Find the Latest Status about यमुना पार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, यमुना पार.
Shree
श्वास प्राण के साथ हम मिट्टी से दूर खड़े..जड़ काया ले इस सृष्टि में इत-उत तमस, तुम ही हो प्रकाश तुम सरस, तुमसे विरक्त सब नीरस... आओ कृष्णा, तुम आओ सारथ! कलियुग को अब कर दो द्वापर, या दे दो दो वर देह से मुक्ति का, आत्ममिलन परे जीवन संयुक्ति का । ::::ये प्रार्थना जन्माष्टमी पर:::: ना मैं राधा जी, ना रूक्मणि, ना मीरा जी, ना ही वो कान्हा, गिनती के चार साक्षात्कार, ना कोई रास, ना रहते ह
Unconditiona L💓ve😉
जब तुम मुझे लोरी सुनाती थीं, तब तुमको भी ... मां की याद आती थी? पर मैं जब लोरी सुनता हूं अपने नैनों की मीठी निंदिया के लिए! मुझे आती है तुम्हारी याद और मैं खो जाता हूं यादों के उन हसीन पलों की वादियों में। मईया देखो न, अब तक जग रहा हूँ, तेरी प्यार की थपकी के लिए! मईया !! लोरी का सिलसिला कितना पुराना है ना ?? जरूर तुमने नानी से सीखी होगी ?? और नानी ने अपनी मां से, उनकी मां ने अपनी मां से । फिर भी जस का तस है वहीं प्रेम, वहीं दुलार, एक भी शब्द चोरी नहीं हुआ ना ममता के रस में कमी आई ना प्यार के आंचल में सिकुड़न. ❤ और ये निशा * जरूर उस रंगरेज का करिश्मा है... 💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 💖. 💖 💖 आई बसंत सारें चमन में गुल खिल गएं 💖 💖.
Writer1
अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया, नन्हे कृष्ण की लीला देखो, सख्त पहरे को खोल दिया, रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। लीला-२ कंस को जब खबर हुई उसने नन्हे कृष्ण को मारने राक्षसी पूतना भेजी, नन्हे बालक ने दुग्धपान कर राक्षसी पूतना का उद्धार किया। लीला-३ एक दिन कान्हा मिट्टी खा रहे थे, न जाने विचित्र बात हुई, मैया यशोदा ने कान्हा का मुंह जबरस्ती खोलने को कही। कृष्ण जी ने मुंह खोल मैया को पूरे ब्रह्मांड का दरस कराया, देख लल्ला के मुंह में ब्रह्मांड मैया का चित बहुत घबराया। लीला-४ (ऊखल बंधन लीला) वात्सल्य सुख के लिए जब मिलेगा लला को दूध पिलाने लगी, अतृप्त छोड़ कान्हा को जाने लगी, कान्हा कान्हा ने गुस्से में मटकी फोड़ दिया, टूटी मटकी देख जैसे ही मैया ने छड़ी उठाई, वात्सल्य-स्नेह उमड़ पड़ा, छोड़ छड़ी, मैया ने कान्हा को ऊखल से रस्सी से बाँध दिया। #czरस अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, दे
N S Yadav GoldMine
आज हम भगवान राम ने अपने वनवास के 14 वर्ष कहाँ-कहाँ बिताएं इसके बारें में विस्तार से जानेंगे !!💥💥{Bolo Ji Radhey Radhey} वनवास के 14 वर्ष कहाँ-कहाँ बिताएं :- 🔆 भगवान श्रीराम को चौदह वर्षों का कठोर वनवास मिला था जिसके अनुसार उन्हें केवल वनों में रहना था तथा किसी भी नगर में जाना प्रतिबंधित था। श्रीराम ने अपने वचन का भलीभांति पालन किया तथा चौदह वर्षों तक अपनी पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण के साथ वनवासियों की भांति जीवन व्यतीत किया। इस दौरान वे भारत के उत्तरी तट से लेकर दक्षिणी तट तक गए। इसलिये आज हम भगवान श्रीराम के वनवास का मार्ग तथा इस दौरान वे कहाँ-कहाँ रुके और क्या-क्या कार्य किये, इसके बारें में विस्तार से जानेंगे। भगवान श्रीराम के वनवास का मार्ग :- तमसा नदी के तट पर :- 🔆 सबसे पहले अयोध्या से विदा लेने के पश्चात भगवान राम रथ में बैठकर आर्य सुमंत के साथ तमसा नदी के तट तक पहुंचे। वहां तक अयोध्या की प्रजा भी उनके साथ आयी जो उन्हें अकेले जाने देने को लेकर तैयार नही थी तथा उनके साथ चलने की जिद्द लिए बैठी थी। इसलिये उस रात श्रीराम ने अपना डेरा तमसा नदी के तट पर ही डाला तथा सूर्योदय से पहले अयोध्या की प्रजा को बिना जगाये सीता, लक्ष्मण तथा सुमंत के साथ कोशल देश की नगरी से बाहर निकल गए। श्रृंगवेरपुर नगरी :- 🔆 इसके पश्चात वे अपने मित्र निषादराज गुह की नगरी श्रृंगवेरपुर के पास के वनों में पहुंचे तथा वही एक दिन के लिए विश्राम किया। उनके मित्र गुह ने उनका बहुत आदर सत्कार किया। अगले दिन उन्होंने सुमंत को रथ लेकर अयोध्या लौट जाने का आदेश दिया तथा वहां से आगे पैदल ही यात्रा करने का निर्णय किया। फिर उन्होंने केवट के सहारे गंगा नदी को पार किया तथा उस पार कुरई गाँव उतरे। प्रयाग :- 🔆 गंगा पार करके श्रीराम माता सीता, लक्ष्मण तथा निषादराज गुह के साथ प्रयाग चले गए। वहां उन्होंने त्रिवेणी की सुंदरता को देखा तथा आगे मुनि भारद्वाज के आश्रम पहुंचे। यहाँ उन्होंने मुनि भारद्वाज से अपने रहने के लिए उत्तम स्थान पूछा जिन्होंने यमुना पार चित्रकूट को उत्तम बताया। चित्रकूट :- 🔆 इसके पश्चात श्रीराम ने अपने मित्र निषादराज गुह को भी वहां से वापस अपनी नगरी लौट जाने का आदश दिया तथा माता सीता व लक्ष्मण के साथ यमुना पार करके चित्रकूट चले गए। चित्रकूट पहुँचते ही उन्होंने वाल्मीकि आश्रम में उनसे भेंट की तथा गंगा की धारा मंदाकिनी नदी के किनारे अपनी झोपड़ी बनाकर रहने लगे। यही पर उनका भरत से मिलन हुआ था जब भरत अयोध्या के राजपरिवार, सभी गुरुओं, मंत्रियों के साथ श्रीराम को वापस लेने पहुंचे थे लेकिन श्रीराम ने वापस लौटने से मना कर दिया था। इसके कुछ समय पश्चात श्रीराम चित्रकूट भी छोड़कर चले गए थे क्योंकि उन्हें डर था कि अब अयोध्या की प्रजा यहाँ निरंतर आती रहेगी जिससे ऋषि मुनियों के ध्यान में बाधा पहुंचेगी। दंडकारण्य :- 🔆 दंडकारण्य के वनों में पहुंचकर सर्वप्रथम उन्होंने ऋषि अत्री तथा माता अनुसूया से उनके आश्रम में जाकर भेंट की। माता अनुसूया से माता सीता को कई बहुमूल्य रत्न, आभूषण तथा वस्त्र प्राप्त हुए। ऋषि अत्री से ज्ञान पाकर वे आगे बढ़ गए। इसके पश्चात उनका विराध राक्षस से सामना हुआ जिसका उन्होंने वध किया। तब वे शरभंग ऋषि से मिले जिनकी मृत्यु समीप ही थी। श्रीराम से भेंट के पश्चात ऋषि शरभंग ने अपने प्राण त्याग दिए तथा प्रभु धाम में चले गए। इसके पश्चात भगवान राम दंडकारण्य के वनों में घूम-घूमकर राक्षसों का अंत करने लगे। प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल का ज्यादातर समय दंडकारण्य के वनों में ही बिताया था। जब दंडकारण्य के वनों में प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल के 10 से 12 वर्ष बिता दिए तब उनकी भेंट महान ऋषि अगस्त्य मुनि से हुई। अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को उनका अगला पड़ाव दक्षिण में गोदावरी नदी के किनारे पंचवटी में बनाने को कहा। अगस्त्य मुनि से आज्ञा पाकर श्रीराम पंचवटी के लिए निकल गए। पंचवटी :- 🔆 अब श्रीराम गोदावरी नदी के किनारे पंचवटी में अपनी कुटिया बनाकर रहने लगे जहाँ उनकी भेंट जटायु से हुई। जटायु उनकी कुटिया की रक्षा में प्रहरी के तौर पर तैनात रहते थे। इसी स्थल पर शूर्पनखा ने श्रीराम को देखा था तथा माता सीता पर आक्रमण करने का प्रयास किया था। तब लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी। तब उनका रावण के भाई खर व दूषण से युद्ध हुआ व श्रीराम ने उनका राक्षसी सेना समेत वध कर डाला। उसके कुछ समय पश्चात रावण ने अपने मामा मारीच की सहायता से माता सीता का अपहरण कर लिया। रावण ने उनकी सुरक्षा में तैनात जटायु का भी वध कर डाला। भगवान श्रीराम तथा लक्ष्मण माता सीता को ढूंढते हुए वहां से निकल गए। ©N S Yadav GoldMine #phool आज हम भगवान राम ने अपने वनवास के 14 वर्ष कहाँ-कहाँ बिताएं इसके बारें में विस्तार से जानेंगे !!💥💥{Bolo Ji Radhey Radhey} वनवास के 14 व
KP EDUCATION HD
KP EDUCATION HD कंवरपाल प्रजापति good morning ji please find the ©KP EDUCATION HD हालांकि दोनों ही कैलेंडर के अनुसार यह जयंती एक ही दिन रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 मार्च 2024 को यशोदा मैया का जन्मोत्सव मनाया जाएग
Geetkar Niraj
शांत हुआ यमुना का पानी कृष्ण के पैरों को छूकर। फिर जल्दी आना प्रियतम प्यारे यमुना जी बोली रोकर। #geetkarniraj #यमुना #Janamashtmi2020
Kavita Ghosh
यमुना किनारे बड़े सबेरे ©Kavita Ghosh # यमुना किनारे बड़े सवेरे