पूर्व के छोटे अनुभव भी कल्पनाओं के मिलते जाने पर विस्तार ले बड़े हो जाते हैं, मूल शास्त्रों को छोड़ दें तो अधिकतर किताबें भी तंत्र और तांत्रिकों के बारे में केवल वही लिखती रहीं हैं जो उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या से जुडी हों... तंत्र के मात्र एक भाग पर ही अधिकतर किताबों का जोर रहा है जिसमे वशीकरण, मारण, मोहन जैसे षट्कर्म रहते हैं, टोटकों, टोनों, उपायों पर ही अधिकतर किताबें लिखी जाती हैं... मूल तंत्र पर, मूल ज्ञान पर कम लोग लिखते हैं... क्योकि यह गंभीर विषय है और इन्हें कम लोग पढ़ते हैं, जिससे कम व्यवसाय होता है अधिकतर लेखक खुद तो साधक होते नहीं... वह यहाँ वहां से टुकड़े जोड़कर, कुछ अपनी कल्पना जोड़कर, कुछ किस्से कहानियों की काल्पनिक बाते जोडकर एक किताब लिख देते हैं.... .जो बिके और उन्हें आय हो साधक के पास न इतना समय होता है, न उसे रूचि होती है की वह किताबें लिखे और उससे आय करे... तंत्र की गोपनीयता का सिद्धांत भी वास्तविक साधक को यह नहीं करने देता ©Bhupender Singh Dhiman यन्त्र और तन्त्र
Kumar Ashok
वो हर गली, हर राह में मिलता है जो मन्दिर और दरगाह में मिलता है #मन्दिर #दरगाह #गली #राह #भगवान #कुमार_अशोक
Juhi Grover
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर, सब जगह भगवान को हमेशा खोजा। जिस इन्सान की मेंने कभी कद्र न की, उस इन्सान के अन्दर तो नहीं खोजा। पत्थर को ही भगवान समझ इन्सान, भगवान के विचारों से बस दूर ही रहा। खुद को सबसे बड़ा धार्मिक बता कर, ढोंग रचा कर इन्सानों को लूटता ही रहा। #मन्दिर #मस्जिद #गुरुद्वारा #गिरिजाघर #भगवान #धार्मिक #yqhindi #bestyqhindiquotes
Meenakshi Sharma
शायरी इन्द्र धनुष के रंगों ने दीवाना कर दिया, प्यार और विशवास का शुभारंभ कर दिया, अलग अलग रंगों को एक साथ कर दिया, और हम सब की एकता का प्रचार कर दिया। Meenakshi Sharma इन्द्र धनुष
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। त्वामिद्धि हवामहे सातौ वाजस्य कारवः । त्वां वृत्रेष्विन्द्र सत्पतिं नरस्त्वां काष्ठास्वर्वतः ॥ पद पाठ त्वा꣢म् । इत् । हि । ह꣡वा꣢꣯महे । सा꣣तौ꣢ । वा꣡ज꣢꣯स्य । का꣣र꣡वः꣢ । त्वाम् । वृ꣣त्रे꣡षु꣢ । इ꣣न्द्र । स꣡त्प꣢꣯तिम् । सत् । प꣣तिम् । न꣡रः꣢꣯ । त्वाम् । का꣡ष्ठा꣢꣯सु । अ꣡र्व꣢꣯तः ॥ हे (इन्द्र) विपत्ति के विदारक और सब सम्पत्तियों के दाता परमेश्वर व राजन् ! (कारवः) स्तुतिकर्ता, कर्मयोगी हम लोग (वाजस्य) बल की (सातौ) प्राप्ति के निमित्त (त्वाम् इत् हि) तुझे ही (हवामहे) पुकारते हैं। (नरः) पौरुष से युक्त हम (वृत्रेषु) पापों एवं शत्रुओं का आक्रमण होने पर (सत्पतिम्) सज्जनों के रक्षक (त्वाम्) तुझे पुकारते हैं। (अर्वतः) घोड़े आदि सेनांगों के अथवा आग्नेयास्त्रों और वैद्युतास्त्रों के (काष्ठासु) संग्रामों में भी त्वाम् (तुझे) पुकारते हैं ॥ O (Indra) God and Rajan, dissecting of calamity and giver of all wealth! (Karvah) Stutiakarta, Karmayogi We call (Tvam Iti) you (Hawamhae) for the (Vajasya) attainment of the (Vajasya) force. (Nara:) We (Vritreshu) with Pourush call upon you (Svatipam) the protector of gentlemen (Tvam) when sins and enemies are attacked. (Arguably) horses also call Tvam (thee) in the warriors of Senangas or in the (Kashtasu) battles of firearms and Vaidutastras. ( सामवेद २३४ ) #सामवेद #वेद #इन्द्र #राजा
वेदों की दिशा
।।ॐ।। इंद्रो विश्वस्य राजति।। आत्मबल से युक्त जितेंद्रिय व्यक्ति ही विश्व में देदीप्यमान होता है ।। only full of initiative and self controlled one illumined in the world. ( यजुर्वेद ३६.८ ) #यजुर्वेद #वेद #ज्ञान #इन्द्र
साहस
और उस कुंभ के संचालक आप होते, तो जलकुंभी ही बन जाते। #भगवान #भगवान् #राम #राममंदिर #श्रीराम #रामराज्य #raammandir #YourQuoteAndMine Collaborating with Atul Verma