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singh uttam

जैसा कि मैं कहता हु ना कुछ पाने के लिए 
कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पड़ता है
 अर्थात प्रारंभ करना पड़ता है
 यदि आपने प्रारंभ कर दिया है 
तो लोग आपके बारे में बुरा और अच्छा दोनो कमेंट करेंगे
 तो सीखने वाली बात ये है की जब हम 
खाली पीली थे कुछ नही कर रहे तब भी लोग
 हम पर कमेंट करते थे फर्क इतना है 
तब सिर्फ बुरे कमेंट करते थे अब बुरा और अच्छा दोनो
 कमेंट करते है,अच्छा कमेंट आपके प्रारंभ की उपलब्धि है।
तो मजे की बात ये है की आप कुछ करोगे तो भी लोग 
कमेंट करेंगे और नही करोगे तो भी कमेंट करेंगे।
तो चयन आपका है कुछ करके 
अच्छा और बुरा दोनो कमेंट सुना जाए
 या कुछ न करके सिर्फ बुरा कमेंट सुना जाए।

©singh uttam #उत्तम_विचार_3

singh uttam

प्रकृति में उपस्थित किसी की चीज को
 तुच्छ नही समझना चाहिए ।
चाहे वह कितनी भी छोटी से छोटी क्यों न हो
 क्युकी जब एक छोटा सा तिनका/धूल जो हमारी
 नग्न आंखों से दिखता भी नही है वही धूल/तिनका
 हमारे आंखो में चला जाता है तो हमारी जान 
 निकल जायेगी ऐसा महसूस करा देती है।

©singh uttam #उत्तमविचार

singh uttam

मैं हूं जल.....................!!!!!!
ना मेरा कोई रंग,ना कोई रूप।
ना मेरा कोई आकार,और ना कोई स्वाद।।
ना मेरा कोई घर,ना कोई परिवार।
ना मेरा कोई अपना,और ना कोई पराया ।।

मैं हूं बहुत ही सरल,फिर भी मुझे कोई नही जानता।
तभी तो वैज्ञानिको ने मुझ पर,रिसर्च किए और कर रहे है।।
और लोगो को बताया मैं हाइड्रोजन के 2 और 
ऑक्सीजन के 1 परमाणु से मिलकर बनी हूं।
मुझे तो पता भी नही था मेरा कोई रसायनिक फॉर्मूला भी है , H2O ।।

इंसान हो या जानवर या पेंड पौधे,
सभी मुझे पीकर अपनी प्यास बुझाते है।
फिर भी इंसान मुझे व्यर्थ में बहाते है और कहते है जल ही जीवन है।
इंसान अपने शरीर की गंदगी,
गंदे कपड़े और गंदे बर्तन मुझसे धोता है।।
फिर भी इंसान मेरा मूल्य नही समझते और मुझे गंदा करते हैं।।

मैं हूं जल जो वर्षा का रूप धरकर बरसती हूं तो 
किसान को  फसल और धरती को हरियाली देती हूं। 
मैं हूं जल जो वर्षा का रूप धरकर अत्यधिक बरसती हूं 
तो बाढ का रूप धरकर सब कुछ बहा देती हूं।

मैं ही तालाब और मैं ही झील हूं,
मैं ही नदी और मैं ही समुद्र हूं।
गंगा भी मैं और मैं ही यमुना,
हिंद सागर भी मैं और मैं ही प्रशांत महासागर ।।

मेरे नाम के कई पर्यायवाची नाम भी है 
संस्कृत में नीर,जल, तोयम, वारी,सलिल,
हिंदी में पानी उर्दू में आब,अंग्रेजी में मुझे वाटर कहते है,
रसायन में एक्वा(H2O)।।
वैज्ञानिकों ने खोज निकाला की धरती में
 जितना पानी है इंसान के शरीर में भी उतना पानी है  71% ।।

©singh uttam #उत्तम_कहानी

singh uttam

मैंने कहा था ना
 कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही,
बल्कि कुछ करना पड़ता है।
अर्थात प्रारंभ करना पड़ता है ।
यदि आप प्रारंभ कर देते है तो
कुछ लोग होंगे जो आपके बारे में बुरा टिप्पणी करेंगे 
और कुछ लोग आपकी तारीफ भी करेंगे
,किंतु जो आपका सच्चा मित्र/अपना होगा ,
आपकी तारीफ सबके सामने करेगा 
और आपकी कमियो को अकेले में 
सिर्फ कहेगा नही समझाएगा भी।
अब सवाल ये उठता है की हमे इन टिप्पणियों से क्या सीखना है ?
तो जवाब है अपनी कमियों को पहचान कर 
दूर करना न की अपने मार्ग से  भटक कर बैठ जाना।
अर्थात हमे तब तक नही रुकना है जब तक अपने प्रारंभ को 
प्रारब्ध में न बदल दे।

©singh uttam #उत्तम_विचार_2

singh uttam

पर्वत के तीन सबसे सुंदर गुण 
जिससे इंसानों को सिख लेनी चाहिए
 विशालता, मजबूती और स्थिरता ।

इसी भांति इंसानों को भी विशाल हृदय,
जिससे दया और प्रेम का उद्गम होता है।

  मजबूत इरादा जिससे दृढ़ संकल्प आता है अपने कर्तव्य के प्रति

और तीसरा गुण स्थिरता अर्थात संयम जो हमे 
चुनाव करने का अवसर देता है ,दूसरे शब्दों में
 पहले दोनो गुण के लिए रीढ़ की हड्डी की भांति कार्य करता है।

©singh uttam #उत्तम_विचार_3

singh uttam

कैसे कहे तुम क्या हो मेरे लिए
यदि शब्दो में बया कर  दिया तो हम भी जमाने के औरों से होंगे।
कैसे तारीफ करे तेरी अदाओ के
यदि शब्दो में बता दिया तो हम भी जमाने के औरों से होंगे।
कैसे कहें  तुमसे कितना प्यार है हमे 
यदि शब्दो में कह दिया तो हम भी जमाने के औरों से होंगे।

©singh uttam #उत्तम_के_शायरी

singh uttam

मां के लिए हर कोई कविता ,कहानी लिखता है और सच कहूं तो मां शब्द ही इतना सरल है की लिखना आसान है चाहे कविता हो या कहानी। मां अर्थात प्यार को एक शब्द में परिभाषित करने वाला शब्द भी कहते है।
पिता के लिए कोई नही लिखता कहना गलत होगा किंतु ये कोई 
नही लिखता ओ मेरे प्यारे पिता , तुम प्यार की मूरत हो पिता जी, प्यार अर्थात पिता अन्य बहुत तथ्य है कहने को । 
क्यों??????
क्युकी पिता प्यार से परे है, अर्थात मेरे कहने का तात्पर्य ये है की इंसान प्यार में ही डूब जाता है और प्यार के उस पार नहीं जा पाता है । इसलिए इंसान सिर्फ प्यार को जान पाया है की कोई प्यार शब्द होता है जिसका अर्थ मां होता है। सरल शब्दों मे यदि आपको समझाऊं तो तात्पर्य ये है की,मां एक विशाल सागर है जिसमे अथाह पानी है
पानी अर्थात प्यार ।कहने का मतलब सागर के समान मां जिसके भीतर अथाह जल के समान प्यार है। किंतु इंसान कभी सागर के समान मां के भीतर अथाह जल के समान प्यार को तैरकर उस पार जा ही नही पाया है।  इसलिए इंसान ये नही जानता है की सागर के समान प्यार के उस पार क्या है । मैं कहता हूं उस पार पिता है
 इसलिए मैने कहा है पिता प्यार से परे है ।

पिता को एक शब्द में परिभाषित करू तो ये होगा 
पिता अर्थात पीने वाला । यही पर लोगो का दिमाग उल्टा काम करेगा क्या शराब पीने वाला ।नही.........! हलाहल विष पीने वाला अर्थात पिता। 

मां यदि सार है तो पिता विस्तार है।
तात्पर्य ये है कि सार एक या दो लाइन में बताया जा सकता है और इंसान की बुद्धि एक और दो लाइन ही समझ सकती है उससे ज्यादा नही।किंतु पिता विस्तार है जिसे समझना आसान नहीं है।सरल शब्दों में यदि आप को कहा जाए की एक पुस्तक है 1000 पेज का इसे पढ़ो,तो पहले ही आपका मन कह देगा नही, नही पढ़ सकता और यदि आपने पढ़ भी लिया तो बीच बीच का छोड़ देंगे जो मजेदार लगेगा उसे ही पढ़ेंगे । और यदि मजबूरी में पूरा पढ़ना पड़ा तो बहुत समय लगायेंगे किंतु  सिर्फ पढ़ पाएंगे समझ ही नही आयेगा।इसलिए मैने कहा पिता विस्तार है ।
और दूसरी ओर इसी 1000 पेज का एक पेज में सार लिखा जाए
 और पढ़ने को कहा जाए तो ये सरल लगेगा हर कोई पढ़ लेगा और 
बोलेगा बहुत प्यारा है। इसलिए मैने मां को सार कहा है। 
तभी तो हम सिर्फ प्यार को ही जानते है प्यार के उस प्यार क्या है 
 ये नही जानते।

©singh uttam #उत्तम_ज्ञान

singh uttam

हमारे देश की रक्षा के लिए कुर्बान होने वाले समस्त शहिदो को मेरा शत शत नमन 
औरमेरे देश के समस्त सेनाओं को मेरा शत शत नमन।
किंतु मेरा एक सवाल आप सब से है क्या हर कोई फौजी,सैनिक या पुलिस वाला बन सकता है????????????
क्या सिर्फ बॉर्डर पे शहिद होने का मतलब ही देश सेवा होता है????????
नही!!!!!!!!!!!!
 सिर्फ फौजी,सैनिक,और पुलिस की वर्दी पहनना या बॉर्डर पे 
शहिद होने का मतलब ही सिर्फ देश सेवा नही होता है।।।।।।।।।

एक किसान जो भरपूर मेहनत कर अन्न उगता है जिससे हमारा पेट भरता है ।
क्या किसान के द्वारा किया गया काम देश सेवा नही है?????
एक मजदूर जो देश के नव निर्माण कार्य में अपना योगदान देता है ।
क्या???? इसके द्वारा किया गया काम देश सेवा नही है।
क्या??? एक शिक्षक जो हमे शिक्षा दे रहा हैक्या वह देश सेवा नही है। 
क्या???? एक ईमानदार डॉक्टर जो मरीजों का इलाज कर रहा है वह देश सेवा नही है।
क्या???? एक वैज्ञानिक और  इंजीनियर जो पूरे विश्व में अपने ज्ञान का लोहा मनवा रहे है क्या वह देश सेवा नही है।
क्या?????? एक वकील जो न्याय के लिए लड़ता है क्या इसके द्वारा किया गया काम देश सेवा नही है।
क्या??? एक चपरासी,ड्राइवर,आया और एक  सफाई कर्मचारी जो प्रतिदिन कम सैलरी में
 हमारे गली मोहल्ले सारी गंदगियों को साफ करते है,वह देश सेवा नही है।

आखिर इन्ही लोगो में से किसी एक का बेटा तो होगाआखिर 
उसी शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया होगा जो फौजी,सैनिक या पुलिस बना है।
क्या हर कोई फौजी,सैनिक या पुलिस वाले की वर्दी पहनेगा तभी देश सेवा में अपना योगदान देगा?????

नही!!!!!!!आप छोटा छोटा काम करके भी देश सेवा कर सकते है।जैसे -
1. माता पिता और बड़े बुजुर्गो का सम्मान करके 2.स्त्रियों का सम्मान करके
 3. बिजली,पानी,और खाना को व्यर्थ होने से बचा के 4.  पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में
 5. अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए 6. किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा कर
 7.जो tax भरते है वे ईमानदारी से टैक्स भर कर 8.हर कोई एक एक पेड़ पौधा लगा कर  
9.पेट्रोल,डीजल व्यर्थ न जलाए ।

इत्यादि बहुत सारे ऐसे छोटे छोटे काम करके देश सेवा कर सकते हैं।

किसी भी काम को तुच्छ न समझे।पहले स्वयं से शुरुवात करेपहले स्वयं को बदले दुनिया अपने आप बदल जायेगी।
 
गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं

©singh uttam #उत्तम_विचार_

singh uttam

मन हिलोरे तन को,जैसे लहरे हिलोरे जल को
मन है तन के भीतर, जैसे लहरे है जल के भीतर

तो उत्तम पूछता आपसे तन बड़ा है या मन ?

आप कहोगे मन है भीतर तन के इसलिए बड़ा
 है तनतो उत्तम पूछेगा आपसे तो फिर,कैसे तन 
को हिलोरा है मन?

फिर आप कहोगे मन ने हिलोरा तन को इसलिए
 बड़ा है मन।

फिर उत्तम पूछेगा आपसे 
माना लहरों को देखा है आपने
 क्या आपने देखा है मन?

फिर मोहे कैसे बतलाओगे की तन बड़ा है या मन ।

©singh uttam #उत्तम_के_दोहे

singh uttam

यदि एक शब्द में प्यार को 
परिभाषित करने को कहा जाए 
तो उसका जवाब होगा #मां

यदि एक शब्द में सहनशीलता तो 
परिभाषित करने को कहा जाए तो 
उसका जवाब होगा #मां

यदि एक शब्द में कर्म कर
 फल की इच्छा मत कर को
 परिभाषित करने को कहा जाए तो
उसका जवाब होगा #मां

यदि एक शब्द में प्रथम गुरु और 
ज्ञान को परिभाषित करने को कहा जाए तो
उसका जवाब होगा #मां

©singh uttam #उत्तम_विचार_for_मां
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