Find the Latest Status about जितेन्द्र ताकि ओह ताकि from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जितेन्द्र ताकि ओह ताकि.
Jitendra Yadav
कभी आजमाते तो हम भी बताते, ख्यालों में तुम्हारी हम भी मुस्कुराते। रुक गये जो शब्द होठों पर हमारे, मिलते जो तुम तो हम भी बताते।। #जितेन्द्र 'अमन'
chanchal
" खेल " बचपन से जवान होते अपने और दरख्तों की बीच की कड़ी था खेल जब गांव के पूर्वी छोर पर घने पीपल की छांव तले पढ़ने जाने के बहाने ले बीत जाता था पूरा दिन दिन के उजाले तक गुली- डंडे और ढलती शाम के साथ लुकाछिपी का खेल हो जाता था शुरू समय से लेट घर पहुंचने पर पड़ती थी डांट पापा की लेकिन उसका असर कुछ वक्त के बाद मानो रफूचक्कर हो जाता था मां की गोद में सोते हुए सपने में कभी-कभी खेल-खेल में लड़ने वाली हरकतें अब भी याद है मा को वो दिन समय के अनंत साए में विलीन हो गया है जब खेल- खेल में लड़ना , रोना यहां तक कि कभी कभी लड़ाई कुर्ता पैंट फाड़ने तक पहुंच जाती थी लेकिन फिर अहले सुबह खेल के असीम आनन्द में तल्लीन होने हेतु एक होना और फिर चलता था गिले-शिकवे दूर करने के माथा पच्ची प्रयास आज उम्र के इस दहलीज पर जब लौट कर देखता हूं खेल को तो एक अजीब सा कंपन होने लगता है मन में खेल, जो एक दूसरे को जोड़े रखने की अटूट कड़ी थी कभी आज बिखरा पड़ा है घृणा ,द्वेष , हस्तक्षेप और राजनीति से ओत - प्रोत यह खेल अब बाजार बन गया है जहां बिकते हैं खिलाड़ी सौदे होते हैं प्रतियोगिता के सट्टे लगाए जाने और फिर सट्टे के हिसाब से खेल की अस्मिता को गिरवी रख देना अब आम चलन सा हो गया है देखता हूं , सोचता हूं फिर कल्पना की असीम दुनिया में लौट कर करता हूं तुलना बीते कल और आज के खेल में तो पाता हूं खेल, खेल न रहा खेल , खेल हो गया है। जितेन्द्र कुमार ' चंचल ' 29-08-2020 जितेन्द्र कुमार " चंचल"