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Sangeeta Patidar
तेरी याद में महक रहा गुलशन सा मन, तेरे बिन है सूना और अधूरा सा जीवन। दिल में बसा रखा है ख़यालों से घरौंदा, तेरी मुस्कान बिन, है वीरान सा आँगन। उपमा अलंकार #rztask98 #rzलेखकसमूह # collabwithrestzone #restzone # rzwriteshindi #yqdidi #ऋतुशी
Poonam Suyal
तेरी यादों के भंवर में हम खोते जा रहे हैं सनम तेरे लिए ही है हमारे दिल की हर धड़कन बिन तेरे हम डूबते जा रहे हैं गम के सागर में तेरे दिल के सिवा हमारा कोई और ठिकाना नहीं अब उपमा अलंकार #rztask98 #rzलेखकसमूह #collabwithrestzone #restzone #rzwriteshindi #ऋतुशी Rest Zone
Vedantika
सागर सी गहराई उसके हृदय में जाने कितने भेद छुपाए खुद में हजारों प्रश्न उसकी आँखों में विचरण करती कौन जगत में झील सी आँखों में एक सागर प्रवाहित होने को हैं आतुर बांधे रखें वो ये सागर खुद में प्रलय दुःख की बसी थी अंदर रात सी नीरवता छाई थीं वो कुछ घबराई सी थीं ना जाने क्या डर था उसको छुपा ना पाई थी वो जिसको चाँद सा चेहरा मुरझाया था कुछ समझ ना आया था जाने कौन सा गम था जो बादल बन कर छाया था पहेली सी शख्सियत उसकी आज तक अनसुलझी हैं जाने कितने तूफानों से वो एक लड़की गुज़री हैं उपमा अलंकार सागर सी गहराई झील सी आँखे रात सी नीरवता चाँद सा चेहरा पहेली सी शख्सियत
somnath gawade
बोलणे तुझे प्रिये, जसे मंजुळ संगीत ऐकत रहावे असे शोधूनी एकांत... सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आजच्या दिवसाची सुरुवात अलंकारानी करुयात. अलंकाराचा पहिला प्रकार उपमा याबद्दल मी तुम्हाला सांगणार आहे.
yogesh atmaram ambawale
स्मरितो कायम तुला, सतत तुझीच आठवण काढतो. जेव्हा जेव्हा डोळे बंद करतो, नजरेसमोर आई तुझाच चेहरा पाहतो. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आजच्या दिवसाची सुरुवात अलंकारानी करुयात. अलंकाराचा पहिला प्रकार उपमा याबद्दल मी तुम्हाला सांगणार आहे.
Poonam Suyal
तुममें मेरी दुनिया बसती (अनुशीर्षक में पढ़ें) तुममें मेरी दुनिया बसती झील की गहराई से नैन चुराते हैं मेरा चैन, सोचता हूँ तुम्हे मैं दिन रैन काली घनघोर घटा से केश तुम्हारे खो जाना चाह
Sachin Ratnaparkhe
छत्रपति शिवाजी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी महिमा का रितिकाल के कवि भूषण द्वारा ब्रज भाषा में विभिन्न अलंकारों एवम् वीर रस से युक्त अत्यंत मनमोहक सुंदर चित्रण पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। यह पढ़ने के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसा साक्षात् महाराज छत्रपति शिवाजी का दर्शन हो रहा हो। यह पौराणिक काव्य शैली आधुनिक हिप होप संगीत शैली (रेप सॉन्ग्स) से काफी मिलती जुलती है और ये बेहद ही खूबसूरत अनुभूति है। और भुषण के इन छंदो को महाराष्ट्र में ठोल ताशे बजाकर बड़ी मस्ती में और बहुत ऊर्जा के साथ गाया जाता है। (Caption me puri Kavita padhe) इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर । रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥ पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर । ज्यों सहसबाह पर , राम व्दिजराज है ॥२
Vivek
प्रेम रूपी सौंदर्य चेहरे की छटा को जब बढ़ाता है सारे के सारे सिंगार अलंकार हो जाते हैं...!!! ©Vivek #अलंकार