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BUSINESS BROKERS
. _*रोज़ कटना, पीसना और निचोड़े जाना वो भी आखरी बुंद तक, गन्ने से बेहतर कौन जानता होगा मिठे होने नुकसान...!!*_ . ©BUSINESS BROKERS #BehtiHawaa . _*रोज़ कटना, पीसना और निचोड़े जाना वो भी आखरी बुंद तक, गन्ने से बेहतर कौन जानता होगा मिठे होने नुकसान...!!*_ .
Vandana
...... स्कूल से आते हुए आम अमरूद आंवले के पेड़ पर चढ़ जाना यही हमारा स्नेक्स होता था उन दिनों का दोस्तों के साथ घंटों बतियाना गांव की सारी गलियां
AK__Alfaaz..
खोया हुआ था, उसका सोलहवें साल का बसंत, वो जेठ की दुपहरी, वो सावन का टिप टिप बरसता पानी, वो शरद पूर्णिमा की रात, वो..और उसका सब कुछ, साँझ-सुबह, चूल्हे के साथ तप रही थी वो, रोटियों की गोलाई मे, अपने अस्तित्व की सीमा तय कर रही थी वो, कुछ आग बची थी सीने में, कुछ को उसने ढ़ाँक दिया था राख मे, कल के लिए, पास ही पड़ी चक्की से याद आया, पीसना अभी बाकी है, और..पिसना,,,अभी बाकी है, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #सपनों_की_रेजगारी खोया हुआ था, उसका सोलहवें साल का बसंत, वो जेठ की दुपहरी, वो सावन का टिप टिप बरसता पानी,
Nisheeth pandey
सेहत जरूरी है क्यूंकि लंबे बीमार बीमारियों से ग्रषित व्यक्ति की व्यथा समझ पाओ तो लाइक करना 😢 ∆∆∆∆∆∆∆ बीमारियों का बोझ कितना बदल देता है .... बीमारी की चक्की में निरंतर पीसना कितना कठिन होता है ... आज कल परसो साहब छुट्टी ही छुट्टी में ही रहना है .... समय ही समय मिल रहा पर उद्देश्यहीन सा है ... आटा दाल चावल और सब्जी जरुरी है .... रसोई गैस का सिलेन्डर जरुरी है .... चाय की पत्ती शक्कर और दूध रोज का रोना है ... पर अब मेरे साथ सब बीमार है ... जिंदगी की गाडी बीमार है... अब पेट्रोल गैरेज में रखा रखा सुख गया है ... कपडा और घर सिसकियां भरती है मेरे साथ.... सर्फ एक्सल खत्म है इसलिये दाग ही दाग अच्छे नहीं गन्दे हैं.... जो बचत कर कर रखा था अब न जाने किधर खो दिया है .... साबुन तेल डिर्टजेन्ट से ज्यादा जरुरी दवाइयां हैं .... हर महीने डॉक्टर का आदर सत्कार करना दुखी मन से जरूरी है ... अब तो मास्क भी जरुरी है ... हाथ साबुन से क्या अब तो सब कुझ से धो लिया है ... रोग की आह ने जिन्दगीं से दूरी ही दूरी बढ़ा दीया है ... इस तरह आखिर कब तलक चलते रहेगें अपने कमड़े में ... बिस्तर में सिलवटें बढ़ाते रहेंगे .... मन को जंजीरों में बांध कर रखेंगे ... बीमार मन को कब तलक फुसलाते या हौसला देते रहेंगे .... 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey लंबे बीमार बीमारियों से ग्रषित व्यक्ति की व्यथा समझ पाओ तो लाइक करना 😢 ∆∆∆∆∆∆∆ बीमारियों का बोझ कितना बदल देता है .... बीमारी की चक्की में
यशवंत कुमार
मेरा मन यायावर,! राजा हैं, रजवाड़े हैं; मंदिर, मस्जिद, अखाड़े हैं,! जो गले तक खाए हैं, वो भी तो मुँह फाड़े हैं,! मरता याचक एक मुट्ठी को, कोई तो झाँके बाहर,! मेरा मन यायावर,!! Read full poem in caption. मेरा मन यायावर,! अपनी ही धुन में मस्त, कभी उत्तेजित कभी पस्त कभी यहाँ कभी वहाँ, सदा करता रहता गश्त सोचा कहाँ कभी इसने, कहाँ ले जाती है डगर
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक साधु, विचित्र स्वभाव का था। वह बोलता कम था। उसके बोलने का ढंग भी अजीब था। उनकी माँग सुनकर सब लोग हँसते थे..., कोई चिढ़ जाता था, तो कोई उसकी माँग सुनी अनुसनी कर अपने काम में जुट जाता था।साधु प्रत्येक घर के सामने खड़ा होकर पुकारता..., माई! अंजुलि भर मोती देना.. ईश्वर, तुम्हारा कल्याण करेगा.. भला करेगा...,' साधु की यह विचित्र माँग सुनकर स्त्रियाँ चकित हो उठती थीं। वे कहती थीं - 'बाबा! यहाँ तो पेट भरने के लाले पड़े हैं। तुम्हें इतने ढेर सारे मोती कहाँ से दे सकेंगे..., किसी राजमहल में जाकर मोती माँगना। जाओ बाबा, जाओ... आगे बढ़ो...,' साधु को खाली हाथ, गाँव छोड़ता देख एक बुढ़िया को उस पर दया आई। बुढ़िया ने साधु को पास बुलाया..., उसकी हथेली पर एक नन्हा सा मोती रखकर वह बोली:- साधु महाराज! मेरे पास अंजुलि भर मोती तो नहीं हैं। नाक की नथनी टूटी, तो यह एक मोती मिला है। मैंने इसे संभालकर रखा था। यह मोती ले लो। मेरे पास एक मोती है, मेरे गांव से कोई खाली नहीं जाना चाहिये । इसलिए तुम्हें सौंप रही हूँ। कृपा कर इसे स्वीकार करें। हमारे गाँव से, खाली हाथ मत जावो..., बुढ़िया के हाथ का नन्हा सा मोती देखकर साधु हँसने लगा..., उसने कहा, 'माताजी! यह छोटा मोती मैं अपनी फटी हुई झोली में कहाँ रखूँ? इसे आप अपने ही पास रखना...,' ऐसा कहकर साधु उस गाँव के बाहर निकल पड़ा। दूसरे गाँव में आकर साधु प्रत्येक घर के सामने खड़ा होकर पुकारने लगा..., माताजी प्याली भर मोती देना। ईश्वर तुम्हारा कल्याण करेगा...,' साधु की यह विचित्र माँग सुनकर वहाँ की स्त्रियाँ भी अचंभित हो उठीं। वहाँ भी साधु को प्याली भर मोती नहीं मिले..., अंत में निराश होकर वह वहाँ से भी खाली हाथ जाने लगा... उस गाँव के एक छोर में किसान का एक ही घर था। वहाँ मोती माँगने की चाह उसे घर के सामने ले गई..., माताजी! प्याली भर मोती देना.. ईश्वर, तुम्हारा भला करेगा। साधु ने पुकार लगाई..., किसान सहसा बाहर आया। उसने साधु के लिए ओसारे में चादर बिछाई। और साधु से विनती की,कि....!साधु महाराज, पधारिए... विराजमान होइए।' किसान ने साधु को प्रणामकिया और मुड़कर पत्नी को आवाज दी..., लक्ष्मी, बाहर साधु जी आए हैं। इनके दर्शन कर लो। किसान की पत्नी तुरंत बाहर आई। उसने साधुजी के पाँव धोकर दर्शन किए..., किसान ने कहा- 'देख लक्ष्मी; साधुजी बहुत भूखे हैं। इनके भोजन की तुरंत व्यवस्था करना..., अंजुलि भर मोती लेकर पीसना, और उसकी रोटियाँ बनाना। तब तक मैं मोतियों की गागर लेकर आता हूँ।' ऐसा कहकर वह किसान खाली गागर लेकर घर के बाहर निकला..., कुछ समय पश्चात किसान लौट आया। तब तक लक्ष्मी ने भोजन बनाकर तैयार कर रखा था..., साधु ने पेट भर भोजन किया। वह प्रसन्न हुआ। उसने हँसकर किसान से कहा... 'बहुत दिनों बाद कुबेर के घर का भोजन मिला है। मैं बहुत प्रसन्न हूँ..., अब तुम्हारी याद आती रहे, इसलिए मुझे कान भर मोती देना। मैं तुम दंपति को सदैव याद करूँगा।'उस पर किसान ने हँसकर कहा - 'साधु महाराज! मैं अनपढ़ किसान, आपको कान भर मोती कैसे दे सकता हूँ? आप ज्ञान संपन्न हैं। इस कारण "हम" दोनों आपसे कान भर मोतियों की अपेक्षा रखते हैं..., साधु ने आँखें बन्द कर कहा - 'नहीं किसान राजा, तुम अनपढ़ नहीं हो। तुम तो विद्वान हो। इस कारण तुम मेरी इच्छा पूरी करने में सक्षम रहे..., मेरी विचित्र माँग पूरी होने तक मैं हमेशा भूखा-प्यासा हूँ। जब तुम जैसा कोई कुबेर भंडारी मिल जाता है तो मै, पेट भरकर भोजन कर लेता हूँ..., साधु ने, किसान की ओर देखा और कहा- "जो फसल के दानों, पानी की बूँदों और उपदेश के शब्दों को मोती समझता है। वही मेरी दृष्टि से सच्चा कुबेर का घर है..., मैं वहाँ पेट भरकर भोजन करता हूँ। फिर वह भोजन दाल-रोटी हो या चटनी रोटी। प्रसन्नता का नमक उसमें स्वाद भर देता है..., जहाँ आतिथ्य का वास है। वहाँ मुझे भोजन अवश्य मिल जाता है। अच्छा, अब मुझे चलने की अनुमति दे। ईश्वर तुम्हारा कल्याण करे...' किसान दंपत्ति को आशीर्वाद देकर साधु महाराज आगे चल पड़ा..., शिक्षा :- पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं-जल, अन्न और सुभाषित। मूर्ख लोग ही पत्थर के टुकड़ों हीरे, मोती माणिक्य आदि को रत्न कहते हैं....! 🌅🛕🌍🪐💫🏔️🧘🪔☀️ क्या आप एक पढ़े लिखे युवक -युवती /महिला -पुरुष हैं? क्या आप बेरोजगार हैं या कोई नौकरी -व्यवसाय कर रहे हैं ? क्या आप अपनी बेरोजगारी को हमेशा के लिए 2से 3 माह में खत्म करना चाहते हैं या जो भी नौकरी -व्यवसाय आप कर रहे हैं उसके साथ प्रतिदिन 2घन्टे निकाल कर अपनी आय में वृद्धि करना चाहते हैं? एक सम्मान के साथ -दूसरों का जीवन संवारते हुए ... तो आज ही सीखिए ताश के पत्तों यानी Tarot Cards द्वारा आपके साथ क्या क्या घटित हुआ -क्या चल रहा है और आगे क्या करना चाहिए ?अपनी हर समस्या का समाधान और अपने हर प्रश्न का उत्तर . कई गृहणियां Tarot Card सीख कर महीने का 30 से 50 हजार और उससे भी अधिक तक कमा रहीं हैं . अधिक जानकारी हेतु +91-8619753510 नंबर पर व्हाट्सप्प करें 🙏 अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" सर्वधर्म समाधान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक साधु, विचित्र स्वभाव का था। वह बोलता कम था। उसके बोलने का ढं