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Ajay Daanav

प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता। #कविता

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हृदय से उपजे विचार हो तुम
शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम
करती हुई झंकृत मन-वीणा
सातों सुरों की झनकार हो तुम
हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी
कविता का मेरी सार हो तुम
हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

Akash Chaudhary

प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️ #Poetry

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प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात

गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते
जो कभी वृक्ष के वक्ष से
कलाएं करते थे,
कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर
गुजरी,
मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया
उनके पैरों के निशान,
क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको
परिभाषित करो,
क्या नहीं बताना चाहते
मुझे अपने प्रेम के विषय में,
तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं
समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं,
तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद
आयी होगी,
चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं
जब चाहना तब दास्तां सुनाना......,
तुम्हारा मौन समझता हूं मैं,
तुम बता रहे हो शायद मुझे 
प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता
वो होता है बस ,बस होता है।।

©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️

Shashank मणि Yadava "सनम"

#Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ #कविता

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Santosh Arya

#जीवन जीना संसाधनों पर अपेक्षित नहीं़़ #विचार

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VINOD VANDEMATRAM

#vTp प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करें।

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Ek villain

#संसाधनों की बर्बादी पर नियंत्रण #adventure #Society

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देश में होने वाले आम चुनाव में तमाम राजनीतिक दल लगभग 60 70 हजार करोड रुपए यूं ही खर्च कर देते हैं या राज्य विधानसभा चुनाव में भी करीब इतना ही खर्च हो जाता है अगर दोनों को मिलकर देखा जाए तो लगभग सवा लाख करोड रुपए के आसपास राजनीतिक दल खर्च कर यह जाते हैं आप देश के एक चुनाव में प्रचार अभियान भी 5 वर्ष के केवल एक ही बार संचालित होगा चर्चा खर्च घटाकर आधा रह जाएगा इतने धन की बचत होगी कि देश की दशा दिशा सब सुधर जाएगी इस तरीके से प्रयोग लोगों को अच्छे स्तर मिलने लगेंगे यह कहना न होगा कि देश में चुनाव को सहमति प्रदान करने वाला देश की प्रगति चार चंद लोग आ सकते हैं देश में नियमित अंतराल होते रहते हैं

©Ek villain #संसाधनों की बर्बादी पर नियंत्रण

#adventure

Saurav Das

मेरे साथ मुस्कुराते हुए अपने गम को छूपा लेती है,

दूसरों की नज़र न लगे,अपने आचल में छूपा लेती है! 

हमेशा जीत माँ की हुई है 

हर परिस्थिति से लड़ने में!

लाखों,करोड़ो शब्द कम पड़ जाएंगे,

माँ को परिभाषित करने में!!

©Saurav Das #शब्द 
#कम 
#है  
#माँ 
#को 
#परिभाषित 
#करने_में 
#माँ_दिवस्_की_हर्दिक

Ek villain

#dost #हमें संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए #Society

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संसाधनों से संपन्न होने का यह अर्थ नहीं कि उनका आप पर किया जाए कहते हैं कि यदि काफी अच्छे खर्च ना किया जाए तो बड़े से बड़ा खजाना भी एक दिन तक समाप्त हो जाता है इसका आशय यह भी है कि हम आवश्यक ब्याव में कोई कटौती कर कृपाण ही बन जाए आपूर्ति यह सब हम तर्कसंगत रूप में बयान करने संबंधी मिठे व्यक्ति के मंत्र को अपनाएं मिट्टी व्यक्ति से तात्पर्य किसी वस्तु के सदुपयोग से है स्व जन हिताय की कमान करने वाली भारतीय संस्कृति में विद्यापति को महत्व मिला है इसलिए आज भी बड़े बुजुर्ग के आचरण में इसे देखा जा सकता है हालांकि वर्तमान उपभोक्तावादी संस्कृति में इसे दोष समझा जाने लगा है अब फजूल खर्चे के जीवन स्तर का पैमाना मान लिया गया है

©Ek villain #dost #हमें संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए

Saurav Das

एक दाग है जो सिने में छूपाया है!

ये सराहना देने कौन आया है?

जिसे मालूम नहीं संघर्ष का मतलब!

वो ज़िन्दगी को परिभाषित करने आया है!!

©Saurav Das #ज़िन्दगी 
#परिभाषित 
#Light

Ek villain

#Bhaidooj #हम कर रहे हैं संसाधनों का दुरुपयोग #Society

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पूरी दुनिया जहां एक तरफ महंगाई और विविध प्रकार के प्रदूषण में त्रस्त है वहीं कुछ लोग अपने लाभ के लिए वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिसके प्रत्येक व्यक्ति को अन आवश्यकता से अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है इसके साथ ही ऐसे उत्पादन ओं का उपयोग करने में अत्यंत ही गंदगी भी फैलती है एक तरफ जहां पेड़ों के काटे जाने से प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं तो वहीं वर्तमान में पेन का उत्पादन यूज एंड थ्रो के रूप में हो रहा है लगभग 200 वर्ष पहले एक बार ही पैन में बार-बार सीआई भरकर उसके अनेक बार उपयोग किया जाता था अर्थात एक कलम खरीदने के बाद उसका उपयोग वर्ष तक किया जाता था इस प्रकार पैसे भी कम खर्च करने पड़ते थे और वर्तमान की तरह औषध प्लास्टिक के पेन की उत्पादन की आवश्यकता भी नहीं थी लेकिन वर्तमान में यूज एंड थ्रो पहन के कारण इसका उपयोग करने सभी लोगों को को एक बार उपयोग करने के बाद फ्रेंड को फेंकना ही पड़ता है

©Ek villain #Bhaidooj #हम कर रहे हैं संसाधनों का दुरुपयोग
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