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chetan chaudhary
आज के हालात पर -छंद ----------------------------- घर बैठना ही काम ,युद्ध के समान भाई , काल की गति को आप ,ठीक ठीक जान लो । देव और दानवों में , जंग सी छिड़ी है आज , कोरोना को दानवों का, सेनापति मान लो ।। जलती चितायें ये ,गवाही दे रही हैं रोज , फ्रांस ,रोम ,इटली की , हालत से ज्ञान लो । खुद की सुरक्षा को ही ,भारती की रक्षा मान , रोग की गंभीरता का , मूल पहचान लो ।। हलधर -9897346173 हलधर
chetan chaudhary
Alone ग़ज़ल (हिंदी) --------------- दुश्मन विषाणु विश्व का मधुरस गटक रहा । रोटी गयी गरीब की बुड्ढ़े सटक रहा । क्या आप जानते नहीं बेशर्म मुल्क को , ये चीन के विज्ञान का शीशा चटक रहा । हमने कभी यकीन से जाना नहीं खुदा , पूरा जहान देख लो उल्टा लटक रहा । है मूक प्रार्थना अभी गायब अजान है , उन्माद मजहबी सभी अल्ला झटक रहा । जो आसमान नापता फिरता जरीब से , ऐसे अमीर मुल्क को धरती पटक रहा । ये छाज भाँति काम कोरोना किया बुरा , साबुत अनाज से अलग थोथा फटक रहा । कालीन लाख के बिछे मंदिर दलान में , भूखा फ़क़ीर सामने मस्जिद भटक रहा । साहित्य चाप लूस चाटू कार हो गया , "हलधर" लिखा अदीब की आँखों खटक रहा । हलधर -9897346173 हलधर
Sneh Prem Chand
हलधर को हिलना पड़ा अपने ठिकाने से, हो बेहतर, शीघ्र ही निकले उसका हल। हलधर उपजाता है अपनी मेहनत से जो अन्न, है, उसी से हमारा आज और आने वाला कल।। गण तंत्र दोनों की ही है ये ज़िम्मेदारी, हो खुश,समृद्ध और सुकून भरा उसका आने वाला हर पल।। स्नेह प्रेमचन्द ©Sneh Prem Chand हलधर #farmersprotest
chetan chaudhary
आज के हालात पर -छंद ----------------------------- घर बैठना ही काम ,युद्ध के समान भाई , काल की गति को आप ,ठीक ठीक जान लो । देव और दानवों में , जंग सी छिड़ी है आज , कोरोना को दानवों का, सेनापति मान लो ।। जलती चितायें ये ,गवाही दे रही हैं रोज , फ्रांस ,रोम ,इटली की , हालत से ज्ञान लो । खुद की सुरक्षा को ही ,भारती की रक्षा मान , रोग की गंभीरता का , मूल पहचान लो ।। हलधर -9897346173 जसवीर सिंह हलधर
Aditya Ans [Aditya Raj Chhatrapati]
कविता विशेष :- हलधर *************** पड़ा पड़ा हल जंग खा गया हलधर का। आए चुनाव ख़याल आ गया हलधर का।। उसके हिस्से का पानी तो फैक्ट्रियों में पहुँचाया पानी की किल्लत हैं, उसको बस ये बतलाया। माँगता हैं वो हक अपना तुमसे कोई खैरात नहीं पर ना जाने हक कौन खा गया हलधर का।। ना मंडी में भाव पर्याप्त हैं ना ही लागत मिल पाती चुक जाता कर्जा तो बगिया उसकी भी खिल पाती। हर बार सियासी संग्रामों में याद उसकी आ जाती हर दल को ही ये मुद्दा भा गया हलधर का।। वो करता रहा गुहार सरकारों से कर्ज माफी की जब सब बेकाबू लगा तो अपनाई राह फाँसी की। वो लगाके बन्धन गर्दन पर तरुशाखा से झूल गया फिर खबरों में हैं त्याग छा गया हलधर का।। हलधर #Mypoetry149 #किसान #farmer #nojotohindi #nojotoapp #Nojoto
Rakhi Yadav
डिग्री का होना जरूरी है... पर इसके साथ ही विनम्र व्यवहार की डिग्री का होना भी बहुत जरूरी हैंI ©Rakhi Yadav डिग्री का होना