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Ritu Sharma
" यादों का बक्सा " तेरी यादों का बक्सा जब भी खुला है , हमने जीभर के अश्रु बहाए है, तुझसे शिकवा कैसा , हम ही तेरी यादों का बक्सा अब तलक साथ लाए हैं 11-07-2019 #यादों का बक्सा Ishita
Shashank Rastogi
एक बक्सा एक लकड़ी का बक्सा, जो था पूरी तरह बन्द उसमे फंस गया एक परिंदा, जो था मेहनती, बुद्धिमान और प्रचंड बहुत करी कोशिश उसने, उस बक्से को खोलने की लेकिन जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बक्सा ना खुला उसने तब भी ना मानी हार करता रहा अपनी चोंच से, वो उस बक्से पर वार फिर शाम हो गई , सूरज ढल गया वो थक कर लेट गया, मानो हार गया हो आखिरकार अगले दिन, फिर एक सुबह आई उस परिंदे कि मेहनत रग लाई उसके किए हुए वारो से, कुछ छेद बन गए थे,जिनसे निकल सूरज की रोशनी उस बक्से में आईं देख कर उस बक्से की चकाचौंध को उस बक्से के मालिक के मन में एक ख्वाहिश आईं और वो ख्वाहिश एक नया विचार, उसके दिमाग में लाई फिर उसे, एक कटर कटर की आवाज़ आई उसने तुरंत उस बक्से को खोल दिया और उस परिंदे कि जान बचाई परिंदे को ज़िन्दगी मिल गई और उस इंसान को एक नायाब बक्सा और वो भी ऐसे खुश हुआ मानो कोई खुशी देखे, उसे हो गया हो एक अरसा #बक्सा #परिंदा #आजादी #उम्मीद #मेहनत #रोशनी #किरण रोशनी का बक्सा
Shashank Rastogi
एक लकड़ी का बकसा, जो था पूरी तरह बन्द उसमे फंस गया एक परिंदा, जो था मेहनती, बुद्धिमान और प्रचंड बहुत करी कोशिश उसने, उस बक्से को खोलने की लेकिन जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बकसा ना खुला उसने तब भी ना मानी हार करता रहा अपनी चोंच से, वो उस बक्से पर वार फिर शाम हो गई , सूरज ढल गया वो थक कर लेट गया, मानो हार गया हो आखिरकार अगले दिन, फिर एक सुबह आई उस परिंदे कि मेहनत रग लाई उसके किए हुए वारो से, कुछ छेद बन गए थे,जिनसे निकल सूरज की रोशनी उस बक्से में आईं देख कर उस बक्से की चकाचौंध को उस बक्से के मालिक के मन में एक ख्वाहिश आईं और वो ख्वाहिश एक नया विचार, उसके दिमाग में लाई फिर उसे, एक कटर कटर की आवाज़ आई उसने तुरंत उस बक्से को खोल दिया और उस परिंदे कि जान बचाई परिंदे को ज़िन्दगी मिल गई और उस इंसान को एक नायाब बकसा और वो भी ऐसे खुश हुआ मानो कोई खुशी देखे, उसे हो गया हो एक अरसा #बक्सा
Atit Arya
उम्मींदो का बक्सा हमने बंद कर लिया, जब मेरी बातो का सुनना तुमने बंद कर दिया, ना रह गयी कोई ज़िन्दगी की ख्वायिस अब बाकी इस दिलमे, जबसे तुमने प्यार के सहारे वक़्त देना कम कर दिया उम्मींदो का बक्सा हमने बंद कर लिया,
सुरेश चौधरी
आज का भजन एक नया प्रयोग किया है पदावली में दर्शन डाल कर। अगर अच्छा लगा तो आशीर्वाद दीजियेगा।। सीने में छिपा दर्द बाहर कैसे लाऊं मैं। काली रात में गगन उड़ता, पाखी घर कैसे लाऊं मैं सहमा सा रहता कोने में, घोर डर कैसे भगाऊँ मै उठ ताजगी पँखो को दूँ मैं, नई भोर कैसे लाऊं मैं सांपो को दूध पिलाया है, गलती दूध की बताऊं मैं छलके अश्रु कितने भी घने, आंखों से व्यर्थ बहाऊँ मैं संभाल श्याम प्यारे आ तुम, इनको इंसान बनाऊं मैं इंदु दर्द कितना सहे बता, रोऊँ या कि मुस्कराउँ मैं सारी दुनिया कहने को है, हकीकत कैसे दिखाऊँ मैं सीने में छिपा दर्द बाहर कैसे लाऊं मैं। सुरेश चौधरी 'इंदु' - 22 जनवरी 2021 ©सुरेश चौधरी आज का भजन #zindagikerang