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princesslappi
Vrishali G
D N GUPTA
श्री राम राम रघुनन्दन राम राम कौशल्या दूलारे अवधपति राम दशरथ के हृदयपियारे श्री राम मर्यादा के स्वाभिमान हे राम राम श्री राम राम सितापति श्री राम असुर संहारक हे राम श्री राम 🙏रामनवमी की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाऐं🙏 जय श्री राम ©D N GUPTA श्री राम राम रघुनन्दन राम राम कौशल्या दूलारे अवधपति राम दशरथ के हृदयपियारे श्री राम मर्यादा के स्वाभिमान हे राम राम श्री राम राम सितापति श्
OMG INDIA WORLD
🌹 *कुछ ही दिन की तो बात है।* *फिर से खुशहाली आएगी।।* *ये वीर भोग्या वसुंधरा।* *फिर हरी भरी हो जाएगी।।* *प्रभु श्रीराम रहे वर्षों वन में।* *हमको तो घर में रहना है।।* *जो कष्ट सहे रघुनन्दन ने।* *हमको उनको ना सहना है।।* *कोई फिक्र नहीं कुछ दिन।* *यदि अलग अलग रह जाएँगे।।* *जंग जीत ली जो हमने।* *सब मिलकर त्यौहार मनाएँगे।।* *सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ* ©OMG INDIA WORLD 🌹 *कुछ ही दिन की तो बात है।* *फिर से खुशहाली आएगी।।* *ये वीर भोग्या वसुंधरा।* *फिर हरी भरी हो जाएगी।।* *प्रभु श्रीराम रहे वर्षों वन में।*
कवि राहुल पाल 🔵
Shaarang Deepak
Purohit Nishant
हिन्दी पत्रकारिता दिवस एक गौरवपूर्ण दिन ©Purohit Nishant 🌻 हिन्दी पत्रकारिता दिवस 🌻 हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई और इसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। राजा राममोहन राय ने ही
Ajayy Kumar Mahato
खामोश है जो ये वो सदा है, वो जो नहीं है, वो कह रहा है। साथियों, तुमको मिले जीत ही जीत सदा, बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था।। जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा, बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था।। कल तुमसे बिछड़ी हुई ममता जो फिर से मिले, कल फूल चेहरा कोई जब तुमसे मिल के खिले। पाओ तुम इतनी खुशी, मिट जाएँ सारे गिले, पाओ तुम इतनी खुशी, मिट जाएँ सारे गिले।। है प्यार जिनसे तुम्हें साथ रहे वो सदा, बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था।। अच्छा चलता हूँ, दुआओं में याद रखना, मेरे ज़िक्र का जुबां पे स्वाद रखना। दिल के संदूकों में, मेरे अच्छे काम रखना, चिट्ठी तारों में भी मेरा तू सलाम रखना।। ©Khamosh Zindagi #खामोश है जो ये वो सदा है, वो जो नहीं है, वो कह रहा है। साथियों, तुमको मिले जीत ही #जीत सदा, बस इतना #याद रहे, एक साथी और भी था।। जाओ जो
नेहा उदय भान गुप्ता
कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।। अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ, कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ। प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको, मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।। प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो, मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो, बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी, तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।। अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं, मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन, लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में, प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।। सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ, बन जाऊँ तेरे अधरो की मधुर मुस्कान। गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से, तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।। झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया, मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है। प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम, तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1 कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।। अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ, कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ। प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको, मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।। प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो, मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो, बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी, तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।। अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं, मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन, लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में, प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।। सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ, बन जाऊँ तेरे अधरो की मधुर मुस्कान। गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से, तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।। झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया, मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है। प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम, तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1 कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी